राहुल ने मोदी की तारीफ की, UPA की खामी गिनाई:बजट सत्र में बोले- मेक इन इंडिया अच्छा आइडिया, बेरोजगारी का जवाब UPA भी नहीं दे पाई

राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण का जिक्र किया। राहुल बोले- हम अपने प्रधानमंत्री को शपथ ग्रहण में बुलाने के लिए, विदेश मंत्री को भी नहीं भेजते। अगर हमारे पास उत्पादन प्रणाली होती, अगर हम तकनीकों पर काम कर रहे होते तो अमेरिकी राष्ट्रपति खुद यहां आते और प्रधानमंत्री को आमंत्रित करते। इस पर किरेन रिजिजू ने उन्हें टोका और कहा, 'विपक्ष के नेता ऐसे गंभीर और तथ्यहीन बयान नहीं दे सकते। यह दो देशों के बीच संबंधों से जुड़ा है। वह हमारे देश के प्रधानमंत्री के निमंत्रण के बारे में एक अधूरा बयान दे रहे हैं। इसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, 'मैं आपकी मानसिक शांति को भंग करने के लिए माफी चाहता हूं।'

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संसद में बजट सत्र के तीसरे दिन सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में राहुल गांधी 40 मिनट बोले। उन्होंने कहा- मैंने राष्ट्रपति का भाषण सुना। वे पिछले कई सालों से यही बातें दोहरा रही हैं। आज मैं बताऊंगा कि उनका संबोधन कैसा हो सकता था।

राहुल ने कहा- बेरोजगारी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली हमारी UPA सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की NDA सरकार कुछ नहीं कर पाई। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। PM मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ एक अच्छा आइडिया था, लेकिन नतीजा आपके सामने है। मैं प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे रहा, यह कहना सही नहीं कि उन्होंने कोशिश नहीं की, लेकिन वे असफल रहे।

1. बेरोजगारी पर UPA सरकार को भी घेरा राहुल ने स्पीच में अपनी सरकार की भी खामी गिनाई। उन्होंने कहा- देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान कांग्रेस नेतृत्व वाली UPA की सरकार भी अपने 10 साल के शासनकाल में नहीं कर पाई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भी पिछले 10 साल में इस पर कुछ नहीं कर पाई।

2. मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कॉन्सेप्ट की तारीफ की राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा- देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की जरूरत है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 2014 में 15.3% से घटकर आज 12.6% रह गई है। यह 60 वर्षों में सबसे कम है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे बढ़ाने का प्रयास किया। वे मेक इन इंडिया कॉन्सेप्ट लेकर आए। यह अच्छा प्रयास था, लेकिन सफल नहीं हुए।

3.वोटर्स डेटा में गड़बड़ी का आरोप लगाया नेता विपक्ष बोले कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के वक्त जितना वोट था, सिर्फ 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव के दौरान उसमें हिमाचल प्रदेश जितना बड़ा वोटिंग रोल जोड़ दिया गया। जितने 5 साल में जोड़े जाते हैं, उतने 5 महीने में जोड़ दिए गए। दिलचस्प बात है कि नए वोटर्स उन्हीं विधानसभाओं में ज्यादा हैं, जहां भाजपा जीती है। हिमाचल प्रदेश जितने बड़े वोटर्स लोकसभा के बाद जादू से आए कैसे। इलेक्शन कमीशन से हम कह रहे हैं कि हमें लोकसभा की वोटर लिस्ट इलेक्ट्रॉनिकली दीजिए।

4. चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाया राहुल गांधी ने कहा कि हम रक्षा के बारे में बात करते हैं। आज हमारे सामने चीन है। प्रधानमंत्री ने इस बात से इनकार कर दिया कि उनकी सेना ने हमारी सीमा में घुसपैठ की। आर्मी उनसे सहमत नहीं थी। पता नहीं क्या वजह है कि अचानक हमारे आर्मी चीफ उनसे बातचीत कर रहे हैं। दूसरी तरफ हमारे चीफ ऑफ डिफेंस कह रहे हैं कि चीन ने घुसपैठ कर ली है।

5. भाजपा ने पटेल-अंबेडकर के मूल्य नष्ट किए उन्होंने कहा कि मैंने सदन में शिवजी की पिक्चर दिखाई थी। एक कारण था, वह हमें बताती है कि फोकस रखो, भटको मत। काम पर ध्यान दो। आप सरदार पटेल की बात करते हैं, अंबेडकर की बात करते हैं। उनके मूल्यों को आपने नष्ट कर दिया। आपने बुद्ध के सामने सिर झुकाया, लेकिन उनके मूल्यों को ठुकरा दिया। हिंसा, घृणा की जगह नहीं होनी चाहिए, इससे देश नष्ट हो जाएगा।

राहुल गांधी ने कहा कि बजट भाषण घर की पुरानी लिस्ट की तरह था। मैं पूरे भाषण के दौरान बैठ भी नहीं पा रहा था। मैं जब वहां बैठा था तब मुझे लग रहा था कि कोई कहानी सुनाई जा रही हो। यह ऐसा धन्यवाद भाषण नहीं था, जैसा एक राष्ट्रपति का होना चाहिए था।

1. अमेरिकी प्रेसिडेंट के शपथ ग्रहण में PM की जगह विदेश मंत्री को भेजने वाली बात पर

ट्रम्प के शपथ ग्रहण वाले बयान पर राहुल को रिजिजू ने टोका।
ट्रम्प के शपथ ग्रहण वाले बयान पर राहुल को रिजिजू ने टोका।

राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण का जिक्र किया। राहुल बोले- हम अपने प्रधानमंत्री को शपथ ग्रहण में बुलाने के लिए, विदेश मंत्री को भी नहीं भेजते। अगर हमारे पास उत्पादन प्रणाली होती, अगर हम तकनीकों पर काम कर रहे होते तो अमेरिकी राष्ट्रपति खुद यहां आते और प्रधानमंत्री को आमंत्रित करते।

इस पर किरेन रिजिजू ने उन्हें टोका और कहा, ‘विपक्ष के नेता ऐसे गंभीर और तथ्यहीन बयान नहीं दे सकते। यह दो देशों के बीच संबंधों से जुड़ा है। वह हमारे देश के प्रधानमंत्री के निमंत्रण के बारे में एक अधूरा बयान दे रहे हैं। इसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ‘मैं आपकी मानसिक शांति को भंग करने के लिए माफी चाहता हूं।’

2. चीन के भारतीय सीमा में घुसकर 4 हजार वर्ग किमी पर कब्जे वाले बयान पर राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान चीन के भारतीय सीमा में घुसकर करीब 4000 वर्ग किमी की जमीन हथियाने पर भी बात की। उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री ने इस बात से इनकार किया है और सेना ने प्रधानमंत्री के इस दावे का खंडन किया है कि चीन हमारे 4000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर बैठा है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, “आप जो बोल रहे हैं, उसका सबूत आपको सदन में पेश करना होगा।”

3. सदन में RSS और मोहन भागवत का नाम लेकर चर्चा करने पर राहुल गांधी ने भाषण के दौरान कहा- मैं जानता हूं कि RSS ने कभी यह बात नहीं मानी कि देश पर संविधान राज करेगा। मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने राहुल को टोका और कहा कि जो व्यक्ति संसद का सदस्य नहीं है। उसकी चर्चा सदन में नहीं करनी चाहिए।

4. भाजपा में OBC, दलित और आदिवासी सांसदों को पावर नहीं राहुल ने कहा कि भाजपा के OBC, दलित और आदिवासी सांसदों को बोलने तक का पावर नहीं है। इस पर किरेन रिजिजू अपनी सीट से उठे और कहा- प्रधानमंत्री देश में सबसे बड़ा OBC चेहरा हैं। क्या वह यह नहीं देख सकते? देश के पीएम OBC हैं। वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। क्या वह यह नहीं देख सकते? क्या राहुल गांधी अंधे हैं?

मैं एक ST हूं। मैं देश के संसदीय कार्य मंत्री के रूप में काम कर रहा हूं। राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कानून मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं, वह SC हैं। क्या वह यह नहीं देख सकते? क्या कांग्रेस पार्टी ने कभी किसी आदिवासी या दलित को देश का कानून मंत्री बनाया है? क्या कांग्रेस ने एक ओबीसी को प्रधानमंत्री बनाया है? मुझे लगता है कि राहुल गांधी को नहीं पता कि वह क्या कहते हैं।

राहुल के बयान पर विदेश मंत्री जयशंकर बोले- राहुल ने झूठ बोला, देश की छवि बिगाड़ी

वहीं, राहुल के बयान पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- राहुल गांधी ने पिछले साल की उनकी अमेरिकी यात्रा पर लोकसभा में झूठ बोला है। मैं दिसंबर 2024 में बाइडेन प्रशासन के विदेश मंत्री और NSA से मिलने गया था। इस दौरान पीएम मोदी को अमेरिकी निमंत्रण को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।

जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व नेताओं के शपथ ग्रहण समारोह या इस तरह के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन में भारत का प्रतिनिधित्व राजदूत करते हैं। जयशंकर ने कहा कि विपक्षी नेता के ऐसे बयानों से विदेशों में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है।

जयशंकर बोले- शपथ ग्रहण समारोह में PM शामिल नहीं होते जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व नेताओं के शपथ ग्रहण समारोह या इस तरह के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन में भारत का प्रतिनिधित्व राजदूत करते हैं। जयशंकर ने कहा कि विपक्षी नेता के ऐसे बयानों से विदेशों में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है।

जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा-

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मैं बाइडेन प्रशासन के विदेश मंत्री और एनएसए से मिलने गया था। वहां मैंने हमारे डिप्लोमेट्स की बैठक की अध्यक्षता भी की। इसके बाद तत्कालीन विदेश मंत्री और एनएसए ने मुझसे मुलाकात की। इस दौरान किसी भी स्तर पर प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में निमंत्रण को लेकर चर्चा नहीं की गई।

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विदेश मंत्री ब्लिंकन, NSA सुलिवन से मिले थे जयशंकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर 24-29 दिसंबर तक अमेरिका के दौरे पर थे। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद भारत की तरफ से यह अमेरिका की पहली उच्च स्तरीय यात्रा थी। जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों ने बाइडेन प्रशासन के चार वर्षों में अमेरिका-भारत साझेदारी की प्रगति पर चर्चा की थी।

जयशंकर 27 दिसंबर को वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री से मिले थे।
जयशंकर 27 दिसंबर को वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री से मिले थे।
जयशंकर ने 27 सितंबर को वॉशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मुलाकात की थी।
जयशंकर ने 27 सितंबर को वॉशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मुलाकात की थी।

इससे पहले दिन में विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने बताया था कि दोनों के बीच भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी और हाल के क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं पर विचार-विमर्श हुआ। विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका में भारतीय महावाणिज्य दूतों के सम्मेलन की भी अध्यक्षता की थी। इस तरह के सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले वह पहले विदेश मंत्री बने थे।

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