मोदी के भाषण में 8 बार हंगामा:लोकसभा में PM बोले- किसानों के पवित्र आंदोलन को आंदोलनजीवी अपवित्र कर रहे, इनसे देश को बचाना जरूरी

प्रधानमंत्री ने कहा, 'किसान आंदोलन की पवित्रता है। भारत में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए बर्बाद करने निकलते हैं तो क्या होता है? दंगाबाज, सम्प्रदायवादी, नक्सलवादी जो जेल में बंद हैं, किसान आंदोलन में उनकी मुक्ति की मांग करना कहां तक सही है।'

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। इस बीच कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। मोदी के डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान विपक्ष ने 8 बार हंगामा किया। छठी बार हंगामे के बाद मोदी तल्ख हो गए और बोले कि यह ज्यादा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसान आंदोलन की पवित्रता है। भारत में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए बर्बाद करने निकलते हैं तो क्या होता है? दंगाबाज, सम्प्रदायवादी, नक्सलवादी जो जेल में बंद हैं, किसान आंदोलन में उनकी मुक्ति की मांग करना कहां तक सही है।’

‘इस देश में टोल प्लाजा को सभी सरकारों ने स्वीकार किया है। उस टोल प्लाजा पर कब्जा करना, उसे न चलने देना, ऐसे तरीके पवित्र आंदोलन को अपवित्र करने का प्रयास नहीं है? जब पंजाब में टेलीकॉम टावर तोड़ दिए जाएं तो वे किसानों की मांग से जुड़े हैं? किसानों के आंदोलन को अपवित्र करने का काम आंदोलनजीवियों ने किया है। देश को आंदोलनजीवियों से बचाना जरूरी है।’

मोदी ने कहा- विपक्ष विकास पर चर्चा नहीं करता
मोदी ने कहा, ‘विपक्ष के मुद्दे कितने बदल गए। जब हम विपक्ष में थे, तब देश के विकास के मुद्दे और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरते थे। आज आश्चर्य होता है कि विकास के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं करता। हम इंतजार में रहते हैं कि बोलें तो हम जवाब दें।’

कांग्रेस के वॉकआउट पर बोले- वे अपने समय की गजल सुनाते रहते हैं
मोदी ने कहा कि जब भी देश के सामने कोई चुनौती आती है तो देश को नीचा नहीं देखना पड़ता। हमारे फौजी यह नौबत नहीं आने देते। हमें देश की सेना पर, वीरों पर गर्व है। देश हिम्मत के साथ अपने फैसले करता है। मैंने कभी एक गजल सुनी थी। वैसे तो ज्यादा रुचि नहीं है। उसमें लिखा था- मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं, वह गजल आपको सुनाता हूं। ये जो साथी चले गए (कांग्रेस का वॉकआउट), वे उसी गजल को सुनाते रहते हैं जो उनके दौर में उन्होंने देखा। हम देश के एजेंडे पर चलते हैं। किसानों से आग्रह करूंगा कि आइए, मिलकर चर्चा करें।

मोदी ने कहा, ‘इस कोरोनाकाल में 3 कृषि कानून भी लाए गए। ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही जरूरी है। बरसों से हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा था, उसे उबारने के लिए हमने प्रयास किया है। भावी चुनौतियों से हमें अभी से निपटना होगा। मैं देख रहा था कि यहां पर कांग्रेस के साथियों ने चर्चा की कि वे कानून के कलर पर बहस कर रहे थे। ब्लैक है या व्हाइट। अच्छा होता कि वे उसके कंटेंट पर, उसके इंटेंट पर चर्चा करते ताकि देश के किसानों तक भी सही बात पहुंच सकती।’

‘दादा (अधीर रंजन चौधरी) ने भी भाषण किया और लगा कि वे बहुत अभ्यास करके आए होंगे। लेकिन प्रधानमंत्री बंगाल की यात्रा क्यों कर रहे हैं, वे इसमें ही लगे रहे। दादा के ज्ञान से वंचित रह गए। खैर, चुनाव के बाद आपके पास मौका होगा तो…ये (बंगाल) कितना महत्वपूर्ण प्रदेश है, इसलिए तो कर रहे हैं। आपने इतना पीछे छोड़ दिया, इसलिए हम इसे प्रमुखता देना चाहते हैं।’

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘जहां तक आंदोलन का सवाल है। वे गलत धारणाओं के शिकार हुए। (हंगामा होने लगा तो प्रधानमंत्री बोले…) मेरा भाषण पूरा होने के बाद सब कीजिए, आपको मौका मिला था। आप किसानों के लिए कुछ गलत शब्द बोल सकते हैं, हम नहीं बोल सकते। (रोक-टोक होने लगी तो मोदी बोले…) देखिए मैं कितनी सेवा करता हूं। आपको जहां रजिस्टर करवाना था, वहां हो गया।’

किसानों से लगातार बात हो रही
मोदी ने कहा कि लगातार किसानों से बातचीत होती रही। जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था, तब भी हुई। बातचीत में किसानों की शंकाएं ढूंढ़ने का भी भरपूर प्रयास किया गया। कृषि मंत्री ने इस बारे में बताया भी है। हम मानते हैं कि इसमें अगर सचमुच कोई कमी है तो इसमें बदलाव करने में क्या जाता है। अगर कोई निर्णय है तो किसानों के लिए है। हमें इंतजार है कि वो कोई स्पेसिफिक चीज बताएं तो हमें कोई संकोच नहीं है। (इस पर एक बार फिर हंगामा हुआ और मोदी ठहाके लगाने लगे, किसी आरोप पर कहा) ये क्रेडिट भी आपने मुझे दे दिया।

हंगामा बढ़ा तो स्पीकर को दखल देना पड़ा
टीआर बालू विरोध जताने लगे तो मोदी ने कहा, ‘अध्यादेश से कानून लागू हुए, फिर संसद में आए। कानून लागू होने के बाद देश में कोई मंडी बंद नहीं हुई, न MSP बंद हुई। ये सच्चाई है, इसे छिपाने का मतलब नहीं है। MSP की खरीद भी कानून बनने के बाद बढ़ी है। मोदी के यह कहते ही जबरदस्त हंगामा होने लगा। इस पर स्पीकर को दखल देना पड़ा। वे सीट से खड़े हो गए और बोले कि मैंने सभी को पर्याप्त समय दिया है। प्रधानमंत्री का जवाब सुनिए।

अब तक मुस्कुरा रहे और ठहाके लगा रहे मोदी के तेवर अब तीखे हो गए और बोले- ‘ये हो हल्ला, ये आवाज, ये रुकावट डालने का प्रयास एक सोची-समझी रणनीति के तहत है। सोची-समझी रणनीति यह है कि जो झूठ फैलाया है, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हंगामे का खेल चलता रहा है। लेकिन इससे आप लोगों का भरोसा नहीं जीत पाओगे, यह मानकर चलो। नए कानून से जो व्यवस्थाएं चल रही थीं, उन्हें किसी ने छीन लिया है क्या?’

‘किसी कानून का विरोध तो तब मायने रखता है, जब वह अनिवार्य है, ये तो ऑप्शनल है। जहां ज्यादा फायदा हो, वहां किसान चला जाए, यह व्यवस्था हो गई है। अधीर रंजन जी, अब ज्यादा हो रहा है। मैं आपकी इज्जत करने वाला इंसान हूं। PM ने आगे कहा, ‘बंगाल में भी तृणमूल से ज्यादा पब्लिसिटी आपको मिल जाएगी। मैंने बता दिया कि आपको पब्लिसिटी मिल जाएगी। (यह कहकर मोदी, फिर हंसने लगे) आप ऐसा पहले नहीं करते थे, आज इतना क्यों कर रहे हैं? हद से ज्यादा क्यों कर रहे हैं?’

आंदोलनजीवी भय पैदा करते हैं
मोदी ने आगे कहा, ‘विरोध का कोई कारण ही नहीं बनता। आंदोलनजीवी ऐसे तरीके अपनाते हैं। ऐसा हुआ तो ऐसा होगा। इसका भय पैदा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का कोई जजमेंट आ जाए तो आग लगा दी जाए देश में। ऐसे तौर-तरीके लोकतंत्र और अहिंसा में विश्वास करने वालों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए, ये सिर्फ सरकार की चिंता का विषय नहीं होना चाहिए।’ इसके बाद अधीर रंजन दोबारा बोलने को खड़े हुए तो मोदी ने कहा- बाद में, बाद में।

कांग्रेस के लिए मोदी बोले- यह कन्फ्यूज्ड पार्टी है, समय तय करेगा
मोदी की टिप्पणियों पर एक बार फिर हंगामा होने लगा। विपक्षी सांसदों ने नारे लगाना शुरू कर दिया कि काला कानून वापस लो। मोदी ने कहा, ‘क्या कभी भी इतने सुधारों को समाज ने स्वीकार किया या नहीं किया? हम ये मानते थे कि देश की इतनी पुरानी कांग्रेस पार्टी ने करीब-करीब छह दशक तक इस देश में एकचक्रीय शासन किया, इस पार्टी का यह हाल हो गया है। पार्टी का राज्यसभा का तबका एक तरफ चलता है, पार्टी का लोकसभा का तबका दूसरी तरफ चलता है। ऐसी डिवाइडेड पार्टी और कन्फ्यूज्ड पार्टी ने खुद का भला कर सकती है, न देश का भला कर सकती है। कांग्रेस के पार्टी के नेता राज्यसभा में भी बैठे हैं। वे आनंद-उमंग के साथ विस्तार से चर्चा करते हैं। …समय तय करेगा।’

मांगने पर सरकारें काम करें, वह वक्त चला गया
मोदी आगे बोले, ‘जब कहा जाता है कि कानून मांगा था क्या, तो इस सोच पर मेरा विरोध है। हम सामंतवादी हैं क्या जो मांगा जाए। सरकारें संवेदनशील होनी चाहिए। इस देश ने आयुष्मान योजना नहीं मांगी थी, लेकिन गरीब की जान बचाने के लिए हम योजना लेकर आए। बैंक अकाउंट के लिए गरीबों ने कोई जुलूस नहीं निकाला था, लेकिन हम जनधन खाता योजना लाए। क्या लोगों ने कहा था कि हमारे घर में शौचालय बनाओ? मांगा जाए, तब सरकारें काम करें, वह वक्त चला गया। यह लोकतंत्र है, सामंतशाही नहीं है।

मोदी का तंज- रुका हुआ पानी बर्बाद कर देता है
8वीं बार हंगामा हुआ तो मोदी बोले, ‘अरे दादा, सुनो दादा। जो नहीं चाहता, वह उपयोग न करें। आप बुद्धिमान लोगों को मुझे यही समझाना है कि कोई किसान न चाहे तो उसके लिए पुरानी व्यवस्था है। पुरानी व्यवस्था चली नहीं गई है। रुका हुआ पानी बर्बाद कर देता है। जिम्मेदारियां लेनी चाहिए। देश को तबाह करने में यथास्थितिवाद ने बड़ा रोल अदा किया है। दुनिया बदल रही है और हम स्टेटस-को (यथास्थितिवाद) चाहते हैं।’

खेती समाज और संस्कृति का हिस्सा है
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां खेती हमारी संस्कृति की मुख्यधारा का हिस्सा है। हमारे सांस्कृतिक प्रवाह के साथ खेती जुड़ी हुई है। हमारे यहां राजा भी खेतों में हल चलाते थे। जनक राजा, बलराम की बात हम जानते हैं। हमारे देश में खेती सिर्फ कल्टीवेशन ऑफ क्रॉप नहीं है, यह समाज और संस्कृति का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, लोकगीत फसल बोने या काटने के साथ जुड़े होते हैं। हमारे यहां आशीर्वाद के साथ धन-धान्य का उपयोग करते हैं। कोई सिर्फ धन नहीं बोलता। धन-धान्य बोला जाता है। धान्य का यह महत्व है।

मोदी ने कहा कि देश के 80% किसानों को उपेक्षित रखकर हम उसका भला नहीं कर सकते। छोटे किसानों की उपेक्षा अब तक हुई है। छोटा किसान जाग जाएगा तो जवाब आपको भी (विपक्ष) देना पड़ेगा। जमीन का टुकड़ा छोटा होता जा रहा है। चौधरी चरण सिंह जी ने कहा था कि हमारे यहां किसानों की ऐसी स्थिति आएगी कि ट्रैक्टर को मोड़ना होगा तो जमीन नहीं मिलेगी। ऐसे में हमें भी तो कुछ न कुछ व्यवस्था करनी होगी।

जमीन कम होने की वजह से किसान मजदूरी करने को मजबूर
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के वक्त 28% खेतीहर मजदूर थे। 10 साल पहले की जनगणना में उनकी संख्या बढ़कर 55% हो गई। यह किसी भी देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। जमीन कम होने के कारण, रिटर्न नहीं मिलने के कारण वह मजदूरी करने पर मजबूर है। दुर्भाग्य है कि हमारे देश में खेती में जो निवेश होना चाहिए, वह नहीं हो रहा।

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