निर्भया केस / दोषी पवन ने कहा- यह सजा-ए-मौत का मामला, क्यूरेटिव पिटीशन पर खुली अदालत में सुनवाई हो

दोषी पवन गुप्ता ने फांसी को उम्रकैद में बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है दोषी अक्षय के साथ मिलकर उसने दिल्ली की एक अदालत में सजा रोकने के लिए भी याचिका लगाई

नई दिल्ली. निर्भया केस में फांसी की सजा पाए दोषी पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी क्यूरेटिव पिटीशन पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग की है। रविवार को पवन के वकील एपी सिंह ने कहा- यह मामला मौत की सजा से संबंधित है, इसलिए इसकी सुनवाई ओपन कोर्ट में होनी चाहिए। पवन ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। इस पर सोमवार को सुनवाई होनी है।

इससे पहले, शनिवार को निर्भया केस के दो दोषियों अक्षय सिंह और पवन कुमार गुप्ता ने दिल्ली की एक अदालत में अपील दायर की। इसमें चारों दोषियों की 3 मार्च को होने वाली फांसी पर रोक की मांग की गई है। एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने अक्षय की अपील पर तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया और 2 मार्च तक जवाब देने को कहा। वकील के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि उसने नई दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी है और इस पर अब तक फैसला नहीं हुआ है।

दया याचिका में पूरे तथ्य नहीं थे:वकील

अक्षय के वकील एपी. सिंह के मुताबिक- पिछली दया याचिका में पूरे तथ्य नहीं थे, इसलिए वो खारिज हो गई थी। वहीं, पवन गुप्ता ने कहा है कि उसकी क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। इस मामले में कुल चार दोषी हैं। चारों के खिलाफ तीन बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है, पिछले दो आदेशों पर फांसी टल गई।

सिर्फ पवन के पास कानूनी विकल्प

निर्भया मामले में चार जीवित दोषियों में से केवल पवन गुप्ता के पास ही कानूनी विकल्प मौजूद हैं। बाकी तीन दोषी विनय शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय ठाकुर पहले ही सभी उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पवन की नाबालिग होने की याचिका और इस पर उसकी रिव्यू पिटीशन खारिज कर चुका है।

फांसी की नई तारीख 3 मार्च

पटियाला हाउस कोर्ट चारों दोषियों के तीन बार डेथ वॉरंट जारी कर चुका है। लेकिन उनके द्वारा कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने से फांसी 2 बार टल गई थी। अब फांसी की नई तारीख 3 मार्च है, लेकिन दोषियों के वकील एपी सिंह ने दावा किया है- लिखकर रख लो इस तारीख को फांसी नहीं होगी, क्योंकि लूट का एक मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है।

  • पहला डेथ वॉरंट (7 जनवरी): 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश, एक दोषी की दया याचिका लंबित रहने से फांसी नहीं हुई।
  • दूसरा डेथ वॉरंट (17 जनवरी): 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश, 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली।
  • तीसरा डेथ वॉरंट (17 फरवरी): 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश, दोषियों के वकील ने कहा- अभी हमारे पास कानूनी विकल्प बाकी हैं।

16 दिसंबर 2012 को 6 दोषियों ने निर्भया से दरिंदगी की

16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों…राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।

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