नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आने वाली किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर्स के पब्लिकेशन पर उनके बेटे और बेटी में मतभेद हो गए हैं। बेटे अभिजीत मुखर्जी का कहना है कि बिना उनकी मंजूरी के पिता की किताब न छापी जाए। वहीं, बेटी शर्मिष्ठा ने कहा है कि भाई इस किताब के छपने में अड़चन न डालें। यह किताब अगले महीने मार्केट में आने वाली है।
यह विवाद अभिजीत के सोशल मीडिया पर शिकायत करने से शुरू हुआ। उन्होंने पब्लिकेशन हाउस को चिट्ठी लिखकर किताब को छापने पर रोक लगाने की गुजारिश की है। इस पर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अभिजीत से कहा कि वे पिता की लिखी आखिरी किताब के पब्लिश होने में बेवजह रुकावट पैदा न करें।
उन्होंने यह भी कहा है कि प्रणब मुखर्जी के विचार उनके अपने हैं। किसी को भी सस्ते प्रचार के लिए इन्हें पब्लिश होने से रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इससे हमारे दिवंगत पिता को बहुत परेशानी होगी। दोनों के बीच यह बहस सोशल मीडिया पर हुई।
पिछले हफ्ते कुछ अंश जारी किए गए थे
प्रणब मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर्स रूपा पब्लिकेशन से आने वाली है। पब्लिकेशन हाउस ने पिछले सप्ताह इसके कुछ अंश जारी किए थे। मीडिया में इसे लेकर खबरें भी आई थीं। 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी का इस साल अगस्त में निधन हो गया था।
सामने आए किताब के हिस्सों में 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार पर प्रणब मुखर्जी के विचार भी शामिल हैं। उन्होंने सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पार्टी और सरकार को चलाने के तरीके पर सवाल उठाए थे।
अभिजीत ने कहा- पहले मुझे फाइनल कॉपी दिखाएं
इस पर कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने सोशल मीडिया पर इन अंशों को प्रायोजित करार दिया। उन्होंने पब्लिकेशन हाउस से किताब का प्रकाशन रोकने के लिए कहा। अभिजीत ने कहा कि मैं इस किताब द प्रेसिडेंशियल मेमोयर्स के लेखक का बेटा होने के नाते आपसे संस्मरण का प्रकाशन रोकने की गुजारिश करता हूं। इसके कुछ अंश बिना मेरी मंजूरी के मीडिया प्लेटफार्म पर चल रहे हैं।
अभिजीत ने कहा कि वह किताब के पब्लिश होने से पहले उसे पढ़ना चाहते हैं। अगर उनके पिता होते तो यही वे भी करते। मेरे पिता अब नहीं हैं, इसलिए उनका बेटा होने के नाते मैं किताब की फाइनल कॉपी देखना चाहता हूं। मैं जब तक इसका कंटेंट नहीं देख लेता तक मेरी गुजारिश है कि बिना मेरी लिखित सहमति के इस किताब को पब्लिश न किया जाए। इस संबंध में मैंने आपको एक पत्र भेजा है। वह जल्द आप तक पहुंच जाएगा।
शर्मिष्ठा ने भाई को किताब का सही नाम बताया
इस पर प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने जवाब दिया कि वे अपने भाई से सहमत नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि किताब का नाम ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ है न कि द प्रेसिडेंशियल मेमोयर्स, जैसा कि अभिजीत ने लिखा है। शर्मिष्ठा कांग्रेस की प्रवक्ता भी हैं।
उन्होंने कहा कि मैं इस संस्मरण द प्रेसिडेंशियल ईयर्स के राइटर की बेटी हूं। मैं मेरे भाई से गुजारिश करती हूं कि वह हमारे पिता की लिखी आखिरी किताब के प्रकाशन में कोई रुकावट खड़ी न करें। उन्होंने बीमार होने से पहले इसे लिखकर पूरा किया था। मेरे पिता की लिखी इस आखिरी किताब में हाथों से लिखे नोट्स और कुछ टिप्पणियां हैं। इनके साथ वे मजबूती से खड़े रहे ।
किताब में कांग्रेस, मनमोहन और PM मोदी पर टिप्पणी
यह किताब प्रणब मुखर्जी के मेमोयर्स की चौथी किश्त होगी। इसमें उन्होंने 10 साल सरकार में रहने के बाद 2014 में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस पर टिप्पणी की है। संस्मरण में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दो सियासी विरोधी प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के साथ रिश्तों को साझा किया है।
पब्लिकेशन हाउस की ओर से जारी किताब के अंशों के मुताबिक, उन्होंने लिखा है कि डॉ. सिंह गठबंधन की फिक्र करते थे। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने यही किया। प्रणब मुखर्जी के मुताबिक, उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस की लीडरशिप ने पॉलिटिकल फोकस खो दिया। सोनिया गांधी पार्टी के मामले नहीं संभाल पा रही थीं, तब सदन में मनमोहन सिंह की लंबे समय तक गैरमौजूदगी ने पार्टी के सांसदों के साथ व्यक्तिगत संपर्क खत्म कर दिए।