महाराष्ट्र के गृह मंत्री पर शिवसेना का हमला:संजय राउत ने कहा- वझे की वसूली की जानकारी न हो, ऐसा कैसे हो सकता है; देशमुख को बताया, एक्सीडेंटल मिनिस्टर

वहीं, राउत के लेख पर महाराष्ट्र के डिप्टी CM और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने नाराजगी जताई है। पवार ने कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार के प्रमुख नेताओं को इस तरह के बयान देकर सरकार को मुश्किल में लाने का काम नहीं करना चाहिए।

मुंबई। एंटीलिया, सचिन वझे और गृह मंत्री पर लगे वसूली के आरोपों के बीच रविवार को शिवसेना के मुखपत्र में छपे लेख से महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से उबाल आ गया है। विपक्ष के हमलों के बाद शिवसेना के सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि गृह मंत्री को सचिन वझे की वसूली की जानकारी न हो, ऐसा कैसे हो सकता है। उन्होंने अनिल देशमुख को एक्सीडेंटल मिनिस्टर बताते हुए उन्हें नसीहत भी दी है। साथ ही विपक्ष को भी जता दिया कि लाख कोशिश कर लो महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार नहीं गिरेगी।

वहीं, राउत के लेख पर महाराष्ट्र के डिप्टी CM और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने नाराजगी जताई है। पवार ने कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार के प्रमुख नेताओं को इस तरह के बयान देकर सरकार को मुश्किल में लाने का काम नहीं करना चाहिए।

सचिन वझे को इतने अधिकार किसने दिए?
संजय राउत ने लेख में पूछा कि आखिर सस्पेंड पुलिस अधिकारी सचिन वझे की वसूली की जानकारी गृह मंत्री को कैसे नहीं हुई? राउत ने आगे लिखा कि आखिर असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (API) स्तर के अधिकारी सचिन वझे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जांच का विषय है। पुलिस कमिश्नर, गृह मंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा सचिन वझे महज एक API था, लेकिन उसे सरकार में असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया।

सीनियर नेताओं के इनकार के बाद देशमुख बने मंत्री
राउत ने आगे लिखा कि NCP के सीनियर नेताओं जयंत पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल ने गृह मंत्री का पद लेने से इनकार कर दिया था। इसलिए शरद पवार ने अनिल देशमुख को गृह मंत्री बना दिया। आज मौजूदा सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोई योजना नहीं है। संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृह मंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर इतने सारे आरोपों से संदेह बढ़ता है।

देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया
लेख में आगे कहा गया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया। गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए। बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है। ‘सौ सुनार की एक लोहार की’ ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट’ लेने के लिए नहीं होता है। वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है। प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे चलेगा?

…तो मोदी सरकार पहले गिरेगी
संजय राउत ने सामना में लिखा कि महाराष्ट्र में विपक्ष को उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की जल्दबाजी है, इसलिए फटे हुए गुब्बारे में हवा भरने का काम वो कर रही है। उनके आरोप शुरुआत में जोरदार लगते हैं, बाद में गलत साबित होते हैं। लेकिन ऐसे आरोपों के कारण सरकार गिरने लगे तो केंद्र की मोदी सरकार को पहले जाना होगा।

राजभवन की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठाया
राउत ने राजभवन की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस पूरे दौर में क्या किया? ठाकरे सरकार जल्दी से गिर जाए, इसके लिए राज्यपाल राजभवन के समुद्र में बैठकर ईश्वर का जलाभिषेक कर रहे हैं। एंटीलिया और परमबीर सिंह की चिट्‌ठी के बाद राज्यपाल सरकार गिरने की उम्मीद लगाकर बैठे थे। उस पर भी पानी फिर गया। महाराष्ट्र के भाजपा नेता आए दिन राज्यपाल से मिल रहे हैं। दिल्ली जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं, इससे राजभवन की प्रतिष्ठा भी कलंकित हुई है।

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