चीन बॉर्डर पर ढाई महीने बाद फिर शहादत:मीडिया रिपोर्ट्स में दावा- चीन से झड़प में भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स का एक जवान शहीद, एक जख्मी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह जवान मूल रूप से तिब्बती था और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में तैनात था इससे पहले 5 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे
लद्दाख के दक्षिणी पैंगॉन्ग के विवादित इलाके में चीन के साथ झड़प में भारत का एक जवान शहीद हो गया और एक जख्मी हो गया है। यह दावा विदेशी मीडिया ने किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह जवान मूल रूप से तिब्बती था और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) में तैनात था।
29-30 अगस्त की रात को चीन के करीब 500 सैनिकों ने एक पहाड़ी पर कब्जे की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। इससे पहले, 5 जून को लद्दाख के गलवान में भारतीय और चीनी जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीले तारों से हमला किया था। इसमें 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के भी करीब 35 सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने अभी तक पुष्टि नहीं की है।
चीन ने 3 दिन में 3 बार उकसाने वाली कार्रवाई की
29-30 अगस्त की रात के बाद 31 अगस्त को भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर उकसाने वाली कार्रवाई की। अगले दिन यानी 1 सितंबर को फिर खबर आई कि चीन के सैनिकों ने चुनार इलाके में घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने फिर खदेड़ दिया।
सेना को 20 अगस्त से ही चीन की साजिश की भनक थी
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना पिछले महीने ही इंटेलीजेंस इनपुट मिल गया था कि चीनी सैनिक पैंगॉन्ग झील के दक्षिण में नया मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। इस आधार पर भारतीय सेना ने एक हफ्ते की तैयारी की और दक्षिणी छोर पर एलएसी से लगे ठिकानों पर जवान तैनात कर दिए। सेना का यह अनुमान सटीक निकला कि गलवान से लेकर पैंगॉन्ग के उत्तरी छोर और देपसांग में 5 महीने से चीन जो चाल चल रहा है, वही अब दक्षिणी छोर पर दोहराने की तैयारी है। 29-30 जनवरी की रात जब चीन के 500 सैनिक घुसपैठ करने पहुंचे तो भारतीय जवानों को देखकर उनके होश उड़ गए।
चीन की बौखलाहट:बातचीत की आड़ में चीन ने 3 दिन में 2 बार घुसपैठ की कोशिश की, भारतीय सेना ने हर बार खदेड़ा; दोनों के आर्मी अफसर आज फिर मीटिंग कर रहे
- भारतीय सेना को 20 अगस्त से ही चीन की साजिश की भनक थी, इसलिए जवान तैनात कर दिए थे
- दक्षिणी पैंगॉन्ग के विवादित इलाके में पूरी तरह भारत का कब्जा, यहां की कई चोटियों पर आर्मी मौजूद
लद्दाख में सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन एक तरफ बातचीत कर रहा है, तो दूसरी ओर घुसपैठ की नाकाम कोशिशों में लगा है। 29-30 अगस्त की रात चीन के सैनिकों ने लद्दाख में पैंगॉन्ग झील की दक्षिणी पहाड़ी पर कब्जे की कोशिश की थी। 31 अगस्त को भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर उकसाने वाली कार्रवाई की। अगले दिन यानी 1 सितंबर को फिर खबर आई कि चीन के सैनिकों ने चुनार इलाके में घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने फिर खदेड़ दिया।
भारत ने दो टूक कहा- चीन फ्रंटलाइन पर अपने सैनिकों को काबू में रखे
सीमा पर तनाव के बीच भारत-चीन की सेनाओं के ब्रिगेड कमांडर लेवल के अफसर आज लगातार तीसरे दिन बातचीत कर रहे हैं। ये मीटिंग चुशूल सेक्टर में एलएसी से 20 किलोमीटर दूर स्थित मॉल्दो में हो रही है। इससे पहले भारत ने चीन से दो टूक कहा है कि वह अपने फ्रंटलाइन सैनिकों को काबू में रखे। उधर, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 1962 का युद्ध याद दिलाते हुए धमकी दी है कि चीनी सेना से भारत अपनी रक्षा नहीं कर सकता।
सेना को 20 अगस्त से ही चीन की साजिश की भनक थी
सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना पिछले महीने ही इंटेलीजेंस इनपुट मिल गया था कि चीनी सैनिक पैंगॉन्ग झील के दक्षिण में नया मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। इस आधार पर भारतीय सेना ने एक हफ्ते की तैयारी की और दक्षिणी छोर पर एलएसी से लगे ठिकानों पर जवान तैनात कर दिए। सेना का यह अनुमान सटीक निकला कि गलवान से लेकर पैंगॉन्ग के उत्तरी छोर और देपसांग में 5 महीने से चीन जो चाल चल रहा है, वही अब दक्षिणी छोर पर दोहराने की तैयारी है। 29-30 जनवरी की रात जब चीन के 500 सैनिक घुसपैठ करने पहुंचे तो भारतीय जवानों को देखकर उनके होश उड़ गए।
विवादित इलाके में भारत का पूरा कब्जा
सेना के सूत्रों के मुताबिक, दक्षिणी पैंगॉन्ग के विवादित इलाके में पूरी तरह से भारत का कब्जा है। यहां की कई चोटियों पर आर्मी मौजूद है। सेना की तरफ से कहा गया है कि चोटियों पर हमारे जवान इसलिए काबिज हैं, क्योंकि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को लेकर भारत की स्थिति एकदम साफ है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि मुश्किल समझे जाने वाले स्पांगुर गैप, स्पांगुर झील और इसके किनारे की चीनी सड़क पर भी भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया है। चीन लद्दाख सीमा पर कई चोटियों पर अपना दावा करता रहा है। वह पैंगॉन्ग झील के पूरे दक्षिणी हिस्से और स्पांगुर गैप पर भी कब्जा करना चाहता था, ताकि बढ़त हासिल कर सके।
बैकफुट पर चीन, विदेश मंत्री और मंत्रालय दोनों के बयान आए
भारत के दावे के बाद चीन की बौखलाहट दिखी। वहां के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच विवाद की वजह सीमा तय नहीं होना है। इसके चलते हमेशा समस्या बनी रहेगी। फिर भी हम भारत से बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाने को तैयार हैं।’’
वहीं, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि दोनों पक्षों (भारत-चीन) को तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए, ताकि द्विपक्षीय रिश्तों में कोई अड़चन न आए और सीमा पर शांति कायम रहे। चीन न तो कभी युद्ध भड़काने में विश्वास रखता है, न ही हमने किसी दूसरे देश की एक इंच जमीन कब्जाई है। हमारी सेनाओं ने कभी भी सीमा पार नहीं की। लगता है कि कुछ कम्युनिकेशन का मसला है।