कांग्रेस विधायक दल की दो दिन में दूसरी बैठक थोड़ी देर में, पायलट को न्योता भेजा; प्रदेश कांग्रेस प्रभारी बोले- हम उन्हें दूसरा मौका दे रहे हैं

राजस्थान में गहलोत सरकार पर संकट पांचवें दिन मंगलवार को भी बरकरार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 109 विधायक होने का दावा, कहा- सरकार को खतरा नहीं बगावत पर उतरे सचिन पायलट खेमे ने कहा- हमारे पास 30 से ज्यादा विधायक, सरकार बहुमत साबित करे

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जयपुर. राजस्थान में जारी राजनीतिक संकट के बीच डिप्टी सीएम सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें जारी हैं. कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद खत्म करने के लिए मंगलवार सुबह बैठक बुलाई है. इसमें सचिन पायलट को भी आमंत्रित किया गया है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की एक और बैठक मंगलवार को 10 बजे सुबह बुलाई गई है. उन्होंने कहा, ‘हमने सचिन पायलट और उनके साथ के अन्य लोगों को फिर से आमंत्रित किया है. परिवार के सदस्यों का सम्मान परिवार के भीतर ही होता है.’

राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत से खटपट के बीच सचिन पायलट को मनाने की कोशिश लगातार की जा रही है. पहले बताया गया था कि सचिन पायलट को राजी करने के लिए पार्टी के पांच शीर्ष नेता मसलन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल, पी. चिदंबरम और अहमद पटेल ने उनसे बात की थी. हालांकि सचिन पायलट इस बात से इनकार कर रहे हैं कि उनकी किसी आलाकमान से बातचीत हुई है.

कोरोना को काबू करने के लिए लॉकडाउन लगाने से पहले ही मार्च में मध्यप्रदेश में डेढ़ साल पुरानी जमी-जमाई कांग्रेस सरकार उखड़ चुकी थी। कांग्रेस में बगावत का चेहरा बने ज्योतिरादित्य सिंधिया। अब इसी तरह के हालात राजस्थान में बने हैं। शनिवार से सोमवार तक चली उठापटक के बाद यह तो स्पष्ट है कि फिलहाल सरकार पर कोई संकट नहीं है। लेकिन विश्लेषकों को लग रहा है कि अहम का टकराव जल्द शांत होने वाला नहीं है।

राजस्थान में कांग्रेस सरकार को कथित रूप से अस्थिर करने के मामले स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के नोटिस से डिप्टी सीएम पायलट इतने नाराज हुए कि दिल्ली रवाना हो गए. हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि एसओजी का नोटिस उन्हें भी आया है और वो पूछताछ के लिए जाएंगे. जबकि पायलट खेमा का कहना था कि यह सब कुछ डिप्टी सीएम को बदनाम करने के लिए किया गया है.

वैसे तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद से ही सीएम पद को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान की सुर्खियां देखने को मिलती रही हैं. लेकिन इस बार मनमुटाव इतना बढ़ गया कि अशोक गहलोत को विधायकों की परेड करा बताना पड़ा कि उनकी सरकार को खतरा नहीं है.

मगर इन सब कवायदों के बीच गहलोत समर्थक विधायकों की संख्या इतनी है कि एक दो विधायक इधर-उधर हुए तो कांग्रेस सरकार खतरे में पड़ जाएगी. मतलब बहुमत के लिए संख्या के लिहाज से गहलोत सरकार दहलीज पर खड़ी है. साफ है कि गहलोत को पायलट की जरूरत पड़ेगी. लिहाजा पार्टी सचिन पायलट को मनाने की लगातार कोशिश कर रही है.

क्यों नाराज हैं सचिन पायलट?

  • राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट को राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) ने शुक्रवार शाम को नोटिस भेजा। राजस्थान में पुलिस महकमा सीधे-सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अंडर काम करता है। यह नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इससे ही सचिन पायलट नाराज हो गए।
  • रोचक बात यह है कि गहलोत के पास होम डिपार्टमेंट भी है। और तो और, उन्हें और कुछ अन्य निर्दलीय विधायकों को भी एसओजी का नोटिस गया है। गहलोत ने खुद ही ट्वीट कर बताया कि नोटिस बयान दर्ज करने के लिए भेजा गया है। इस मामले में इससे ज्यादा कुछ नहीं समझा जाना चाहिए।
  • हालांकि, समन मिलते ही पायलट और उनके समर्थक भड़क गए। दरअसल, इस मामले में एसओजी ने दो भाजपा नेताओं को गिरफ्तार किया है। उनकी टैप की गई बातचीत में कथित तौर पर कहा गया कि ‘सीएम और डिप्टी सीएम लड़ रहे हैं।’ और तो और यह भी कहा गया कि ‘डिप्टी सीएम ही सीएम बनना चाहते हैं।’
  • अशोक गहलोत का आरोप है कि भाजपा उनकी सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रही है। इसके लिए प्रत्येक विधायक को 20-25 करोड़ रुपए का लालच दिया जा रहा है। हालांकि, भाजपा के केंद्रीय और राज्य के नेता इन आरोपों को खारिज कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस की गुटबाजी बता रहे हैं।

पायलट ने बैठक से क्यों किनारा किया?

  • शुक्रवार को पायलट को नोटिस जारी होने के बाद से राजस्थान सरकार अस्थिर हो गई है। तब से अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचाने के लिए सक्रिय हो गए। उन्होंने पहले रविवार को अपने घर पर सर्वदलीय विधायकों की बैठक बुलाई और फिर सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक।
  • लेकिन, पायलट और उनके समर्थक विधायक न तो सर्वदलीय विधायकों की बैठक में शामिल हुए और न ही सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में। दरअसल, तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रमों पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी शनिवार को सक्रिय हो गया था। सोमवार की बैठक में रणदीप सूरजेवाला और अजय माकन जैसे नेता भी मौजूद थे।
  • अलग-अलग समय पर किए गए दावों के मुताबिक, पायलट के साथ इस समय 10 से 30 विधायक हैं। पायलट समर्थकों ने दावा किया कि 18 विधायकों ने विधायक दल की बैठक से दूरी बनाई। हालांकि, गहलोत के मीडिया सलाहकार ने कहा कि बैठक में पार्टी के 107 में से 102 विधायक मौजूद थे।
  • सचिन पायलट ने रविवार शाम को दावा किया था कि 30 कांग्रेस विधायक उनके समर्थन में हैं। राज्य की गहलोत सरकार अल्पमत में है। पायलट ने मुख्यमंत्री से मनमुटाव को भी स्पष्ट कर दिया। हालांकि, राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाश पांडे ने दावा किया कि हमारे पास 109 विधायकों के समर्थन पत्र हैं।

…तो क्या भाजपा में शामिल हो सकते हैं पायलट?

  • लगता तो नहीं है। पायलट ने खुद ही कहा है कि वे भाजपा में शामिल नहीं होने जा रहे। इस बीच, चर्चा यह भी चल पड़ी कि वे नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। इस तरह प्रदेश में तीसरे मोर्चे का गठन हो सकता है। ‘प्रगतिशील कांग्रेस’ के नाम से तीसरा मोर्चा खड़ा करने की संभावना है।
  • हालांकि, कहा जा रहा है कि भाजपा ने तीन मौकों पर सचिन पायलट को तोड़ने की कोशिश की। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में लाने वाले जफर इस्लाम पायलट के बी संपर्क में हैं। वे ही तमाम राजनीतिक गुणा-भाग को लेकर भाजपा आलाकमान को अपडेट्स दे रहे है।
  • जफर इस्लाम का पूरा नाम डॉ. सैयद जफर इस्लाम हैं। वे भाजपा का मुखर और उदारवादी मुस्लिम चेहरा हैं। भाजपा में उनका करियर अभी सिर्फ 7 साल का है, लेकिन उनका कद तेजी से बढ़ा है। बतौर भाजपा प्रवक्ता जफर मीडिया के लिए जाना पहचाना चेहरा हैं। राजनीति में आने से पहले वे ड्यूश बैंक के एमडी थे और विदेश में थे।
  • सूत्रों का कहना है कि जब सिंधिया बगावत कर कांग्रेस से अलग हुए थे, तब भाजपा ने पायलट से भी संपर्क किया था। भाजपा ने पायलट को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल पद का ऑफर दिया था।  हालांकि, पायलट ने मना कर दिया था।
  • इसके बाद राज्यसभा चुनावों से पहले भाजपा ने पायलट को अपने पाले में करने की कोशिश की थी। तब भी बात नहीं बन पाई थी। पायलट ठीक-ठाक संख्याबल नहीं जुटा पाए थे। उस समय भी कांग्रेस को अपने विधायकों को होटल में बाड़ेबंदी में रखना पड़ा था। अब, यह तीसरा मौका है जब उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं हैं।

… क्या गहलोत और पायलट में सुलह हो जाएगी?

  • केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोशिश जारी है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि किसी तरह का कोई मनमुटाव है तो पार्टी अध्यक्ष और आलाकमान से बात कर सकते हैं। सचिन पायलट प्रदेश में पार्टी प्रभारी अविनाश पांडे के सामने अपनी बात रख सकते हैं। पायलट जयपुर आने का समय भी बता सकते हैं। बैठक में उनका इंतजार रहेगा।
  • खबरों में कहा गया कि सोनिया गांधी, राहुल-प्रियंका समेत केंद्रीय नेतृत्व जल्द से जल्द राजस्थान का विवाद खत्म करना चाहता है। मध्यप्रदेश में हालात पढ़ने में हुई देरी और निष्क्रियता का खामिजाया पार्टी ने भुगता है। राजस्थान में भी पार्टी अपनी सरकार का वैसा हश्र नहीं होने देना चाहती।
  • फिलहाल गहलोत-पायलट की लड़ाई पूरी तरह से नोटिस पर केंद्रित बताई जा रही है। लेकिन बात इतने तक सीमित नहीं है। पायलट इस समय राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं। उन पर यह पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में वह चाहते हैं कि उनके ही किसी करीबी को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी मिल जाए।
  • दोनों के बीच, समस्या 2018 के विधानसभा चुनावों में ही शुरू हो गई थी। पायलट ने पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर जीत हासिल की, लेकिन अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया। उसके बाद दोनों ने बिना एक-दूसरे का नाम लिए एक-दूसरे पर कई बार निशाने साधे हैं।
  • इससे पहले गहलोत ने आईएएस और आईपीएस अफसरों के रीशफल में भी पायलट को महत्व नहीं दिया था। उनके समर्थक कहते हैं कि आईएएस और आईपीएस को छोड़िये, ब्लॉक डेवलपमेंट अफसर तक उनकी पसंद का नहीं मिला। राज्य के प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि पायलट के अपने ही विभाग के अफसरों से नहीं बनती।
  • कोटा के सरकारी अस्पताल में 107 बच्चों की मौत के मुद्दे पर पायलट ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था। इतना ही नहीं बार-बार मुद्दा उठाते रहे कि गहलोत और उनके बीच मतभेद मिटाने के लिए बनाई समन्वय समिति की बैठकें टाली जा रही हैं। यह समिति कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बनाई थी।

…आगे राजस्थान सरकार का क्या होगा?              

  • सचिन पायलट का दावा है कि उनके संपर्क में 30 से ज्यादा विधायक हैं। इसे सही मानें तो गहलोत सरकरा अल्पमत में आ जाएगी। कांग्रेस के 107 में से 30 विधायक इस्तीफा देते हैं तो सदन में विधायकों की संख्या 170 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए 86 विधायकों की जरूरत होगी।
  • 30 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास 77 विधायक बचेंगे। आरएलडी विधायक पहले से उनके साथ है। कांग्रेस की कुल संख्या 78 होगी। यानी बहुमत से 8 कम। उधर, आरएलपी के 3 विधायक मिलाकर भाजपा के पास 75 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए भाजपा को निर्दलीय तोड़ने होंगे। प्रदेश के 13 निर्दलीय विधायकों में फिलहाल 10 कांग्रेस समर्थक हैं। अगर इसमें से भाजपा 8 विधायक अपनी तरफ कर ले तो सरकार बना सकती है।
  • राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।
  • पायलट के दावे से अलग अब तक की स्थिति में 15 कांग्रेस विधायक उनके खेमे में होने की संभावना है। अगर यह सभी विधायक इस्तीफा देते हैं तो सदन में विधायकों की संख्या 185 हो जाएगी। बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 93 पर पहुंच जाएगा। मौजूदा समीकरण में गहलोत गुट में 92 कांग्रेस विधायक हैं। एक आरएलडी विधायक उनके साथ हैं और अगर कुछ निर्दलीय गहलोत के साथ रहे तो सरकार सुरक्षित रहेगी।

सोमवार को दिनभर की उठापटक का क्या नतीजा निकला?

  • सोमवार को कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और आम्रपाली ज्वैलरी फर्म के मालिक राजीव अरोड़ा और कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ के यहां इनकम टैक्स के छापे मारे गए। राजस्थान, दिल्ली और महाराष्ट्र में इन दोनों नेताओं के 24 ठिकानों पर कार्रवाई की गई। दोनों नेता गहलोत के बेहद करीबी हैं। वे पार्टी का चुनाव प्रबंधन और फंडिग का काम देखते हैं।
  • ईडी ने जयपुर के पास कूकस स्थित होटल फेयर माउंट में भी छापा मारा। यह होटल अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के करीबी का है। बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के जयपुर स्थित अपार्टमेंट पर रेड डाली गई। इनकम टैक्स की टीम राठौड़ के निवास पर पहुंची।सूत्रों के अनुसार, ये छापे टैक्स चोरी की शिकायत को लेकर मारे गए हैं।
  • राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिशों के बीच इन छापेमारी पर सियासत शुरू हो गई। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा गलत तरीके अपना रही है।  रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से हर बार जांच एजेंसियों को आगे किया जाता है। सुबह से ही कांग्रेस के साथियों पर इस तरह से छापेमारी करवाकर डराने की कोशिश की जा रही है।
पायलट खेमे के 30 एमएलए विधायकी छोड़ते हैं तो भी सरकार बनाने के लिए भाजपा को 11 नए सहयोगी तलाशने होंगे

राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है। डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपने साथ 30 विधायक होने का दावा कर रहे हैं। गहलोत खेमा 107 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहा है। हमारे सूत्र बताते हैं कि ये दावा कमजोर है। गहलोत के घर पर हुई बैठक में कांग्रेस के 18 विधायक नहीं पहुंचे।

पायलट का दावा सही होने की स्थिति में भी भाजपा के लिए सरकार बनाने की राह आसान नहीं होगी। वहीं, जो विधायक गहलोत के घर नहीं पहुंचे अगर उतने विधायक भी पायलट के साथ जाते हैं तो गहलोत सरकार निर्दलियों और अन्य छोटे दलों के सहारे पर आ जाएगी।

  • राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने मंगलवार को कहा कि हम सचिन पायलट को दूसरा मौका दे रहे हैं, उनसे आज की विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए कहा। मुझे उम्मीद है कि आज सभी विधायक आएंगे और नेतृत्व को एकजुटता देंगे और जिसके लिए राजस्थान के लोगों ने मतदान किया, हम सभी राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं।

राहुल, प्रियंका ने संपर्क साधा, लेकिन पायलट समझौते के लिए राजी नहीं

कांग्रेस पायलट को मनाने में जुटी रही। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पी. चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने उनसे संपर्क किया। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पायलट समझौते को राजी नहीं हुए। उन्होंने राहुल गांधी के साथ मुलाकात से भी इनकार कर दिया। हालांकि, सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि पायलट ने शीर्ष नेतृत्व के समक्ष चार शर्तें रखी हैं। इनमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद बरकरार रखने के अलावा गृह और वित्त विभाग दिए जाने की मांग भी शामिल है। उधर, पायलट सीधे कुछ बोलने और ट्‌वीट करने के बजाय करीबियों से बयान दिला रहे हैं, ताकि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन पर कोई कार्रवाई न हो सके।

विधायक दल की बैठक से 19 नदारद
सीएम आवास पर विधायकों की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि बैठक में शामिल नहीं होने वाले विधायकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और बर्खास्त किया जाए। पायलट खेमे का दावा है कि विधायक दल की बैठक में जो 19 विधायक नहीं पहुंचे उनमें दीपेंद्र सिंह शेखावत, राकेश पारीक, जीआर खटाना, मुरारी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शक्तावत, इंद्रराज सिंह गुर्जर, भंवर लाल शर्मा, विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, पीआर मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाकर, सुरेश मोदी, हरीश मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी व अमर सिंह जाटव शामिल हैं। इनके अलावा जिन तीन निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस ने अपनी संबद्धता सूची से हटाया था, उनके सहित करीब 30 विधायक हमारे साथ हैं।

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200

पार्टी विधायकों की संख्या
कांग्रेस 107
भाजपा 72
निर्दलीय 13
आरएलपी 3
बीटीपी 2
लेफ्ट 2
आरएलडी  1

राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

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