उपराष्ट्रपति बोले- कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव जंग लगा चाकू:बायपास सर्जरी के लिए कभी सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल नहीं करते

अपने निवास पर महिला जर्नलिस्ट को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘उप राष्ट्रपति के खिलाफ दिया गया नोटिस तो देखिए… आपको हैरानी होगी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था कि सब्जी काटने के चाकू का इस्तेमाल कभी भी बायपास सर्जरी के लिए न करें।’ दरअसल, इस अविश्वास प्रस्ताव में कई खामियां होने की बात कही गई थी, जिसके चलते इसे खारिज किया गया।

0 998,973

देश के उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि बायपास सर्जरी के लिए कभी सब्जी काटने का चाकू इस्तेमाल नहीं करते हैं। विपक्ष की तरफ से उन्हें राज्यसभा के चेयरमैन पद से हटाने के लिए दिया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद यह उनका पहला बयान है।

अपने निवास पर महिला जर्नलिस्ट को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘उप राष्ट्रपति के खिलाफ दिया गया नोटिस तो देखिए… आपको हैरानी होगी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था कि सब्जी काटने के चाकू का इस्तेमाल कभी भी बायपास सर्जरी के लिए न करें।’ दरअसल, इस अविश्वास प्रस्ताव में कई खामियां होने की बात कही गई थी, जिसके चलते इसे खारिज किया गया।

‘मेरे खिलाफ दिया गया नोटिस सब्जी काटने का चाकू भी नहीं था, उसमें जंग लगी हुई थी। वह बहुत जल्दबाजी में दिया गया था। जब मैंने उसे पढ़ा तो हैरान रह गया। लेकिन सबसे ज्यादा जिस बात से मुझे हैरानी हुई वो यह है कि आपमें से किसी ने उसे नहीं पढ़ा। अगर पढ़ा होता, तो आप कई दिन सो नहीं पातीं।’

उपराष्ट्रपति ने महिला जर्नलिस्ट्स से कहा कि अगर आपने विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव देखा होता तो आपको भी हैरानी होती।
उपराष्ट्रपति ने महिला जर्नलिस्ट्स से कहा कि अगर आपने विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव देखा होता तो आपको भी हैरानी होती।

धनखड़ बोले- अपनी बात कहने से पहले दूसरों का पक्ष सुनना जरूरी

धनखड़ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की जरूरत है क्योंकि यह डेमोक्रेसी की परिभाषा है। अगर इस अभिव्यक्ति को सीमित किया जाता है, इससे समझौता किया जाता है या इसे डराया-धमकाया जाता है तो लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट होती है। लोकतंत्र को आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन ये उसके उलट बात है।

धनखड़ ने कहा कि अपनी आवाज का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने कानों से दूसरे की बात सुननी चाहिए। इन दोनों चीजों के बिना लोकतंत्र न तो विकसित हो सकता है और न ही फल-फूल सकता है।

महिला जर्नलिस्ट्स के डेलिगेशन के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।
महिला जर्नलिस्ट्स के डेलिगेशन के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।

10 दिसंबर को पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव, 20 दिसंबर को खारिज हुआ

संसद के शीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। 20 दिसंबर को राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी ने बताया कि इस प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है।

उप-सभापति ने कहा कि यह नोटिस विपक्ष का गलत कदम है। इसमें उपराष्ट्रपति का नाम तक गलत लिखा गया है और नोटिस के लिए 14 दिन का नोटिस पीरियड भी नहीं दिया गया है। यह सिर्फ सभापति की छवि खराब करने के मकसद से लाया गया है। ये नोटिस देश के संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने और वर्तमान उपराष्ट्रपति की छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है।

खड़गे ने कहा था- सभापति धनखड़ स्कूल के हेडमास्टर जैसे व्यवहार करते हैं

राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं।

सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।

खड़गे ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के 5 कारण बताए…

जगदीप धनखड़ जुलाई 2022 को भारत के उपराष्ट्रपति बने थे। उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं।
जगदीप धनखड़ जुलाई 2022 को भारत के उपराष्ट्रपति बने थे। उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं।
  • सदन में एक्सपीरियंस्ड नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं को भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं।
  • आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, अगर सभापति ही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा।
  • 3 साल में धनखड़ का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं, कभी खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती।
  • जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं।
  • उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचार कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है।
Leave A Reply

Your email address will not be published.