एनकाउंटर पर खुलासा / सुरक्षाबल 6 महीने से आतंकी नायकू के पीछे लगे थे, सीडीएस बिपिन रावत बोले- आतंकी सरगनाओं को चुन-चुनकर मारेंगे
जम्मू कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर रियाज नायकू के मारे जाने की पूरी कहानी बताई सीडीएस बिपिन रावत ने सुरक्षाबलों के जवानों की तारीफ की, बोले- ऐसे आतंकियों को नहीं पनपने देंगे
श्रीनगर/नई दिल्ली. जम्मू कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर रियाज नायकू के पीछे पुलिस और सुरक्षाबल पिछले 6 महीने से लगे थे। सारी जानकारी मिलने के बाद पूरी प्लानिंग से उसे उसी के ठिकाने पर मार गिराया गया।
उन्होंने बताया कि नायकू के सभी ठिकानों का पता चलने के बाद ऑपरेशन शुरू करने का फैसला लिया गया। पहले उसके साथियों को पकड़ा गया। फिर उसके बेगपोरा स्थित उसके ठिकाने को कन्फर्म किया गया। ये उसका 7वां ठिकाना था, जिसे चारों तरफ से घेर लिया गया था। पहले उनकी तरफ से फायरिंग शुरू हुई। सुरक्षाबलों ने जवाबी फायरिंग में उसे ढेर कर दिया। आईजी कुमार ने बताया कि बीते 4 महीनों में आतंकवादियों के खिलाफ सेना की तरफ से 27 ऑपरेशन चलाए गए।
सीडीएस बोले- ऐसे ऑपरेशनों से आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी भी आएगी
उधर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने कहा कि आतंकी संगठनों के ऐसे सभी सरगनाओं का खात्मा करना हमारी प्राथमिकता है। आगे भी इसे जारी रखा जाएगा। चुन-चुनकर ऐसे लोगों को मारा जाएगा ताकि इनको देखकर और इनकी रैंबो वाली छवि से दूसरे लोग आतंक का रास्ता न अपनाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे ऑपरेशनों से आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी भी आएगी।
सशस्त्र बल की प्राथमिकता आतंकवादी नेतृत्व को बेअसर करना– सीडीएस
रियाज नायकू के एनकाउंटर पर सीडीएस ने बोला, ”ये लोग अपनी ऐसी छवि पेश करते हैं जैसे ये आम लोगों के लिए लड़ रहे हों और खुद का प्रचार करते हैं ताकि और ज्यादा लोग इनसे जुड़ें। हम ऐसे लोगों की असल तस्वीर लोगों से छिपने नहीं देंगे। सशस्त्र बल की प्राथमिकता आतंकवादी नेतृत्व को बेअसर करना है। इससे आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी आती है। वे हीरो नहीं हैं, वे कोई भी नहीं हैं।”
नायकू का मारा जाना सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी
कश्मीर में सुरक्षाबलों ने बुधवार को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर रियाज नायकू को मारा गिराया। वह दो साल से मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल था। वह अपनी बीमार मां से मिलने पुलवामा के गांव बेगपोरा आया था। नायकू का मारा जाना सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी है। पुलिस को इस गांव में नायकू और उसके कुछ साथियों की मौजूदगी का इनपुट मिला था।
सुरक्षाबलों ने नायकू के शव को परिवार के पांच लोगों के सामने सोनमर्ग के उस कब्रिस्तान में दफना दिया, जहां इन दिनों आतंकियों के शव दफनाए जाते हैं। नायकू के मरने की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में उपद्रवी सड़कों पर निकल आए और पथरबाजी करने लगे। हालांकि, बाद में पुलिस ने बेकाबू भीड़ पर काबू पा लिया था।