नई सरकार का शपथ-ग्रहण:असम में हिमंत बिस्वा ने मुख्यमंत्री पद संभाला; पश्चिम बंगाल में ममता के 43 मंत्रियों ने भी शपथ ली
नई दिल्ली। असम में हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ नए मंत्रीमंडल ने भी श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में शपथ ग्रहण की। इससे पहले रविवार को सर्वसम्मति से भाजपा और NDA विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक हिमंत का असम का 15वां मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था।
उधर, पश्चिम बंगाल में बंगाल सरकार के मंत्रिमंडल ने शपथ ली। इसमें कुल 43 मंत्री शामिल हैं। राजभवन में कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए सभी कैबिनेट मंत्रियों, स्वतंत्र प्रभार, राज्य मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई। डॉ. अमित मित्र और ब्रात्य बसु समेत 3 मंत्रियों ने वर्चुअली शपथ ली। हालांकि विभाग के बंटवारे पर फैसला बाद में किया जाएगा। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद रहीं।
ममता ने 5 मई को शपथ ली थी
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में TMC ने 213 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल की है। वहीं, भाजपा ने 77 सीटें हासिल कीं। तृणमूल चीफ ममता बनर्जी ने 5 मई को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
असम में इसलिए नेतृत्व में किया गया बदलाव
- बिस्वा पूरे नॉर्थ-ईस्ट में काफी प्रभावी माने जाते हैं। सोनोवाल सरकार में उन्होंने फाइनेंस, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, एजुकेशन और PWD जैसे अहम विभागों का जिम्मा संभाला था। केंद्रीय नेतृत्व के शीर्ष नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी पर बिस्वा को असम की कमान सौंपने का दबाव था।
- बिस्वा 2015 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। माना जाता है कि उस वक्त बिस्वा के पॉलिटिकल मैनेजमेंट स्किल्स से अमित शाह काफी प्रभावित हुए थे। नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी के विस्तार में भी बिस्वा की अहम भूमिका मानी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमित शाह ने भी इस बात को माना था।
- बिस्वा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के संयोजक भी हैं। इस अलायंस का गठन क्षेत्रीय दलों को बीजेपी की अगुआई में लाने के लिए किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिस्वा की निगाहें भी हमेशा से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थीं।
असम में भाजपा+ ने जीती 75 सीटें
असम में तीन चरणों में हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया है, क्योंकि इससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।
सरमा ने एक लाख वोट से जीता चुनाव
सोनोवाल ने कांग्रेस नेता राजिब लोचन पेगू को 43,192 वोट से हराकर माजुली में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। वहीं हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस के रोमेन चंद्र बोरठाकुर को 1.01 लाख मतों के अंतर से हराकर जालुकबारी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। सोनोवाल और सरमा के अलावा भाजपा के 13 अन्य मंत्री भी आसानी से अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे।
NRC-CAA से भाजपा को नुकसान नहीं
इन नतीजों ने यह बता दिया है कि NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स और CAA यानी सिटिजन अमेंडमेंटशिप एक्ट का मुद्दा भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया। यह दावा इसलिए भी पुख्ता हो जाता है, क्योंकि पिछली बार 12 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद करने वाला बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस बार कांग्रेस और लेफ्ट के साथ था। इसके बावजूद भाजपा को नुकसान नहीं हुआ।