रेलवे का फैसला / श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए राज्यों से सहमति की जरूरत नहीं; रेल मंत्री बोले- 20 लाख मजदूरों को 1,565 ट्रेनों से उनके घर पहुंचाया
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए गृह मंत्रालय ने अपने नियमों में बदलाव किया अभी तक सभी ट्रेनें राज्यों की मांग पर चलाई जा रही थीं, इसमें 85% खर्च रेलवे उठाता था
नई दिल्ली. रेलवे ने मंगलवार को बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए संबंधित राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के लिए इन ट्रेनों को चलाने के लिए रेलवे के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (एसओपी) को जारी किया। रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेयी ने बताया कि नई एसओपी के बाद श्रमिक विशेष ट्रेनों को चलाने के लिए राज्यों की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।
रेलवे रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाकर कामगारों को उनके घर पहुंचाने के लिये तैयार है, लेकिन मुझे दुख है कि कुछ राज्यों जैसे प.बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ, व झारखंड की सरकारों द्वारा इन ट्रेनों को अनुमति नही दी जा रही है, जिससे श्रमिकों को घर से दूर कष्ट सहना पड़ रहा है। pic.twitter.com/yolZ4mDGp9
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 15, 2020
गोयल ने बताया- सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के लिए 837 ट्रेनों की मंजूरी दी
इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को ट्वीट में बताया, ‘पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ इन ट्रेनों को मंजूरी देने के मामले में पीछे हैं।’ एक मई से रेलवे ने 1,565 प्रवासी श्रमिक ट्रेनों का चलाया गया है। 20 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाया है।
अभी तक क्या हो रहा था?
- पहले यह ट्रेनें राज्य सरकार की मांग पर चल रही थीं। इस दौरान गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है। कोच में यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जा रहा है। रवानगी और संबंधित स्टेशन पर पहुंचने पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी।
- गृह जिले में 14 दिन क्वारैंटाइन करने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाएगा। लोगों को भेजने वाली और बुलाने वाली राज्य सरकारों के आग्रह पर ही विशेष ट्रेनें चलेंगी। शुरुआती और आखिरी स्टेशन के बीच में ट्रेनें कहीं नहीं रुकेंगी। श्रमिकों को ट्रेन में बैठाने से पहले स्क्रीनिंग करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। जिन लोगों में लक्षण नहीं होंगे, उन्हें ही जाने की इजाजत मिलेगी।
PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में रेलवे द्वारा 20 लाख से अधिक कामगारों को 1,565 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर उनके घर भेजा जा चुका है।
अकेले उत्तर प्रदेश 837, बिहार 428 और मध्यप्रदेश 100 से अधिक ट्रेनों की अनुमति दे चुके है। pic.twitter.com/REUCr0KYEB
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 19, 2020
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर दो विवाद हुए
- पहला- मजदूरों के किराए पर : कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार मजदूरों से ट्रेन का किराया ले रही है, जो कि शर्मनाक है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस की सभी प्रदेश यूनिट से कहा था कि वे मजदूरों के टिकट का खर्च वो उठाएं। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि श्रमिक ट्रेनें राज्यों की डिमांड पर चलाई जा रही हैं और इसमें यात्रा का 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है, जबकि 15 फीसदी राज्य सरकारों को देना है।
- दूसरा- राज्य ट्रेनें चलाने की अनुमति नहीं दे रहे: सबसे पहले आरोप पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लगा था। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ममता ट्रेनों की मंजूरी न देकर मजदूरों के साथ अन्याय कर रही हैं। इसके बाद खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे। उधर, ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र सरकार मजदूरों की घर वापसी पर राजनीति कर रही है।