नई दिल्ली। दिल्ली से सटे हरियाणा और UP बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का आज 25वां दिन है। सरकार और किसान दोनों की ओर से कोई पहल न होने की वजह से यहां वक्त थमा हुआ है। फिलहाल कोई बड़ी हलचल नहीं है। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन रोज की तरह चल रहा है।
इस बीच PM नरेंद्र मोदी रविवार को दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंचे। यहां उन्होंने मत्था टेका। उनका यहां आना पहले से तय नहीं था। वे अचानक गुरुद्वारा पहुंचे थे। उधर, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आज शहीदी दिवस मनाएंगे। इस दौरान धरना स्थल और पूरे पंजाब में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। कई कार्यक्रम विशेष होंगे। भारतीय किसान यूनियन के चीफ सेक्रेटरी मांगे राम त्यागी ने यह जानकारी दी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोगों से कृषि सुधारों को रेखांकित करती अपनी सरकार द्वारा जारी की गई ई-पुस्तिका पढ़ने और उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का आग्रह किया है. सरकार ने अंग्रेजी और हिंदी में ई-पुस्तिका जारी की है जो सितंबर में लागू किए गए सुधारों से फायदा उठाने वाले किसानों की सफलता को रेखांकित करती है. प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा था, ‘इस पुस्तिका में ग्राफिक्स और बुकलेट समेत ढेर सारी चीजें हैं, जिनके जरिये यह समझाया गया है कि हाल ही में लाए गए कृषि सुधार हमारे किसानों के लिए किस प्रकार लाभकारी हैं. ये नमो ऐप के वॉलंटियर मॉड्यूल के यॉर वॉइस और डाउनलोड सेक्शन में मिल सकते हैं. इसे पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं.’
There is a lot of content, including graphics and booklets that elaborate on how the recent Agro-reforms help our farmers. It can be found on the NaMo App Volunteer Module’s Your Voice and Downloads sections. Read and share widely. https://t.co/TYuxNNJfIf pic.twitter.com/BHfE4F410k
— Narendra Modi (@narendramodi) December 19, 2020
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कहा कि वर्तमान में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं.कोविड 19 और ठंड को देखते हुए किसानों के इलाज के लिए पंजाब के विभिन्न अस्पतालों से डॉक्टर और नर्स भी सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं.
Delhi: Medical staff of different hospitals in Punjab reach Singhu border (Delhi-Haryana border). "We're here to support agitating farmers but we all are ready to serve if anyone falls ill," says Harshdeep Kaur, who is working as a staff nurse at a hospital in Ludhiana. pic.twitter.com/QhLSdPiEnQ
— ANI (@ANI) December 20, 2020
आज किसान आंदोलन का 25वां दिन है. किसान आंदोलन में हुई 33 किसानों की मौत पर किसान आज उन्हें याद कर रहे हैं. गाजीपुर बॉर्डर पर किसान इस शहीदी दिवस के रूप में मना रहे हैं.
सिंघु बॉर्डर पर पगड़ी का लंगर
पंजाब से आए वॉलंटियर्स के एक ग्रुप ने सिंघु बॉर्डर पर पगड़ी लंगर शुरू किया है। यहां किसानों को फ्री में पगड़ी बांधी जा रही है। वॉलंटियर्स पग भी अपने साथ लाए हैं। यह भी मुफ्त दी जा रही है। उनका कहना है कि हम लोगों को बता रहे हैं कि पग कैसे बांधी जाती है।
किसानों को फ्री में टैटू बनाया, ताकि उन्हें आंदोलन हमेशा याद रहे
पंजाब के एक टैटू आर्टिस्ट ने आंदोलन वाली जगह पर स्टॉल लगाया है। यहां किसानों को फ्री में टैटू बनाए जा रहे हैं। टैटू बना रहे रविंद्र सिंह ने बताया कि इस पहल का मकसद किसानों को मोटिवेट करना है। इससे यह आंदोलन उनके लिए यादगार बन जाएगा।
रविंद्र ने बताया कि मैं लुधियाना से आकर किसानों के हाथ पर टैटू बना रहा हूं। यह भी उन्हें समर्थन देने का एक तरीका है। अब तक 30 किसानों ने टैटू बनवाए हैं। इनमें से ज्यादातर ने ट्रैक्टर, फसल, पंजाब का नक्शा और मोटिवेशनल कोट बनवाया है।
पंजाब के अस्पतालों से स्टाफ पहुंचा
पंजाब के अलग-अलग अस्पतालों का मेडिकल स्टाफ किसानों की मदद के लिए पहुंच रहा हे। उनका कहना है कि हम यहां किसानों के समर्थन में आए हैं। लुधियाना के एक अस्पताल में नर्स हर्षदीप कौर ने बताया कि अगर कोई बीमार पड़ता है तो हम उसके इलाज के लिए तैयार हैं।
राजस्थान में भी आंदोलन ने जोर पकड़ा
कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान में भी 12 दिसंबर से आंदोलन किया जा रहा है। अलवर के शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर 30×15 फीट के टैंट शुरू होकर इसका दायरा अब करीब एक किलोमीटर तक फैल चुका है।
राजस्थान में हो रहे आंदोलन में हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के किसान संगठनों के प्रतिनिधि और किसान भी शामिल हुए हैं। उनके लिए टैंट लगाए गए हैं। यहां रात का पारा चार डिग्री सेल्सियस से नीचे जाने लगा है। खेतों में ओस की बूंदें जमने लगी हैं, लेकिन किसान डटे हुए हैं।