जज के बंगले से कैश मिलने का मामला:जस्टिस वर्मा के खिलाफ 2018 में CBI ने FIR की थी, शुगर मिल के जरिए बैंक से धोखाधड़ी का आरोप
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिलने के मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने शुक्रवार को इंटरनल इन्क्वायरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के CJI संजीव खन्ना को सौंप दी। अब कॉलेजियम इस पर आगे की कार्रवाई करेगा।
इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है। जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि, जांच धीमी होती चले गई। फिर, फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।
CBI की FIR की वो कॉपी, जिसमें जस्टिस वर्मा का नाम

इस बीच, दिल्ली फायर सर्विस के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा है कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है कि जज के घर कैश नहीं मिला है। 21 मार्च को मीडिया रिपोर्ट्स में गर्ग का बयान छपा था, जिसमें उनके हवाले से बताया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर आग बुझाने के दौरान कोई कैश बरामद नहीं हुआ था।
होली के दिन लुटियंस दिल्ली स्थित बंगले पर आग लगी थी जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित बंगले पर 14 मार्च को होली की रात करीब 11.35 बजे आग लगने के बाद कैश बरामद हुआ था। दिल्ली के अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाई थी। घटना के दौरान जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। उनका परिवार घर में मौजूद था।
बार काउंसिल के सदस्यों ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय के सामने इस मुद्दे को उठाया और उनसे कार्रवाई करने का अनुरोध किया। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि जज इस मुद्दे से अवगत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनल इनक्वायरी बैठाई सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ इंटरनल इन्क्वायरी शुरू की है। उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव अलग है। बयान में कहा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना के संबंध में गलत सूचना और अफवाहें फैलाई जा रही हैं।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर बयान जारी किया। जिसमें कहा गया कि कैश मिलने की गलत सूचनाएं और अफवाहें फैलाई जा रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आज CJI संजीव खन्ना को प्राइमरी रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
पूरे घटनाक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में साफ किया कि जज के बंगले से कैश मिलने की खबर और उनके तबादले का आपस में कोई संबंध नहीं है।
इंदिरा जयसिंह बोलीं- जानकारी सार्वजनिक हो सीनियर लॉयर इंदिरा जय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के निर्णय में पारदर्शिता की कमी की आलोचना की है। उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि अपर्याप्त जानकारी के आधार पर टिप्पणी करना अनुचित है। कॉलेजियम से अनुरोध है कि वह घटना से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करे। कैश किन परिस्थितियों में बरामद किया गया। इसकी जानकारी सबको होनी चाहिए। अब तक सिर्फ अटकलें ही लोगों के सामने है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक जज कार्रवाई से अलग नहीं है।
संसद में उठा जज के बंगले पर भारी कैश मिलने का मामला कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने शुक्रवार को यह मामला राज्यसभा में उठाया। उन्होंने न्यायिक जवाबदेही का मसला उठाते हुए सभापति से इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस का जिक्र किया।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखा, जस्टिस वर्मा 2012 से अगस्त 2013 तक यूपी के मुख्य स्थायी अधिवक्ता थे। तब अखिलेश यादव सीएम थे। क्या किसी ने यूपी के पूर्व सीएम से इस बारे में सवाल किया?
इलाहाबाद हाई कोर्ट की बार ने कहा- यह कूड़ेदान नहीं जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट तबादले की खबर पर वहां की हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर इलाहाबाद स्थानांतरित किया है। यह सजा है या इनाम? क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़ेदान है?’
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, ‘आम कर्मचारी के घर 15 लाख रु. मिल जाएं, तो उसे जेल भेज दिया जाता है। जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देना चाहिए। अगर वे यहां जॉइन करते हैं, तो हम स्वागत नहीं होने देंगे। कोर्ट में काम नहीं होगा।’
न्यायपालिका के भ्रष्टाचार का पीड़ित आम आदमी: जस्टिस ढींगरा रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने कहा, ‘न्यायपालिका में लंबे समय से भ्रष्टाचार है। इसे खत्म करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए। पीड़ा आम आदमी भोगता है। जज के घर करेंसी मिली तो सुप्रीम कोर्ट को FIR की अनुमति देनी थी। आगे कार्रवाई वैसे ही हो जैसे आम आदमी पर होती है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा- जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगना चाहिए।