राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। 70 विपक्षी सांसदों ने प्रस्ताव पर दस्तखत किया है। इसमें INDIA गठबंधन में शामिल सपा, टीएमसी और AAP शामिल हैं।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अगस्त में भी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्षी नेताओं के बीच टकराव हुआ था। तब विपक्षी पार्टियों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए जरूरी 20 सांसदों का समर्थन जुटा लिया था। हालांकि बाद में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
संसद के बाहर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी इतना पक्षपाती सभापति नहीं देखा है। वे सत्ता पक्ष के सांसदों को नियम के विपरीत बोलने की छूट देते हैं, जबकि विपक्षी सांसदों को चुप कराते हैं।’
प्रमोद तिवारी बोले- केंद्र सरकार अडाणी को बचा रही है कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहा हूं कि उन्होंने सदन को कमजोर किया है। मैंने आज तक नहीं देखा कि प्रश्नकाल में सरकार के सारे लोग खड़े हो जाएं और जवाब न आने दें। मेरा सवाल लगा हुआ था, लेकिन मुझे सवाल पूछने की इजाजत नहीं मिली।
प्रमोद तिवारी ने आगे कहा;-
भाजपा सरकार अडाणी के पैसे और भ्रष्टाचार में बराबर की भागीदार है। ये नहीं चाहती कि अडाणी का नाम आए, इसलिए सदन को नहीं चलने दे रही।
सदन में BJP ने कांग्रेस की विदेशी फंडिंग का मुद्दा उठाया था शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसदों ने कांग्रेस की विदेशी फंडिग के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। राज्यसभा में नेता जे.पी. नड्डा ने फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया-पेसिफिक (FDL-AP) संगठन और जॉर्ज सोरोस के बीच संबंधों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि यह फोरम जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना चाहता है और इसे राजीव गांधी फाउंडेशन से आर्थिक मदद मिलती है।
कांग्रेस का कहना है कि BJP अडाणी मामले से ध्यान भटकाना चाहती है, इसीलिए कांग्रेस पर विदेशी फंडिंग का आरोप लगा रही है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेताओं ने धनखड़ पर भाजपा के लिए पक्षपात करने का आरोप लगाया।
मानसून सत्र के दौरान 87 सांसदों ने हस्ताक्षर किया था
अगस्त में मानसून सत्र के दौरान सपा सांसद जया बच्चन और जगदीप धनखड़ के बीच बहस हुई थी। इसके बाद विपक्षी दलों ने धनखड़ को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी की थी। तब 87 सदस्यों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया था।
दरअसल, राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सपा सांसद जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई थी। धनखड़ ने सपा सांसद को जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया था। इस पर जया ने कहा था- मैं कलाकार हूं। बॉडी लैंग्वेज समझती हूं। एक्सप्रेशन समझती हूं। मुझे माफ कीजिए, लेकिन आपके बोलने का टोन स्वीकार नहीं है।
जया की इस बात से धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने कहा था आप मेरी टोन पर सवाल उठा रही हैं। इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। आप सेलिब्रिटी हों या कोई और, आपको डेकोरम बनाना होगा। आप सीनियर मेंबर होकर चेयर को नीचा दिखा रही हैं।
बहस के बाद धनखड़ ने राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी थी।
उपसभापति को हटाने की प्रकिया 3 पॉइंट्स में समझिए …
1. उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया क्या है? उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले नोटिस भी देना होगा।
2. प्रस्ताव लोकसभा में पारित कराना होगा: लोकसभा में भी प्रस्ताव पारित कराना जरूरी होगा, क्योंकि राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति की पदेन भूमिका होती है। लोकसभा में NDA के 293 और I.N.D.I.A के 236 सदस्य हैं। बहुमत 272 पर है। विपक्ष अन्य 14 सदस्यों को साधे तो भी प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होगा।
3. क्या कार्यवाही के दौरान सभापति चेयर पर होंगे : जब प्रस्ताव पेश होगा और चर्चा होगी, तब सामान्य न्याय सिद्धांत के मुताबिक सभापति राज्यसभा पीठ पर नहीं बैठेंगे।
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