नेहरू के बाद इंदिरा की तारीफ:बांग्लादेश में मोदी ने मुक्ति संग्राम में इंदिरा गांधी की भूमिका को याद किया, कहा- उस दौरान मैंने भी गिरफ्तारी दी थी

मोदी ने कहा, 'मैं आज याद कर रहा हूं बांग्लादेश के लाखों बेटे-बेटियों को, जिन्होंने अपने देश, भाषा और संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे। अपना खून दिया। अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। इसी साल भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 साल पूरे हो रहे हैं। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती का यह वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है। बंगबंधु ने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। भारतीयों के लिए गौरव की बात है कि उन्हें गांधी शांति सम्मान देने का अवसर मिला।'

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नई दिल्ली/ढाका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 2 दिन के दौरे पर बांग्लादेश पहुंचे। यहां वे ढाका के नेशनल परेड स्क्वॉयर में नेशनल डे प्रोग्राम में शामिल हुए। मोदी ने अपने भाषण में बांग्लादेश की आजादी के दौरान इंदिरा गांधी की भूमिका की तारीफ की। इससे पहले, 12 मार्च को दांडी मार्च के लिए आयोजित कार्यक्रम में जवाहर लाल नेहरू की तारीफ की थी। इस तरह मोदी ने 14 दिन के अंदर नेहरू-इंदिरा दोनों की तारीफ की है। इससे पहले यही दोनों अलग-अलग मुद्दों को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे हैं।

ढाका में मोदी ने कहा, ‘आज का यह अवसर बंगबंधु के विजन और आदर्शों को याद करने का दिन है। ये समय चिरोविद्रोही को, मुक्ति युद्ध की भावना को फिर से याद करने का समय है। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधीजी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में 6 दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपनी जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, बल्कि इतिहास को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।’

मोदी ने कहा, ‘मैं आज याद कर रहा हूं बांग्लादेश के लाखों बेटे-बेटियों को, जिन्होंने अपने देश, भाषा और संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे। अपना खून दिया। अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। इसी साल भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 साल पूरे हो रहे हैं। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती का यह वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है। बंगबंधु ने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। भारतीयों के लिए गौरव की बात है कि उन्हें गांधी शांति सम्मान देने का अवसर मिला।’

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को दिया गया गांधी शांति पुरस्कार मोदी ने उनकी छोटी बेटी शेख रेहाना को सौंपा।
बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को दिया गया गांधी शांति पुरस्कार मोदी ने उनकी छोटी बेटी शेख रेहाना को सौंपा।

बांग्लादेश की आजादी के लिए भारतीय जवानों ने खून बहाया
‘बांग्लादेश में आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे। हमारे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि शेख मुजीबुर रहमान का जीवन धैर्य और आत्मसंयम का प्रतीक है। यह सुखद संयोग है कि बांग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष के पड़ाव एक साथ आया है। दोनों ही देशों के 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों का यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत साझा है, हमारा विकास भी साझा है, हमारे लक्ष्य भी साझा हैं और हमारी चुनौतियां भी साझा हैं।’

आतंकवाद के खतरे से चेताया, मिलकर मुकाबला करने की अपील
‘हमें याद रखना है कि कारोबार में हमारे लिए एक जैसी संभावनाएं हैं तो आतंकवाद जैसे समान खतरे भी हैं। जो सोच और शक्तियां इस प्रकार की अमानवीय घटनाओं को अंजाम देती हैं वे अब भी सक्रिय हैं। हमें उनसे सावधान भी रहना है और मुकाबला करने के लिए संगठित भी रहना होगा। हम दोनों देशों के पास लोकतंत्र की ताकत है। आगे बढ़ने का विजन है। भारत और बांग्लादेश एक साथ मिलकर आगे बढ़ें। यह इस क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है।’

मोदी बोले- बांग्लादेश की आजादी के लिए मैंने भी सत्याग्रह किया था
‘बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक है। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी। मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में मैंने गिरफ्तारी दी थी। जेल जाने का भी अवसर आया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही उधर भी थी। यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए, वो तस्वीरें विचलित करती थीं, उन्होंने कई दिन तक सोने नहीं दिया।’

बंगबंधु बांग्लादेश के लोगों के लिए आशा की किरण थे
‘एक निरंकुश सरकार अपने ही नागरिकों का जनसंहार कर रही थी। उनकी भाषा, उनकी आवाज, उनकी पहचान को कुचल रही थी। ऑपरेशन सर्च लाइट की उस क्रूरता को, दमन और अत्याचार के बारे में विश्व में उतनी चर्चा नहीं हुई है जितनी होनी चाहिए। इन सबके बीच यहां के लोगों के लिए बंगबंधु मुजीबुर रहमान आशा की किरण थे। उनके हौसले, उनके नेतृत्व ने यह तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को गुलाम नहीं रख सकती। बंगबंधु ने ऐलान किया था कि इस बार संग्राम मुक्ति के लिए है। उनके नेतृत्व में यहां के सामान्य नागरिक, किसान, शिक्षक, छात्र सब एक साथ आकर मुक्तिवाहिनी बन गए।’

ढाका के नेशनल परेड स्क्वॉयर में आयोजित बांग्लादेश के नेशनल डे प्रोग्राम में PM मोदी।
ढाका के नेशनल परेड स्क्वॉयर में आयोजित बांग्लादेश के नेशनल डे प्रोग्राम में PM मोदी।

भारतीय सेना ने बांग्लादेश की आजादी में मदद की
‘मैं भारतीय सेना के वीर जवानों को भी याद करता हूं जो मुक्ति युद्ध में बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़े हुए थे। उन्होंने आजाद बांग्लादेश के सपने का साकार करने में भूमिका निभाई। सैम मानेक शॉ, जनरल जैकब, अल्बर्ट एक्का जैसे अनगिनत वीर जिनके साहस की कथाएं हमें प्रेरित करती हैं। बांग्लादेश सरकार ने इन वीरों की याद में वॉर मेमोरियल समर्पित किया है। मुक्ति युद्ध में शामिल रहे कई भारतीय सैनिक भी आज इस कार्यक्रम में मौजूद हैं।’

बांग्लादेश के युवाओं के लिए स्कॉलरशिप
‘हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है। हमारा लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट भी इसका गवाह है। कोरोना के इस कालखंड में भी दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल रहा। हमने सार्क कोरोना फंड में सहयोग किया। भारत को इस बात की बहुत खुशी है कि मेड इन इंडिया वैक्सीन बांग्लादेश के हमारे भाई बहनों के काम आ रही है। मुझे याद है वो तस्वीरें जब इस साल 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस पर बांग्लादेश आर्म्ड फोर्सेज ने दिल्ली में परेड की थी।’

‘भारत और बांग्लादेश का भविष्य सद्भाव भरे, आपसी विश्वास भरे ऐसे ही अनगिनत पलों को इंतजार कर रहा है। इन संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों के यूथ में बेहतर कनेक्ट भी उतना ही जरूरी है।भारत-बांग्लादेश के संबंधों के 50 साल होने पर मैं बांग्लादेश के 50 उद्यमियों को भारत आमंत्रित करना चाहता हूं। हम उनसे सीखेंगे, उन्हें भी सीखने का मौका मिलेगा। मैं इसके साथ बांग्लादेश के युवाओं के लिए सुवर्नो जयंती स्कॉलरशिप की घोषणा कर रहा हूं।’

भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात की
नरेंद्र मोदी सुबह करीब 10:15 बजे ढाका के हजरत शाह जलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। यहां बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी अगवानी की। मोदी को एयरपोर्ट पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वे कोरोना वैक्सीन के 12 लाख डोज तोहफे के तौर पर लेकर बांग्लादेश पहुंचे हैं। उन्होंने ढाका में लिबरेशन वॉर फाइटर मुक्तियोद्धओं से भी मुलाकात की। मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिले।

इस पर बांग्लादेश के विदेशमंत्री अब्दुल मोमीन ने वैक्सीन देने का वादा निभाने पर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे PM को आश्वासन दिया था कि अगर भारत वैक्सीन विकसित करता है, तो बांग्लादेश को वैक्सीन उसी समय मिल जाएगी। उन्होंने अपनी बात पूरी की और लोगों का दिल और दिमाग जीत लिया।

कोरोना की लड़ाई में बांग्लादेश भी भारत के साथ शामिल हुआ: विदेशमंत्री
बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमीन ने साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी ने जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, उसमें बांग्लादेश भी शामिल हुआ है। भारत की तरफ से यह अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि PM मोदी ने पिछले साल 15 मार्च को SAARC के नेताओं को एक साथ लाने का काम किया था। साथ ही कोरोना के खिलाफ मिलकर काम करने पर जोर दिया था। कोरोना वायरस एक वैश्विक मुद्दा है और हमें खुशी है कि भारत के प्रधानमंत्री ने नेतृत्व को संभाले रखा और हम भी इसमें शामिल हुए।​​​​​​

बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी

उन्होंने विजिटर बुक में लिखा कि शहीदों का बलिदान भविष्य की पीढ़ी को हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है। साथ ही हमेशा सच्चाई के साथ खड़े होने के लिए प्रेरित करता है।

PM मोदी ने विजिटर बुकर पर संदेश लिखा।
PM मोदी ने विजिटर बुकर पर संदेश लिखा।

राष्ट्रीय शहीद स्मारक भी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के शहीदों को शहीद स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने शहीदों के संघर्ष और बलिदान को प्रेरणादायक बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के शहीदों को शहीद स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने शहीदों के संघर्ष और बलिदान को प्रेरणादायक बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ढाका में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर पौधा लगाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ढाका में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर पौधा लगाया।

बांग्लादेश के क्रिकेटर शाकिब अल हसन ने की PM मोदी से मुलाकात
बांग्लादेश क्रिकेटर शाकिब अल हसन ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से मिलना सम्मान की बात है। मुझे लगता है कि उनकी यह यात्रा दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगी। उन्होंने भारत में नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया है। मुझे आशा है कि वो भविष्य में भी भारत को आगे बढ़ाएंगे। भारत के साथ हमारे रिश्ते आगे भी अच्छे होंगे।

काली मंदिर में पूजा के बाद हसीना के गांव जाएंगे
27 मार्च की सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेजगांव केंटोनमेंट से ढाका से 300 किलोमीटर की दूरी पर सतखिरा के श्यामानगर के ईश्वरीपुर गांव स्थित श्री श्री जसोरेश्वरी काली मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचेंगे। यहां पूजा अर्चना करने के बाद प्रधानमंत्री हेलिकॉप्टर से बंगबंधु मुजीबुर रहमान की जन्म स्थली तुंगिपारा पहुंचेंगे। यह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना का पैतृक गांव है। यहां एक बार फिर शेख हसीना उनकी अगवानी करेंगी। यहां बने स्मारक में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है।

मतुआ समुदाय के सबसे बड़े तीर्थ स्थल जाएंगे
दोनों प्रधानमंत्री बंगबंधु स्मारक जाएंगे। वहां से एक बार फिर PM हेलिकॉप्टर से गोपालगंज के ओराकंडी जाएंगे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओराकंडी में मतुआ समुदाय के सबसे बड़े तीर्थ स्थल ठाकुरबाड़ी में दर्शन करेंगे। वे यहां करीब 300 मतुआ धर्म प्रचारकों को संबोधित करेंगे।

कोरोना के चलते साल 2020 में यात्रा रद्द की गई थी
बीते साल कोरोना संक्रमण के शुरुआत के बाद PM की जो विदेश यात्रा मार्च 2020 में रद्द की गई थी वो बांग्लादेश की ही थी। PM मोदी को शेख मुजीबुर रहमान जन्मशती कार्यक्रम में शरीक होने के लिए पहले 17 मार्च 2020 को बांग्लादेश की यात्रा करनी थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के बीच अपनी विदेश यात्राओं का सिलसिला शुरू करने के लिए उन्होंने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश को ही चुना।

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