कृषि क्षेत्र में बजट पर मोदी:PM ने कहा- समय आ गया है कि खेती में प्राइवेट सेक्टर का योगदान बढ़े, किसान गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहें
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘हमें किसानों को ऐसी टेक्नोलॉजी, ऐसे बीज उपलब्ध करवाने हैं जो जमीन के लिए उपयोगी हों और जिनमें न्यूट्रिशन की मात्रा भी हो। हमें एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा देना होगा, युवाओं को जोड़ना होगा। कोरोना के समय हमने देखा है कि कैसे स्टार्टअप्स ने फलों और सब्जियों को लोगों के घरों तक पहुंचाया। देखा गया है कि ज्यादातर स्टार्टअप युवाओं ने ही शुरू किए।’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हमारे देश में पहले से होती रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का है। अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी बढ़े। होलिस्टिक अप्रोच चाहिए, पूरा साइकल होना चाहिए। हमें किसानों को ऐसा विकल्प देना चाहिए कि वे गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहें। प्रधानमंत्री कृषि क्षेत्र में बजट लागू करने को लेकर हुए वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
Most of the contribution towards research and development in the agriculture sector has been made by the public sector. Now the time has come for increased participation of private sector in this: PM Narendra Modi speaks on steps taken for agriculture in Budget 2021-22 pic.twitter.com/PY0vgo3U5T
— ANI (@ANI) March 1, 2021
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘हमें किसानों को ऐसी टेक्नोलॉजी, ऐसे बीज उपलब्ध करवाने हैं जो जमीन के लिए उपयोगी हों और जिनमें न्यूट्रिशन की मात्रा भी हो। हमें एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा देना होगा, युवाओं को जोड़ना होगा। कोरोना के समय हमने देखा है कि कैसे स्टार्टअप्स ने फलों और सब्जियों को लोगों के घरों तक पहुंचाया। देखा गया है कि ज्यादातर स्टार्टअप युवाओं ने ही शुरू किए।’
मोदी के भाषण की अहम बातें
सरकार का विजन स्पष्ट
माइक्रो इरिगेशन फंड की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है। देश की 1000 और मंडियों को ई-नाम से जोड़ने का फैसला लिया गया है। इन सारे फैसलों में सरकार की सोच झलकती है, इरादा महसूस होता है और सरकार के विजन का पता चलता है।
हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का, Processed Food के वैश्विक मार्केट में विस्तार करना ही होगा।
हमें गांव के पास ही Agro-Industries Clusters की संख्या बढ़ानी ही होगी ताकि गांव के लोगों को गांव में ही खेती से जुड़े रोज़गार मिल सकें: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 1, 2021
भारत को फूड प्रोसेसिंग क्रांति की जरूरत
लगातार बढ़ते हुए कृषि उत्पादन के बीच 21वीं सदी में भारत को फूड प्रोसेसिंग क्रांति और वैल्यू एडिशन की आवश्यकता है। देश के लिए बहुत अच्छा होता, अगर ये काम 2-3 दशक पहले ही कर लिया गया होता। अब जो समय बीत गया है, उसकी भरपाई तो करनी ही है। आने वाले दिनों के लिए अपनी तैयारी और तेजी को भी बढ़ाना है।
प्राइवेट और को-ऑपरेटिव सेक्टर को आगे आना होगा
हमें एग्रीकल्चर के हर क्षेत्र में प्रोसेसिंग पर सबसे ज्यादा फोकस करना है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांव के पास ही स्टोरेज की सुविधा मिले। खेत से प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाने की व्यवस्था सुधारनी ही होगी। हम सब जानते हैं कि फूड प्रोसेसिंग क्रांति के लिए किसानों के साथ ही पब्लिक, प्राइवेट और को-ऑपरेटिव सेक्टर को पूरी ताकत से आगे आना होगा। हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का प्रोसेस फूड के वैश्विक मार्केट में विस्तार करना ही होगा।
एग्रीकल्चर सेक्टर में R&D को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का ही है।
अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़े: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 1, 2021
फिशरीज सेक्टर में प्रोसेसिंग का स्कोप
सिर्फ खेती ही नहीं, फिशरीज सेक्टर में भी प्रोसेसिंग का बहुत बड़ा स्कोप हमारे यहा हैं। भले ही हम दुनिया के बड़े फिश एक्सपोर्टर में से हैं, लेकिन वैश्विक मार्केट में हमारी उपस्थिति बहुत सीमित है। ये स्थिति बदलनी होगी। इसके लिए जरूरी रिफॉर्म्स के अलावा करीब 11000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम सरकार ने बनाई है।
किसान रेल कोल्ड स्टोरेज का सशक्त माध्यम
ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत किसान रेल के लिए सभी फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50% सब्सिडी दी जा रही है। किसान रेल भी आज देश के कोल्ड स्टोरेज का सशक्त माध्यम बनी है। बीते 6 महीने में ही करीब 275 किसान रेलें चलाई जा चुकी हैं। ये छोटे किसानों के लिए बहुत बड़ा माध्यम तो हैं ही, कंज्यूमर और इंडस्ट्री को भी इसका लाभ हो रहा है।
आज हमें कृषि के हर सेक्टर में प्रोसेसिंग पर सबसे ज़्यादा ध्यान देना है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांवों के पास ही स्टोरेज की आधुनिक सुविधा मिले। खेत से प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचने की व्यवस्था सुधारनी ही होगी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी https://t.co/5MDZSztPDL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 1, 2021
छोटे किसान को लाभ कैसे मिले, इस पर फोकस करना होगा
आत्मनिर्भर अभियान के तहत लाखों छोटी फूड एंड प्रोसेसिंग यूनिट्स को मदद की जा रही है। फूड प्रोसेसिंग के साथ ही इस बात पर फोकस करना है कि छोटे से छोटे किसान को भी आधुनिक तकनीक का लाभ कैसे मिले। क्या ट्रैक्टर और दूसरी मशीनों को शेयर करने का एक सस्ता विकल्प किसानों को दिया जा सकता है। आज जब हवाई जहाज को घंटों के हिसाब से किराए पर ले जा सकते हैं, तो किसानों के लिए भी ऐसी व्यवस्था की जा सकती है।
सॉइल हेल्थ कार्ड गांव-गांव तक पहुंचाने होंगे
खेती से जुड़ा एक और अहम पहलू सॉइल टेस्टिंग का है। बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। हमें सॉइल हेल्थ कार्ड की टेस्टिंग की सुविधा गांव-गांव तक पहुंचानी है। उसमें प्राइवेट पार्टी बहुत बड़ी मात्रा में जुड़ सकती हैं। एक बार किसानों को सॉइल टेस्टिंग की आदत हो जाए, अपनी जमीन की सेहत को लेकर वे जागरुक होंगे, तो उन्हें फायदा होगा।