मोदी बोले- कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के साथ सौतेला व्यवहार किया:हमने धारणा बदली, अब नॉर्थ-ईस्ट न दिल्ली से दूर है, न दिल से दूर

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नई दिल्ली.आजादी के बाद पूर्वोत्तर राज्य दशकों तक हाशिए पर रहे। कांग्रेस सरकारों ने यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया। हमने इस धारणा को बदला कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है। आज पूर्वोत्तर न दिल्ली से दूर है और न दिल से दूर है। पूर्वोत्तर ने दुनिया को दिखाया है कि जब नीयत सही होती है, तो नतीजे भी सही होते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘द असम ट्रिब्यून’ को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं। उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट की चुनौतियों और उससे निपटने के लिए केंद्र की पहल पर चर्चा की। उन्होंने असम में उग्रवाद, अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के दावे, मणिपुर हिंसा, नगालैंड में राजनीतिक संघर्ष और मिजोरम में घुसपैठ की समस्या पर बात की।

मोदी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। मणिपुर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना होगा। यह हम सबकी जिम्मेदारी है। PM ने बताया कि पिछले 10 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट के विकास के लिए क्या कदम उठाए।

पढ़िए इंटरव्यू के मुख्य अंश…

सवाल: प्रधानमंत्री के रूप में आपने 10 साल के कार्यकाल में पूर्वोत्तर की किन-किन समस्याओं का समाधान किया? आप कई बार यहां के राज्यों का दौरा कर चुके हैं। आप यहां की समस्याओं और चुनौतियों से परिचित होंगे।

PM का जवाब: कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया क्योंकि उन्हें चुनावी फायदा कम मिलता था। वे कहते थे कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है और इसके विकास के लिए काम करना मुश्किल है।

मैं पिछले 10 सालों में लगभग 70 बार पूर्वोत्तर आया हूं। यह आंकड़ा पूर्वोत्तर में मुझसे पहले के सभी प्रधानमंत्रियों की कुल यात्राओं से भी ज्यादा है। 2015 के बाद से हमारे केंद्रीय मंत्री 680 से अधिक बार पूर्वोत्तर आए हैं। हमने इस धारणा को बदला है कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है। आज पूर्वोत्तर न दिल्ली से दूर है और ना दिल से दूर है। पूर्वोत्तर ने दुनिया को दिखाया है कि जब नीयत सही हो तो नतीजे भी सही होते हैं।

पिछले 5 साल में हमने यहां के विकास के लिए कांग्रेस या पिछली किसी भी सरकार के फंड से लगभग 4 गुना ज्यादा निवेश किया है। हमने लंबे समय से पेंडिंग बोगीबील ब्रिज और भूपेन हजारिका सेतु जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को पूरा किया। कनेक्टिविटी बढ़ने से लोगों का जीवन आसान हुआ है।

हमने पूर्वोत्तर के युवाओं के लिए शिक्षा, खेल, उद्यमिता और कई अन्य क्षेत्रों में दरवाजे खोले। 2014 के बाद से पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा के लिए 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं। मणिपुर में देश का पहला स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खोला गया। हम पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में 200 से अधिक खेलो इंडिया केंद्र बना रहे हैं।

पिछले दशक में इस क्षेत्र से 4 हजार से अधिक स्टार्टअप उभरे हैं। यहां कृषि फल-फूल रही है। फलों के निर्यात, जैविक खेती और मिशन ऑयल पाम से काफी समृद्धि आ रही है। आज पूर्वोत्तर सभी क्षेत्रों में सबसे आगे है।

सवाल: पूर्वोत्तर में उग्रवाद एक बड़ी समस्या है। आपके कार्यकाल में असम सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के उग्रवादी समूहों ने हथियार डाल दिए हैं। उग्रवाद को जड़ से खत्म करने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं?

PM का जवाब: विद्रोह, घुसपैठ और संस्थागत उपेक्षा का एक लंबा इतिहास रहा है। हमने उग्रवाद को काफी हद तक कंट्रोल किया है। हम अपने लोगों का विश्वास जीतने और शांति कायम करने में भी सफल रहे हैं।

पिछले 10 सालों में कुल 11 शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह पिछली किसी भी सरकार में किए गए शांति समझौतों से ज्यादा है। 2014 से अब तक 9 हजार 500 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया और समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए।

पूर्वोत्तर में 2014 के बाद से सुरक्षा स्थिति बेहतर हुई है। 2014 की तुलना में 2023 में उग्रवाद की घटनाओं में 71 फीसदी की कमी आई है। सुरक्षाबलों के शहीद होने की संख्या 60 फीसदी कम हुई है। नागरिकों की मौत के मामले 82 फीसदी कम हुए हैं। पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्सों से AFSPA हटा लिया गया है।

हमने असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद का समाधान निकाला, जिससे 123 गांवों को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद खत्म हुआ। असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना विवाद हमने सुलझाया। बोडो और ब्रू-रियांग जैसे शांति समझौतों के कारण कई उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया।

सवाल: चीन सालों से अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करता आ रहा है। क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है? राज्य का हर इंच भारत के भीतर रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कर रहे हैं ?

PM का जवाब: अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। आज सूरज की पहली किरण की तरह अरुणाचल और नॉर्थ-ईस्ट तक विकास के काम पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से पहुंच रहे हैं। पिछले महीने मैं ‘विकसित भारत, विकसित पूर्वोत्तर’ कार्यक्रम के लिए ईटानगर गया था। मैंने वहां 55 हजार करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का अनावरण किया, जो विकसित नॉर्थ-ईस्ट की गारंटी देती है।

अरुणाचल में लगभग 35 हजार परिवारों को पक्के घर मिले। 45 हजार परिवारों को पेयजल आपूर्ति परियोजना का लाभ मिला। मैंने हाल ही में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बने सेला टनल का उद्घाटन किया, जो तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी देकर एक गेम-चेंजर की भूमिका निभाएगी।

हमने अरुणाचल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए 2022 में डोनयी पोलो एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। लगभग 125 गांवों के लिए नई सड़क परियोजनाएं और 150 गांवों में पर्यटन और अन्य बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाएं शुरू कीं। सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए की उन्नति योजना भी शुरू की है, जो उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में निवेश और नौकरियों के लिए नई संभावनाएं लाएगी।

सवाल: आप मणिपुर की स्थिति को कैसे आंकते हैं? राज्य में शांति के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष ने आपकी आलोचना की थी। उस पर आप क्या कहेंगे?

PM का जवाब: मैं इस बारे में पहले ही संसद में बोल चुका हूं। मणिपुर की स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना होगा। यह हम सबकी जिम्मेदारी है। हमने हिंसा खत्म करने के लिए अपना सबसे बेहतर संसाधन और प्रशासनिक मशीनरी तैनात की है।

समय पर केंद्र के हस्तक्षेप और मणिपुर सरकार के प्रयासों के कारण राज्य की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। जब संघर्ष अपने चरम पर था, तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में जाकर रहे थे। उन्होंने 15 से अधिक बैठकें कीं। राज्य सरकार की जरूरत के हिसाब से केंद्र लगातार अपना समर्थन दे रहा है। राहत और पुनर्वास का काम जारी है।

सवाल: NSCN (IM) के साथ फ्रेमवर्क समझौते पर 2015 में आपकी मौजूदगी में साइन किए गए थे। इस पर अंतिम समाधान की उम्मीद कब तक की जा सकती है?

PM का जवाब: नगालैंड में दशकों से राजनीतिक समस्या चलती आ रही है। इसके स्थायी समाधान के लिए हमारी सरकार ने पहल की है। 3 अगस्त 2015 को नगालैंड के नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड/इसाक मुइवा ग्रुप के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर साइन किए गए।

इस समझौते के आधार पर अंतिम समझौते पर काम किया जाएगा। भारत सरकार के प्रतिनिधि NSCN (IM) और अन्य नगा समूहों के साथ बातचीत कर रहे हैं। केंद्र सरकार नगा समूहों के साथ शांति वार्ता को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रही है।

सवाल: पिछले कुछ समय से मिजोरम में म्यांमार से लोगों के घुसपैठ के कारण परेशानी काफी बढ़ी है। सरकार इसको लेकर क्या कदम उठा रही है?

PM का जवाब: भारत में म्यांमार के लोगों की घुसपैठ का सबसे बड़ा कारण म्यांमार के भीतर हो रही घटनाएं हैं। हमने कई बार म्यांमार के सामने इस मुद्दे को उठाया है क्योंकि इसका सीधा असर भारत खासकर पूर्वोत्तर राज्यों पर पड़ता है।

घुसपैठ को रोकने और हमारी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए हमने भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रिजीम को खत्म करने का फैसला लिया। दोनों देशों के बॉर्डर पर तैनात सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाया गया है।

केंद्र ने भारत-म्यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग का काम शुरू कर दिया है। हमने मिजोरम सरकार से राज्य में अवैध प्रवासियों के बायोमेट्रिक डेटा को इकट्ठा करने के लिए एक अभियान चलाने को कहा है। भारत सरकार बायोमेट्रिक कैप्चर योजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार जरूरी सहायता पहुंचा रही है।

हम जमीनी स्तर पर बदलते हालात के साथ तालमेल बिठाने के लिए अपनी पॉलिसी में बदलाव ला रहे हैं। हम म्यांमार में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता लौटते देखना चाहते हैं ताकि उनके लोग अपने देश लौट सकें।

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