99 साल बाद नई संसद बनेगी:मोदी ने नए संसद भवन का भूमिपूजन किया, कहा- लोकतंत्र जीवन का मंत्र और व्यवस्था का तंत्र

मोदी ने कहा-आज 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के लिए बड़े सौभाग्य और गर्व का दिन है, जब हम इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं। भारतीयों द्वारा, भारतीयता के विचार से ओतप्रोत भारत के संसद भवन के निर्माण का शुभारंभ लोकतांत्रिक परंपराओं के अहम पड़ावों में से एक है। हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के नए भवन को बनाएंगे। इससे पवित्र और क्या होगा, जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाएं तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा हमारी संसद की नई इमारत बने। नया संसद भवन का निर्माण नूतन और पुरातन के सहअस्तित्व का उदाहरण है।

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (10 दिसंबर) को संसद भवन की नई बिल्डिंग का भूमिपूजन किया। नए भवन में लोकसभा सांसदों के लिए लगभग 888 और राज्यसभा सांसदों के लिए 326 से ज्यादा सीटें होंगी। पार्लियामेंट हॉल में कुल 1,224 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे। मौजूदा संसद 1921 में बनना शुरू हुई थी, 6 साल बाद यानी 1927 में बनकर तैयार हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुराने संसद भवन ने आजादी के बाद के भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम किया और नया संसद भवन 21वीं सदी की आकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम बनेगा। इसमें सांसदों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और वर्क कल्चर में आधुनिक तौर-तरीके शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र जीवन का मंत्र भी है और व्यवस्था का तंत्र भी है।

नए संसद का भूमिपूजन करते मोदी।
नए संसद का भूमिपूजन करते मोदी।
New Parliament Building Needed For India? Check These Oldest Parliament Buildings In The World - भारत का संसद भवन मात्र 92 साल पुराना, क्‍या हमें सच में है 971 करोड़ रुपये की

मोदी के भाषण की 10 बातें

1. आज का दिन ऐतिहासिक
आज 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के लिए बड़े सौभाग्य और गर्व का दिन है, जब हम इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं। भारतीयों द्वारा, भारतीयता के विचार से ओतप्रोत भारत के संसद भवन के निर्माण का शुभारंभ लोकतांत्रिक परंपराओं के अहम पड़ावों में से एक है। हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के नए भवन को बनाएंगे। इससे पवित्र और क्या होगा, जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाएं तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा हमारी संसद की नई इमारत बने। नया संसद भवन का निर्माण नूतन और पुरातन के सहअस्तित्व का उदाहरण है।

2. लोकतंत्र के मंदिर को नमन
यह समय और जरूरतों के अनुरूप खुद में परिवर्तन लाने का प्रयास है। मैं वो क्षण कभी नहीं भूल सकता, जब 2014 में एक सांसद के तौर पर पहली बार मुझे संसद में आने का मौका मिला। लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने के पहले सिर झुकाकर इस मंदिर को नमन किया था।

3. पुरानी संसद ऐतिहासिक
हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन के बाद स्वतंत्र भारत को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है। आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी। इसी भवन में संविधान की रचना हुई, लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई। संसद की मौजूदा इमारत स्वतंत्र भारत के हर उतार-चढ़ाव, चुनौतियों, आशाओं, उम्मीदों का प्रतीक रही है। इस भवन में बना प्रत्येक कानून, संसद में कही गई गहरी बातें हमारे लोकतंत्र की धरोहर हैं।

4. पुरानी बिल्डिंग विश्राम चाहती है
संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यथार्थ को भी स्वीकारना उतना ही आवश्यक है। ये इमारत अब करीब-करीब 100 साल की हो रही है। बीते दशकों में इसे अपग्रेड किया गया। साउंड सिस्टम, आईटी सिस्टम के लिए जगह बढ़ाने के लिए दीवारें तोड़ी गईं। इतना कुछ होने के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम मांग रहा है।

5. नए भवन में नई व्यवस्थाएं होंगी
सांसदों से मिलने के लिए संसदीय क्षेत्र से लोग आते हैं, तो अभी संसद भवन में लोगों को दिक्कत होती है। आम जनता को अपनी कोई परेशानी अपने सांसद को बतानी है तो इसके लिए स्थान की कमी महसूस की जाती है। भविष्य में हर सांसद के पास ये सुविधा होगी कि वो अपने क्षेत्र के लोगों से मुलाकात कर सकें। जैसे नेशनल वॉर मेमोरियल ने राष्ट्रीय पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा।

6. भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी
लोकतंत्र भारत में क्यों सफल है और क्यों कभी लोकतंत्र पर आंच नहीं आ सकती, ये बात हमारी हर पीढ़ी को जानना-समझाना आवश्यक है। दुनिया में 13वीं शताब्दी में रचित एक किताब मैग्नाकार्टा की चर्चा होती है, लोग इसे लोकतंत्र की बुनियाद बताते हैं। भारत में बासवेश्वर जी (कर्नाटक) का अनुभव मंडपम इससे पहले ही 12वीं शताब्दी में आ चुका था। उन्होंने कहा था कि अनुभव मंडपम राज्य और राष्ट्र की उन्नति के लिए सभी को एकजुट होकर काम करने के लिए प्रेरित करती है। ये लोकतंत्र का ही एक स्वरूप था। 10वीं सदी के चोल काल के अभिलेखों पंचायत व्यवस्था उल्लिखित है।

7. 2600 साल पहले गणराज्य थे
ईसा पूर्व छठी सदी में शाक्य, मल्ल, वज्जि जैसे गण और गणराज्य हों, कलिंग हो, सभी ने लोकतंत्र को शासन का आधार बनाया था। ऋग्वेद में लोकतंत्र के विचार को समज्ञान यानी कलेक्टिव कॉन्शियसनेस के रूप में देखा गया है। आमतौर पर दूसरी जगहों पर जब डेमोक्रेसी की चर्चा होती है तो चुनाव, प्रक्रिया, मेंबर्स, गठन की रचना,शासन-प्रशासन जैसी चीजों के आसपास लोकतंत्र की परिभाषा रहती है। इस व्यस्था पर जोर देने को डेमोक्रेसी कहते हैं। भारत में लोकतंत्र एक संस्कार है। भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य, जीवन पद्धति, राष्ट्र जीवन की आत्मा है। भारत का लोकतंत्र सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है।

8. इंडिया इज मदर ऑफ डेमोक्रेसी
हम अपने लोकतंत्र का गुणगान करेंगे तो वो दिन दूर नहीं, जब दुनिया कहेगी कि इंडिया इज मदर ऑफ डेमोक्रेसी। दुनिया के अनेक देशों में जहां लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर अलग स्थिति बन रही है, वहीं भारत में लोकतंत्र नित्य नूतन हो रहा है। हाल में हमने देखा है कि कई लोकतांत्रिक देशों में वोटर टर्नआउट घट रहा है। इसके उलट भारत में हर चुनाव के साथ वोटर टर्नआउट बढ़ता हुआ देख रहे हैं। इसमें भी महिलाओं और युवाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ती जा रही है। अलग विचार, दृष्टिकोण ये सब बातें एक वाइब्रेंट डेमोक्रेसी को मजबूत करते हैं।

9. आचार-विचार-व्यवहार से प्राण प्रतिष्ठा होगी
नया संसद भवन भी तब तक एक इमारत ही रहेगा, जब तक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती। ये प्राण प्रतिष्ठा किसी एक मूर्ति की नहीं होगी, लोकतंत्र के इस मंदिर में इसका कोई विधि-विधान भी नहीं है। इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा जनप्रतिनिधियों का समर्पण, सेवाभाव करेगा। उनका आचार-विचार-व्यवहार इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेगा। एकता-अखंडता के लिए उनके प्रयास इस मंदिर की ऊर्जा बनेंगे। जब हर जनप्रतिनिधि अपना ज्ञान, कौशल, बुद्धि, शिक्षा और अनुभव पूर्ण रूप से निचोड़ देगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

10. सबसे पहले देश हित
1897 में विवेकानंद जी ने जनता के सामने कहा था कि अगले 50 सालों तक भारत माता की आराधना ही सर्वोपरि हो। उस महापुरुष की वाणी की ताकत, इसके ठीक 50 साल बाद 1947 में भारत को आजादी मिल गई थी। आज जब संसद के नए भवन का शिलान्यास हो रहा है तो देश को एक नए संकल्प का भी शिलान्यास करना है। विवेकानंदजी के आह्वान को याद कर संकल्प लेना है इंडिया फर्स्ट का। हर निर्णय एक ही तराजू में तौला जाए और वो तराजू है देश का हित सबसे पहले हो।

सर्वधर्म प्रार्थना हुई

भूमिपूजन में हर धर्म के लोगों से प्रार्थना कराई गई। कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला समेत कई नेता मौजूद थे।

भूमिपूजन में हर धर्म के प्रतिनिधि मौजूद थे।
भूमिपूजन में हर धर्म के प्रतिनिधि मौजूद थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रधानमंत्री को भूमिपूजन का बाकायदा न्योता दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर हम नए संसद भवन में दोनों सदनों के सेशन की शुरुआत करेंगे। नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
नए संसद भवन के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को नाराजगी जताई थी। इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत कोई कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक कि पेंडिंग अर्जियों पर आखिरी फैसला न सुना दिया जाए।

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टाटा को मिली जिम्मेदारी
अधिकारियों ने सितंबर में बताया था कि नए भवन को त्रिकोण (ट्राएंगल) के आकार में डिजाइन किया गया है। इसे मौजूदा परिसर के पास ही बनाया जाएगा। इस पर 861.90 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसे बनाने का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है।

भूमिपूजन कार्यक्रम में रतन टाटा भी मौजूद रहे।
भूमिपूजन कार्यक्रम में रतन टाटा भी मौजूद रहे।

देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने इसके लिए 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। वहीं, सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) की ओर से 940 करोड़ रुपये लागत बताई गई थी। आखिर में बाजी टाटा के हाथ लगी।

पुरानी पार्लियामेंट लुटियंस ने डिजाइन की थी
मौजूदा संसद भवन एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था। उन्होंने नई दिल्ली का कंस्ट्रक्शन और प्लानिंग भी की थी। गोल आकार में बना संसद भवन भारत की सबसे बेहतरीन इमारतों में शुमार है। इसके सामने महात्मा गांधी की प्रतिमा बनी है। ​​​

यह है सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान

  • सरकार ने राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच नई इमारतें बनाने के लिए सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान तैयार किया है।
  • इसी इलाके में सेंट्रल सेक्रेटेरिएट के लिए 10 बिल्डिंग बनाई जाएंगी। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा।
  • सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक, पुराने संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा।
  • इसमें लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। यह इमारत 13 एकड़ जमीन पर तैयार होगी।
  • Construction Of New Parliament Building Will Start In December - दिसंबर में  शुरू होगा नए संसद भवन का निर्माण, 2022 में होगा पूरा - Amar Ujala Hindi  News Live

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