चीनी कंपनियों पर कार्रवाई / आईसीएमआर की नई एडवायजरी: चीन की दो कंपनियों की रैपिड टेस्टिंग किट वापस भेजेंगे, राज्य इनका इस्तेमाल तुरंत बंद करें
राज्यों को चीन के गुआंगझोऊ वोंडफो बायोटेक और झूहाई लिवजॉन डायग्नोस्टिक से मिली किट का इस्तेमाल तत्काल रोकने के लिए कहा गया स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया- आईसीएमआर ने टेस्ट किट ऑर्डर करने के टेंडर में सभी प्रक्रिया का पालन किया
नई दिल्ली. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने राज्य सरकारों से कहा है कि संक्रमितों की जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट (आरपीसीटी) किट का इस्तेमाल तुरंत बंद करें। इसके लिए राज्यों को नई एडवाइजरी जारी की गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि राज्यों को चीन के गुआंगझोऊ वोंडफो बायोटेक और झूहाई लिवजॉन डायग्नोस्टिक से मिली किट का इस्तेमाल तत्काल रोकने के लिए कहा गया है। पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए आईसीएमआर ने टेंडर के आधार पर किट के लिए ऑर्डर दिया था। इसमें कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां शामिल थीं। टेंडर को अंतिम मंजूरी देने से पहले जरूरी मानकों का ध्यान रखा गया था।
अग्रवाल ने बताया कि जब ऑर्डर लेने वाली कंपनियों से टेस्ट किट मिली तो इसमें कुछ शिकायतें सामने आई। आईसीएमआर इस पर तुंरत कार्रवाई करते हुए टेंडर रद्द कर दिया। फिलहाल किसी भी दूसरी कंपनी को टेंडर नहीं दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय टेंडर फाइनल करने की एक समुचित प्रक्रिया है। अगर कंपिनयों से मिला ऑर्डर ठीक नहीं पाया जाता है तो पेमेंट नहीं किया जाता।
देश में टेस्ट किट की कमी नहीं: लव अग्रवाल
अग्रवाल ने कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में आरपीसीटी टेस्ट किट उपलब्ध है। स्थितियों के हिसाब से हम क्षमताएं भी बढ़ा रहे है। आरटीपीसीआर एक विश्वसनीय जांच प्रक्रिया है। इससे हमें संक्रमितों की पहचान करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो रही। आईसीएमआर अपने मापदंडों के हिसाब से काम कर रहा है। हम अपने लैब और कलेक्शन सेंटर बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। हम देश के हर हिस्से में नए लैब बना रहे हैं, जिससे जांच में तेजी लाई जा सके।
रैपिड किट क्या होती है, इसके नतीजे कैसे हैं?
इस टेस्ट से कोरोना के संदिग्ध मरीजों के खून के नमूनों की जांच की जाती है। ये संदिग्ध मामलों की तेजी से स्क्रीनिंग और उनका पता लगाने के लिए जरूरी है। मरीज के स्वाब की पैथोलॉजी लैब में होने वाली टेस्ट से मिलने वाले नतीजों की तुलना में रैपिड टेस्ट किट से नतीजे कम समय में मिल जाते हैं।
रैपिड टेस्ट में एक कमी है। शरीर में अगर कोरोनावायरस है, लेकिन उस पर एंडीबॉडीज ने असर नहीं डाला तो रैपिड टेस्ट निगेटिव आएगा। यानी वायरस की मौजूदगी है, लेकिन पता नहीं चलेगा। ऐसे में उस व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण बाद में उभर सकते हैं और तब तक वह दूसरों को संक्रमित कर सकता है। जबकि आरटीपीसीआर टेस्ट में नतीजे सटीक आते हैं।
आईसीएमआर ने रैपिड टेस्ट किट को लेकर क्या कहा था?
राज्यों ने आईसीएमआर से किट के नतीजों को लेकर शिकायत की थी। तब आईसीएमआर के साइंटिस्ट डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने 21 अप्रैल कहा था, ‘‘तीन राज्यों में किट की एक्यूरेसी में फर्क सामने आया है। कुछ जगहों पर इसकी एक्यूरेसी 6% और कुछ पर 71% है। कोरोना महज साढ़े तीन महीने पुरानी बीमारी है। इसकी जांच की तकनीक में सुधार आता रहेगा, लेकिन हम इन नतीजों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’’