केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को ग्लोबल टाइगर डे की पूर्वसंध्या पर एक रिपोर्ट जारी की। उन्होंने बताया कि दुनिया के 70% बाघ भारत में हैं। यहीं नहीं 1973 में हमारे देश में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे। जिनकी संख्या अब बढ़कर 50 हो गई हैं। उन्होंने कहा कि ये भी जानना जरूरी है कि ये सभी खराब हालत में नहीं हैं। ये सभी या तो अच्छे हैं या फिर बेस्ट।
रिपोर्ट जारी करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया की 2.5% जमीन है। दुनिया की 4% बारिश और 16% जनसंख्या भारत में है। इसके बाद भी भारत दुनिया की 8% जैव-विविधता का हिस्सा है। इसलिए भारत को अपनी उपलब्धि पर गर्व है।
India has 70% of the total tiger population of the world. India should be proud of it. This is one of our soft powers. We have 30,000 elephants, 3000 one-horned rhinos and more than 500 lions: Prakash Javadekar, Minister of Environment, Forest & Climate Change pic.twitter.com/6GGpz39QEs
— ANI (@ANI) July 28, 2020
वर्तमान में भारत समेत कुल 13 टाइगर रेंज नेशन
जावड़ेकर ने कहा कि हम लीडरशिप के लिए तैयार हैं। हम सभी 12 टाइगर रेंज देशों का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हम उनकी ट्रेनिंग, कैपेसिटी बिल्डिंग और मैनेजमेंट में हरसंभव मदद के लिए भी तैयार हैं। इस समय भारत समेत कुल 13 टाइगर रेंज नेशन हैं। जिनमें बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
इवेंट में देश के सभी 50 टाइगर रिजर्व की कंडीशन पर रिपोर्ट भी जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा टाइगर हैं। जावड़ेकर के अलावा पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि बाघों के संरक्षण में भारत का योगदान इतना प्रशंसनीय है कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इसे दर्ज किया है।
इसी महीने रिकॉर्ड की घोषणा हुई थी
द ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन की ओर से 2018 में सर्वे किया गया था। इसे पिछले साल ही जारी किया गया था, जबकि वर्ल्ड रिकॉर्ड की घोषणा कुछ हफ्ते पहले ही की गई थी। इस सर्वे के मुताबिक देश में शावकों को छोड़कर बाघों की संख्या 2461 और कुल संख्या 2967 है। 2006 में यह संख्या 1411 थी। तब भारत ने इसे 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। भारत में सबसे ज्यादा 1492 बाघ तीन राज्यों मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में हैं।