कोरोना में राइट टू हेल्थ:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इलाज किफायती हो, क्योंकि कोरोना से बचने वाले मरीज आर्थिक रूप से खत्म हो रहे

कोर्ट ने कहा कि गाइडलाइन और SOPs के बावजूद महामारी जंगल की आग की तरह फैल रही है। हर राज्य को केंद्र के साथ मिलजुलकर सतर्कता के साथ काम करना चाहिए। अब वह वक्त है, जब आपको खड़ा होना है। बिना किसी अन्य विचार के लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य ही प्राथमिकता हैं।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार कोरोना महामारी को लेकर कई टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा कि इस महामारी के दौरान पूरी दुनिया में कोई न कोई, किसी न किसी तरीके से कष्ट सह रहा है। कोविड के खिलाफ ये वर्ल्ड वार है। इस वर्ल्ड वार में जरूरी है कि इलाज को किफायती बनाया जाए और कर्फ्यू-लॉकडाउन जैसी चीजों का ऐलान एडवांस में किया जाए ताकि लोग अपनी आजीविका के संसाधन जुटा सकें।

कोरोना पर सुप्रीम कोर्ट की 5 अहम टिप्पणियां

1. इलाज लगातार महंगा होता जा रहा है

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने खुद ही कोरोना के इलाज और शवों के साथ सम्मानजनक व्यवहार का मसला उठाया था। इसी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं हो सकता है कि न जाने किस वजह से इलाज महंगा होता जा रहा है और अब इसका खर्च आम आदमी नहीं उठा पा रहा है। अगर कोई कोरोना से बच जा रहा है तो कई बार आर्थिक रूप से खत्म हो जा रहा है।’

2. अस्पतालों में बिस्तर खाली रखने का सख्ती से पालन हो

अदालत ने कहा, ‘राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन निजी अस्पतालों द्वारा चार्ज की जा रही फीस की सीमा तय करे। इसे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत किया जा सकता है। जब भी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत ये निर्देश दिए जाएं कि कॉरपोरेट अस्पताल और निजी अस्पतालों को 50% बिस्तर या ऐसा कोई भी परसेंटेज फ्री रखना होगा तो इसका पालन सख्ती से किया जाए।’

3. महामारी जंगल की आग की तरह फैल रही

कोर्ट ने कहा कि गाइडलाइन और SOPs के बावजूद महामारी जंगल की आग की तरह फैल रही है। हर राज्य को केंद्र के साथ मिलजुलकर सतर्कता के साथ काम करना चाहिए। अब वह वक्त है, जब आपको खड़ा होना है। बिना किसी अन्य विचार के लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य ही प्राथमिकता हैं।

4. अस्पतालों की सुरक्षा कौन निश्चित करेगा

गुजरात के दो कोविड अस्पतालों में आग लगने के मामले पर कोर्ट ने हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को हर कोविड अस्पताल के लिए नोडल अफसर नियुक्त करने को कहा था। अगर ये अप्वाइंट नहीं किए गए हैं तो कोविड अस्पतालों में सभी सुरक्षा उपायों को कौन निश्चित करेगा।

5. कम से कम महीने में एक बार अस्पतालों की जांच हो

कोर्ट ने कहा कि हर जिले में राज्य सरकार एक कमेटी का गठन करे, जो कोविड अस्पतालों में फायर ऑडिट करे। ये काम कम से कम महीने में एक बार होना चाहिए ताकि खामियों के बारे में अस्पताल प्रशासन को बताया जाए और सरकार इसका फॉलोअप ले। जिन कोविड अस्पतालों ने NOC नहीं ली है, उन्हें तुरंत इसके लिए अप्लाई करना चाहिए।

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