टेरर फंडिंग केस में छापेमारी:जम्मू-कश्मीर के 14 जिलों में 45 जगहों पर NIA की रेड, अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों के घरों की तलाशी

जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के साथ मिलकर NIA के अधिकारी जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों के घर की तलाशी ले रहे हैं। इस संगठन की पाकिस्तान समर्थक और अलगाववादी नीतियों के चलते 2019 में केंद्र सरकार ने इसे बैन कर दिया था। इसके बावजूद यह संगठन जम्मू-कश्मीर में काम कर रहा है।

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श्रीनगर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) टेरर फंडिंग मामले में आज जम्मू-कश्मीर के 14 जिलों में करीब 45 जगहों पर छापेमारी कर रही है। इन जिलों में श्रीनगर, पुलवामा, कुपवाड़ा, डोडा, किश्तवाड़, रामबन, अनंतनाग, बड़गाम, राजौरी और शोपियां भी शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के साथ मिलकर NIA के अधिकारी जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों के घर की तलाशी ले रहे हैं। इस संगठन की पाकिस्तान समर्थक और अलगाववादी नीतियों के चलते 2019 में केंद्र सरकार ने इसे बैन कर दिया था। इसके बावजूद यह संगठन जम्मू-कश्मीर में काम कर रहा है।

NIA ने 10 जुलाई को टेरर फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस रेड से एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर सरकार के 11 कर्मचारियों को आतंकी कनेक्शन होने के चलते नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इसमें से दो आरोपी हिज्बुल-मुजाहिदीन के सरगना सयैद सलाहुद्दीन के बेटे थे।

चार कथित आतंकियों पर पाकिस्तान से फंड लेने का आरोप
हिज्बुल-मुजाहिदीन के चार कथित आंतकियों के खिलाफ सबूत मिले थे कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से पैसे लिए थे। दिल्ली की एक कोर्ट ने इस मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने इन चारों कथित आतंकियों पर क्रिमिनल कॉन्स्पिरेसी, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और UAPA के तहत कई चार्ज लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा था कि हिज्बुल-मुजाहिदीन ने जम्मू-कश्मीर अफेक्टीज रिलीफ ट्रस्ट (JKART) नाम से फर्जी ऑर्गेनाइजेशन बनाया था। इसका असली मकसद आतंकी गतिविधियों को फंडिंग करना था। इस ट्रस्ट से आतंकियों और उनके परिवारों को पैसे दिए जाते हैं।

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