सेना को मिलेंगी अमेरिकी राइफल / 72 हजार एसआईजी राइफल खरीदेगी सेना, लॉन्ग और क्लोज कॉम्बैट की लेटेस्ट टेक्निक से लैस; इंसास को रिप्लेस करेगी
आतंकरोधी मिशन और एलओसी पर तैनात जवान नई राइफलें इस्तेमाल करेंगे इंसास राइफल में मैग्जीन टूटने की शिकायत आ रही थी, इनकी जगह अमेरिकी राइफल मिलेंगी
नई दिल्ली. चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना अमेरिका से 72000 एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल खरीदने जा रही है। अमेरिका से पहले ही 72 हजार राइफलें सेना की नार्दन कमांड और दूसरे ऑपरेशन इलाकों में तैनात सैनिकों को मिल चुकी हैं। यह राइफलों का दूसरा बैच होगा। नए हथियारों की खरीद फास्ट-ट्रैक पर्चेज (एफटीपी) के तहत की जा रही है।
अमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनी सिग सॉयर राइफलों की आपूर्ति करेगी। इन्हें अमेरिका में बनाया जाएगा। ये नई राइफलें मौजूदा समय में भारतीय सेनाओं में इस्तेमाल की जा रही इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम (इंसास) 5.56×45 मिमी राइफल को रिप्लेस करेंगी।
आतंकवाद विरोधी अधियान और एलओसी पर तैनात जवानों के लए 1.5 लाख राइफलें इम्पोर्ट की जानी हैं। बाकी जवानों को एके-203 राइफलें दी जाएंगी। इनको भारत और रूस मिलकर अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनाएंगे। अभी इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं शुरू हो पाया है।
यूएस राइफल में ज्यादा पावरफुल गोलियों का इस्तेमाल
एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल क्लोज और लॉन्ग काम्बैट की लेटेस्ट टेक्निक से लैस हैं। सेना अभी जो इंसास राइफलें इस्तेमाल कर रही है, उसमें मैग्जीन टूटने की कई शिकायतें आई हैं। नई राइफलों में ऐसी कोई समस्या नहीं है।
इंसास राइफलों से 5.56×45 मिमी कारतूस ही दागे जा सकते हैं, जबकि एसआईजी 716 राइफल में अधिक ताकतवर 7.62×51 मिमी कारतूस का इस्तेमाल होता है।
इजराइल को 16 हजार एलएमजी का ऑर्डर
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इजराइल से 16 हजार लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने का ऑर्डर दिया है। इंडियन आर्मी अपनी स्टैंडर्ड इंसास असॉल्ट राइफलों को कई सालों से बदलना चाह रही थी। इसी प्रक्रिया के तहत सेना फास्ट-ट्रैक पर्चेज पर फोकस कर रही है।