परमबीर सिंह को घेरने की तैयारी:उद्धव सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर की जांच सीनियर IPS संजय पांडे को सौंपी, दोनों में 36 का आंकड़ा
पिछले महीने ट्रांसफर होने के बाद पांडे 20 दिन की छुट्टी पर चले गए थे
मुंबई। महाराष्ट्र में अब सचिन वझे के मामले में नई लड़ाई शुरू हो रही है। राज्य सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को घेरने की तैयारी कर ली है। सरकार परमबीर सिंह की अलग से जांच करवा रही है। इसका जिम्मा परमबीर सिंह के कट्टर विरोधी सीनियर IPS संजय पांडे को दिया गया है।
सरकार ने संजय पांडे को पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। शुक्रवार देर रात इसकी घोषणा हुई। संजय पांडे को यह जिम्मेदारी देने के पीछे परमबीर सिंह की जांच बड़ी वजह है। कई साल से पुलिस कैडर से बाहर रहे संजय पांडे को इतनी आसानी से डीजी का अतिरिक्त चार्ज मिलना ही मुश्किल था। खासकर जब अगले साल उनका रिटायरमेंट है।
पांडे ने ठाकरे सरकार पर लगाए थे आरोप
बताया जा रहा है कि जिस ठाकरे सरकार पर संजय पांडे ने इतने आरोप लगाए, वह सरकार अचानक कैसे उन्हें डीजी का अतिरिक्त चार्ज दे सकती है? यही असली कहानी है कि सरकार परमबीर सिंह को निपटाने के लिए दोनों विरोधियों को आपस में लड़ा रही है। सरकार अब परमबीर सिंह से निपटने के मूड में है। इस पूरे मामले में मोहरा बने सचिन वझे के साथ अब परमबीर सिंह को भी लपेटा जाएगा।
संजय पांडे को पिछले महीने महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स में भेजा गया था। तब वे ठाकरे सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए थे। मामला बोर्ड के पास चला गया, लेकिन कहा जा रहा है कि इसी बीच सरकार और पांडे में डील हुई। इसके बाद ही संजय पांडे ने केस का फॉलोअप करना छोड़ दिया। संजय पांडे प्रदेश में सबसे सीनियर IPS अधिकारी हैं। वह 1986 बैच के IPS हैं। मार्च में जब उनका ट्रांसफर हुआ तो वे 20 दिन की छुट्टी पर चले गए थे। उन्होंने महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स ज्वॉइन नहीं की। साथ ही ठाकरे सरकार को एक लंबी चिट्ठी लिखी।
परमबीर सिंह ने जांच में अड़ंगा लगाया था
संजय पांडे ने चिट्ठी में लिखा था कि परमबीर सिंह ने ADG देवेन भारती की जांच में गवाहों को धमकाया था। अतिरिक्त सचिव ने इस मामले में जांच रुकवा दी थी। पांडे ने लिखा था कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री रहते हुए भारती की जांच का आदेश दिया था। जब जांच रिपोर्ट सौंपी गई तो इसकी तारीफ शरद पवार से लेकर सभी ने की। इसके बावजूद परमबीर और अतिरिक्त सचिव ने जांच रुकवा दी।
1 अप्रैल को दिया गया जांच का आदेश
जानकारी के मुताबिक, उद्धव सरकार ने 1 अप्रैल को परमबीर सिंह की जांच संजय पांडे को सौंपी थी। तब अनिल देशमुख राज्य के गृहमंत्री थे। कहा तो यह जा रहा है कि इसमें जांच में अगर कुछ पाया जाता है तो परमबीर सिंह को सस्पेंड किया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि जांच में कुछ न कुछ परमबीर सिंह के खिलाफ जा सकता है, खासकर जब जांच संजय पांडे कर रहे हैं।
सचिन वझे के गलत काम का ठीकरा परमबीर सिंह पर फूटेगा
जांच में यह पता लगाना है कि मुकेश अंबानी की सुरक्षा के मामले में NIA द्वारा गिरफ्तार किए गए सस्पेंड API सचिन वझे ने कैसे गलत काम किया और उनकी सीधी रिपोर्टिंग परमबीर सिंह को थी तो उन्होंने क्या किया? इसी तरह विधानसभा के बजट सत्र में परमबीर सिंह ने जो जानकारी सदन को अंबानी के मामले में दी थी, उसकी भी जांच की जाएगी।
कड़ियों को जोड़ने की योजना
दरअसल यह जांच पूरी तरह से एक कड़ी के जरिए जोड़ी जा रही है। कड़ी यह है कि 24 मार्च को मुंबई पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) मिलिंद भारंबे ने एक रिपोर्ट गृहमंत्री को सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि वझे को पुलिस विभाग में रखने का फैसला परमबीर का था और यह संयुक्त पुलिस आयुक्त की राय के खिलाफ था। यानी पूरी जांच अब वझे और परमबीर के बीच की कड़ियों पर होगी। इसमें सबसे मुख्य मुद्दा वझे को वापस पुलिस फोर्स में रखने, सीधी रिपोर्टिंग करने, परमबीर की वझे के साथ साठगांठ को लेकर है।
परमबीर पर आरोप साबित करने की कोशिश
कहा तो यह जा रहा है कि सचिन वझे के जरिए परमबीर सिंह पर यह आरोप साबित किया जा सकता है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं किया। इसकी जवाबदारी परमबीर सिंह की थी कि वह अधिकारी पर नजर रखें। पुलिस विभाग में अमूमन इस तरह के मामलों में बड़े अधिकारियों का भी तबादला कर दिया जाता है।