10वें दौर में भी नहीं मिले मन:किसान कानून वापसी पर अड़े, कृषि मंत्री बोले- हमने आपकी कुछ मांगें मानी हैं, आप भी तो कुछ मानिए

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नई दिल्ली। विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच 10वें दौर की बैठक में भी कृषि कानूनों का मसला सुलझता नहीं दिख रहा है। कम से कम लंच तक हुई बातचीत से तो यही बात साफ हो रही है। बैठक के दौरान किसान कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े रहे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हमने आपकी कुछ मांगें मानी हैं। क्या आपको आपको भी कुछ नरमी नहीं दिखानी चाहिए? तोमर ने कहा कि कानून वापसी की एक ही मांग पर अड़े रहने की बजाय आपको भी हमारी कुछ बातें माननी चाहिए।

बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम बातचीत से हल निकालना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के बारे में सवाल करने पर वो बोले- कमेटी ने हमें बुलाया तो हम अपना पक्ष रखने जाएंगे।

कमेटी 19 जनवरी को पहली बैठक कर सकती है
कृषि कानूनों पर किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 जनवरी को 4 एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। 14 जनवरी यानी 2 दिन बाद ही कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया। अब कमेटी 19 जनवरी को पहली बैठक कर सकती है।

मोदी और उनके बिजनेसमैन दोस्त सब छीन लेंगे- राहुल गांधी
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘किसानों को ये बात समझ आ गई है कि उनकी आजादी छिन गई है। हिंदुस्तान को ये बात समझनी है। नरेंद्र मोदी और 2-3 उद्योगपति मित्र, जो भी आपका है, उसे छीनने जा रहे हैं। मीडिया, IT, रिटेल और पावर सेक्टर में देखिए, 4-5 बिजनेसमैन और नरेंद्र मोदी ही हैं। ये 4-5 लोग ही देश को चला रहे हैं। किसान और आम लोग कहीं नहीं हैं।’

किसानों के लिए निकाले मार्च में राहुल और प्रियंका गांधी शामिल हुए।
किसानों के लिए निकाले मार्च में राहुल और प्रियंका गांधी शामिल हुए।

नए कानून एग्रीकल्चर रिफॉर्म्स का रास्ता बनाएंगे: IMF
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत के नए कृषि कानूनों को रिफॉर्म्स के लिए नया रास्ता बताया है। IMF के कम्युनिकेशन डायरेक्टर गैरी राइस के मुताबिक, भारत के ये नए कानून किसानों के लिए मददगार साबित होंगे। किसान बिना बिचौलियों के सीधे खरीदारों से कॉन्टैक्ट कर सकेंगे। इससे गांवों की ग्रोथ बढ़ेगी। हालांकि, राइस ने यह भी कहा कि नए कानूनों को और मजबूत किए जाने की जरूरत है।

पिछली 9 बैठकों में क्या हुआ?

पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर: 30 दिसंबर
क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

8वां दौर: 4 जनवरी
क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।

9वां दौर: 8 जनवरी
क्या हुआ: बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है।

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