राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से विपक्षी पार्टियों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। सोमवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात करने के बाद पवार ने मंगलवार दोपहर 4 बजे राष्ट्र मंच की बैठक बुलाई है। राष्ट्र मंच की नींव 2018 में यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ रखी थी।
कोरोना महामारी के बाद पहली बार विपक्षी पार्टियों के नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की बजाए एक जगह इकट्ठा होकर मीटिंग करेंगे। राष्ट्र मंच के बैनर तले हो रही बैठक में 15 दलों के नेता शामिल हो सकते हैं। बैठक में यशवंत सिन्हा, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, पवन वर्मा समेत कई और नेताओं के आने की संभावना है। राष्ट्र मंच की बैठक में NCP अध्यक्ष शरद पवार पहली बार हिस्सा लेंगे। फिलहाल ये मंच राजनीतिक मोर्चा नहीं है, लेकिन भविष्य में इसके तीसरा मोर्चा बनने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
शरद पवार 15 दिनों में 2 बार प्रशांत किशोर से मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले 11 जून को भी पवार के मुंबई स्थित घर पर दोनों की मीटिंग हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक चर्चा हुई थी। इस बैठक को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए होने वाली बड़ी उलटफेर के रूप में देखा जा रहा है। ऐसी चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए पवार विपक्ष को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं।
कल की बैठक के 3 मायने !
1. 2024 के आम चुनाव के लिए अभी से तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू हो गई है।
2. प्रशांत किशोर बंगाल चुनाव में ममता की जीत के बाद उन्हें तीसरे मोर्चे का चेहरा बनाने में जुटे हैं।
3. पवार तीसरे मोर्चे के संयोजक की भूमिका निभाएंगे।
बंगाल में केंद्र और राज्य सरकार में टकराव जारी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही राष्ट्र मंच पर अपनी मुहर लगा चुकी हैं। बंगाल में ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच भी तनातनी जारी है। इससे पहले ममता भी विपक्ष को इकट्ठा करने की कोशिश कर चुकी हैं। उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में कहा था कि विपक्षी पार्टियां चाहें तो मिलकर 2024 के चुनाव में मोदी को हरा सकती हैं, लेकिन अभी हमें कोरोना से लड़ने पर ध्यान देना होगा।
ममता ने कहा था- केंद्र सरकार बदले की राजनीति कर रही है
इससे पहले, ममता ने केंद्र सरकार पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया था। पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी को राज्य से दिल्ली बुलाए जाने पर हुए उन्होंने कहा था कि राज्य के सीनियर ब्यूरोक्रेट्स को कोरोना के संकट के बीच लोगों के लिए काम करने की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि विधानसभा चुनाव में BJP की हार के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह उनकी सरकार के लिए हर कदम पर मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।