पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट की हिदायत:चीफ जस्टिस ने पिटीशनर्स से कहा- हद पार न करें, सभी की बात सुनी जाएगी; सोशल मीडिया पर बहस से बचें

पिटीशनर्स ने ये भी कहा है कि मिलिट्री ग्रेड के स्पाइवेयर से जासूसी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पत्रकारों, डॉक्टर्स, वकील, एक्टिविस्ट, मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं के फोन हैक करना बोलने की आजादी के अधिकार से समझौता करना है।

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नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले से जुड़ी 9 अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा।इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 16 अगस्त तक टाल दी। लेकिन चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया और वेबसाइट्स पर चल रही बहस पर आपत्ति जताते हुए पिटीशनर्स को अनुशासन बरतने की हिदायत दी है।

CJI ने पिटीशनर्स से कहा, ‘किसी को हद पार नहीं करनी चाहिए। सभी की बात सुनी जाएगी। हम बहस के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मामला कोर्ट में है तो इसकी बात यहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया की बजाय बहस का उचित माध्यम चुनें और व्यवस्था का कुछ सम्मान करें।’

बता दें पेगासस मामले में पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से अर्जियां दायर कर SIT जांच की मांग की गई है। 5 अगस्त को हुई सुनवाई में CJI ने कहा था कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सही हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। साथ ही सभी पिटीशनर्स से कहा कि वे अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को मुहैया करवाएं, ताकि कोई नोटिस लेने के लिए मौजूद रहे।

कोर्ट ने बिना फ्रेमवर्क याचिकाएं दायर करने पर भी सवाल उठाए थे। साथ ही केंद्र को तुरंत नोटिस जारी करने से भी इंकार कर दिया था। पिछली सुनवाई की शुरुआत में ही CJI ने कहा था, ‘जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आई थी। मुझे नहीं पता कि और अधिक जानकारी जुटाने के लिए क्या प्रयास किए गए। अभी मामला क्यों उठा है। पिटीशनर्स कानून के जानकार लोग हैं, मगर अपने पक्ष में संबंधित सामग्री जुटाने में इतनी मेहनत नहीं की है कि हम जांच का आदेश दे सकें। जो खुद को प्रभावित बता रहे हैं, उन्होंने FIR ही नहीं कराई।’

पिटीशनर्स की मांग- सरकार बताए कि क्या पेगासस का इस्तेमाल किया?
पिटीशनर्स ने अपील की है कि पेगासस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर या मौजूदा जज की अध्यक्षता में गठित SIT से करवाई जाए। केंद्र को ये बताने के लिए कहा जाए कि क्या सरकार या फिर उसकी किसी एजेंसी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है? क्या पेगासस स्पाइवेयर का लाइसेंस लिया गया?

पिटीशनर्स ने ये भी कहा है कि मिलिट्री ग्रेड के स्पाइवेयर से जासूसी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पत्रकारों, डॉक्टर्स, वकील, एक्टिविस्ट, मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं के फोन हैक करना बोलने की आजादी के अधिकार से समझौता करना है।

क्या है पेगासस विवाद?
खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप का दावा है कि इजराइली कंपनी NSO के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। भारत में भी अब तक 300 नाम सामने आए हैं, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।

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