इंफाल. मणिपुर में निर्वस्त्र घुमाई गईं पीड़ित दो महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। लाइव लॉ के मुताबिक, दोनों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ अपील की है। इसमें क्या कहा है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच आज सुनवाई करेगी।
उधर, आदिवासी इलाकों में अलग प्रशासन की मांग को लेकर कुकी महिलाओं ने नेशनल हाईवे नंबर 102 को पिछले पांच दिन से जाम कर रखा है। कुकी संगठनों की हजारों महिलाओं ने टेंग्नोउपाल में सेना के दस वाहनों को मोरेह जाने से रोक दिया। जिसके बाद सैनिकों को एयरलिफ्ट कर मोरेह भेजना पड़ा।
इंफाल को म्यांमार सीमा से जोड़ता है नेशनल हाईवे 102
नेशनल हाईवे 102 इंफाल को म्यांमार सीमा से सटे मोरेह से जोड़ता है। कुछ दिन पहले म्यांमार से मणिपुर में 718 अवैध प्रवासी इसी रास्ते से घुसे थे। सरकार अब अवैध प्रवासियों की बायोमीट्रिक काउंटिंग करा रही है।
आदिवासी संगठनों का कहना है कि बायोमीट्रिक गणना के नाम पर सरकार कुकी आदिवासियों के मोरेह शहर में मैतेई समुदाय के सुरक्षाबलों की तैनाती कर रही है।
बिष्णुपुर में फिर हिंसा, 9 साल की छात्रा गोली लगने से घायल
मणिपुर के बिष्णुपुर में रविवार (30 जुलाई) को फिर हिंसा भड़क गई। क्वाक्ता गांव में कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों में फायरिंग से 9 साल की छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई। चुराचांदपुर में भी हिंसा की घटनाएं हुईं।
कल I.N.D.I.A गठबंधन मणिपुर से लौटा था, जानें किसने-क्या कहा…
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी: सरकार स्थिति को समझ नहीं रही है, म्यांमार के साथ केवल 75KM सीमा पर बाड़ लगाई गई है और उसके बाद चीन है। यह चिंताजनक स्थिति है। मैं राजनीति नहीं कर रहा हूं। यह अब देश के लिए चिंता का विषय है।
TMC की सुष्मिता देब: मणिपुर में स्थिति काफी गंभीर है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को इस्तीफा देना चाहिए।
RJD सांसद मनोज झा: हम चाहते हैं कि मणिपुर में शांति बहाल हो। हमारी एकमात्र मांग है कि दोनों समुदाय सद्भाव से रहें। मणिपुर में स्थिति पीड़ादायक है। संसद में पहले ही चर्चा हो चुकी है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर का दौरा करना चाहिए। –
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई: NDA गठबंधन और PM मोदी को भी मणिपुर का दौरा करना चाहिए। उनके मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं। उन्हें वहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए वहां जाना चाहिए।
I.N.D.I.A के 21 सांसदों ने मणिपुर की गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की। मुलाकात के बाद सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्ठी उन्हें सौंपी। मांग की है कि राज्यपाल सरकार से कहें कि राज्य में हो रही हिंसा को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएं। विपक्षी सांसदों ने कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी दिखाती है कि वो गंभीर नहीं हैं।
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा मौतें
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 3-5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई थी। 16 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से हिंसक झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।