370 की वापसी के लिए कश्मीर में नया गठबंधन:नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस समेत 7 प्रमुख दलों ने पीपुल्स अलायंस बनाया, फारूक अब्दुल्ला बोले- हमें अपना हक वापस चाहिए

पिछले साल पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, माकपा, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, पैंथर्स पार्टी और जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियों ने गुपकार डिक्लेरेशन पर दस्तखत किए थे। ये डिक्लेरेशन विशेष दर्जा वापस दिए जाने और राज्य का संविधान लागू किए जाने के लिए हुआ था।

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श्रीनगर. गुपकार डिक्लेरेशन पर दस्तखत करने वाले राजनीतिक दलों ने कश्मीर में नए गठबंधन का ऐलान किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को अपने गुपकार रोड स्थित आवास पर इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि गठबंधन का मकसद जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति बहाल करना है यानी अनुच्छेद 370 की वापसी।

पिछले साल पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, माकपा, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, पैंथर्स पार्टी और जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियों ने गुपकार डिक्लेरेशन पर दस्तखत किए थे। ये डिक्लेरेशन विशेष दर्जा वापस दिए जाने और राज्य का संविधान लागू किए जाने के लिए हुआ था।

मिलकर चुनाव लड़ सकता है अलायंस
फारूक ने कहा, “हमने इस अलायंस का नाम पीपुल्स अलायंस रखा है। कानूनी दायरे में रहकर ये गठबंधन जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा वापस दिए जाने की संवैधानिक लड़ाई लड़ेगा। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार हमारी जनता को वो अधिकार वापस करे, जो 5 अगस्त 2019 से पहले मिले हुए थे।” माना जा रहा है कि विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश बन चुके जम्मू-कश्मीर में अगर चुनाव का ऐलान होता है तो ये सभी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

नवंबर 2018 में गठबंधन हुआ था
इससे पहले नवंबर 2018 में पीडीपी की अगुआई में गठबंधन बना था। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस भी शामिल थे। दरअसल, करीब तीन साल से सरकार चला रही पीडीपी और भाजपा के बीच जून 2018 में गठबंधन टूटा था। 5 महीने बाद तब के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भी भंग कर दी थी। लेकिन, राज्यपाल के इस फैसले से आधे घंटे पहले पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को भेजी चिट्ठी में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि उनके साथ 56 विधायक हैं, लेकिन राजभवन का कहना था कि महबूबा का फैक्स हमें रिसीव ही नहीं हुआ।

जम्मू-कश्मीर में 43 साल में 5 गठबंधन बने, इनमें 4 नाकाम रहे
पिछले 45 साल में जम्मू-कश्मीर में पांच बार गठबंधन सरकारें बनीं। इनमें सिर्फ एक ने ही छह साल का टर्म पूरा किया। यह सरकार नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की थी।
1975 से 1977: नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता शेख अब्दुल्ला कांग्रेस से गठबंधन कर मुख्यमंत्री बने, लेकिन दो ही साल बाद कांग्रेस ने उनसे समर्थन खींच लिया।
1982 से 1986: चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को बहुमत मिला। कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा दी।
2002 से 2008: पीडीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ। मगर सरकार के आखिरी साल में पीडीपी ने कश्मीर में अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने के विरोध में गठबंधन तोड़ दिया।
2009 से 2015: नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन कर सरकार बनाई। यह सरकार पूरे छह साल चली। दोनों पार्टियों के नेता बारी-बारी मुख्यमंत्री भी बने।
2015 से 2018: मुस्लिम बहुल कश्मीर की 46 में से 28 सीटें हासिल करने वाली पीडीपी और हिन्दू बहुल जम्मू की 37 में से 25 सीटें जीतने वाली भाजपा ने मार्च 2015 में गठबंधन का फैसला किया। मगर इनमें मतभेद उभरने लगे। आखिर जून 2018 में यह गठबंधन टूट गया।

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