MP में उपचुनाव:9 जिलों में फिर रैलियां हो सकेंगी, फिजिकल रैलियां नहीं कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के तहत 3 नवंबर को वोटिंग है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 21 अक्टूबर को 9 जिलों के मामले में आदेश जारी किया था। बेंच ने ग्वालियर, गुना, मुरैना, भिंड, अशोक नगर, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर और विदिशा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से कहा था कि अगर वर्चुअल इलेक्शन कैम्पेन की गुंजाइश है तो किसी भी उम्मीदवार या पार्टी को फिजिकल रैली की इजाजत न दें।
मध्य प्रदेश में उपचुनाव के दौरान 9 जिलों में दोबारा रैलियां हो सकेंगी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पिछले दिनों राज्य में फिजिकल रैलियों पर रोक लगा दी थी और वर्चुअल रैली कराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसी आदेश पर सोमवार को स्टे लगा दिया और कोरोना के मद्देनजर जरूरी कदम उठाने का फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट की राजनीतिक दलों को फटकार
जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने कहा, ‘अगर राजनीतिक दलों ने सही तरह से काम किया होता और प्रोटोकॉल माना होता तो ऐसे हालात बनते ही नहीं। आपको खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि इस हालात के लिए जिम्मेदार कौन है? अपना काम इस तरह कीजिए, जो सभी के हित में हो। अगर आपने ठीक से काम किया होता तो हाईकोर्ट को दखल देने की जरूरत ही नहीं पड़ती।’ सुप्रीम कोर्ट 6 हफ्ते बाद इस मामले की सुनवाई करेगा।
हाईकोर्ट ने 9 जिलों में रोक लगाई थी
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के तहत 3 नवंबर को वोटिंग है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 21 अक्टूबर को 9 जिलों के मामले में आदेश जारी किया था। बेंच ने ग्वालियर, गुना, मुरैना, भिंड, अशोक नगर, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर और विदिशा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से कहा था कि अगर वर्चुअल इलेक्शन कैम्पेन की गुंजाइश है तो किसी भी उम्मीदवार या पार्टी को फिजिकल रैली की इजाजत न दें।
हाईकोर्ट ने कहा था- नेताओं को प्रचार का हक, तो लोगों को जीने का हक
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था, ‘अगर डीएम को चुनावी रैली की इजाजत देनी है तो उन्हें भी पहले चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी। चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट को इतनी रकम जमा करवानी होगी कि रैली में जुटने वाले लोगों के लिए मास्क और सैनिटाइजर खरीदे जा सकें। अगर नेता को प्रचार का अधिकार है तो लोगों को भी जीने का हक है।’ हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ चुनाव आयोग और भाजपा नेता प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी।