सियासी रिश्तों पर नया बयान:राउत बोले- महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना को नौकर समझती थी भाजपा, दो दिन पहले कहा था- मोदी ही टॉप लीडर

जलगांव में शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच राउत ने कहा, "राज्य में जो पिछली सरकार बनी थी, उसमें शिवसेना को दूसरे नंबर का दर्जा दिया गया था। हमारे साथ नौकरी की तरह का व्यवहार किया जाता था। इतना ही नहीं, जिस पार्टी के समर्थन से भाजपा सत्ता में आई थी, उसी सत्ता का इस्तेमाल कर हमें खत्म करने की भी कोशिश की गई थी।'

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मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की 100 मिनट की मीटिंग के बाद सियासी बयानों की लहर लगातार जारी है। दो दिन पहले मोदी को देश का टॉप लीडर बताने वाले संजय राउत ने अब उल्टा बयान दे दिया है। राउत ने कहा कि पिछली महाराष्ट्र सरकार में भाजपा का शिवसेना के लिए व्यवहार नौकरों जैसा होता था। राउत 2014 से 2019 के बीच के समय की बात कर रहे थे, जब शिवसेना भाजपा के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में थी।

हमें ही खत्म करने की कोशिश की गई- राउत
जलगांव में शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच राउत ने कहा, “राज्य में जो पिछली सरकार बनी थी, उसमें शिवसेना को दूसरे नंबर का दर्जा दिया गया था। हमारे साथ नौकरी की तरह का व्यवहार किया जाता था। इतना ही नहीं, जिस पार्टी के समर्थन से भाजपा सत्ता में आई थी, उसी सत्ता का इस्तेमाल कर हमें खत्म करने की भी कोशिश की गई थी।’

उन्होंने कहा कि मेरा हमेशा से ही ये मानना रहा है कि महाराष्ट्र में सीएम शिवसेना का ही होना चाहिए। भले ही शिवसैनिक को कुछ न मिले, पर हम गर्व से ये तो कह सकते हैं कि महाराष्ट्र की सत्ता शिवसेना नेता के हाथ में है। महा विकास अघाड़ी सरकार इसी भावना के साथ गठित की गई थी। जो अजित पवार सरकार गठन के लिए भाजपा के साथ गए थे, वो आज हमारे गठबंधन के सबसे मजबूत प्रवक्त हैं। बता दें कि देवेंद्र फडणवीस के साथ नवंबर 2019 में जब अजित पवार ने सरकार बनाई थी, तो वो केवल 80 घंटे ही चली थी।

अभी बयानों की लहर आखिर क्यों, 3 वजहें
1.
 दरअसल, 8 जून को उद्धव ठाकरे दिल्ली पहुंचे। साथ में अजित पवार और अशोक चव्हाण भी थे। मोदी से उद्धव की मुलाकात बंद कमरे में अकेले हुई और ये करीब 100 मिनट तक चली। इसके बाद उद्धव बोले कि सियासी तौर पर हम साथ नहीं, पर रिश्ते तो पुराने हैं। मोदी कोई नवाज शरीफ थोड़े हैं, जो मुलाकात छिपकर करता।

2. इस मुलाकात के बाद सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया कि भाजपा और शिवसेना फिर साथ आ सकते हैं। इसी दौरान संजय राउत ने कहा कि देश में अगर कोई टॉप लीडर है तो वो मोदी हैं। उन्होंने ये भी कहा कि 2014 के बाद से अब तक भाजपा को जो भी सफलता मिली है, उसकी वजह मोदी ही हैं।

3. दोनों घटनाक्रमों का असर महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी राकांपा पर भी पड़ा। राकांपा चीफ शरद पवार ने तुरंत शिवसेना को वादा निभाने की बात याद दिलाई और वो भी बाला साहेब ठाकरे का नाम लेते हुए। पवार ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान बाला साहेब ने इंदिरा गांधी से चुनाव न लड़ने का वादा किया था और उसे निभाया भी। पवार बोले कि शिवसेना ऐसी पार्टी है, जिस पर भरोसा किया जा सकता है और महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार न सिर्फ 5 साल पूरे करेगी, बल्कि ये गठबंधन आने वाले चुनावों में भी बेहतर परफॉर्म करेगा।

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