दिल्ली के दरवाजे पर 14 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार ने छह दौर की बातचीत के बाद आज 10 पॉइंट का प्रस्ताव भेज दिया। इस प्रस्ताव में सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने पर लिखित में भरोसा देने पर राजी हो गई। सरकार ने यह भी कहा कि वह एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी यानी APMC के तहत बनी मंडियों को बचाने के लिए कानून में भी बदलाव करेगी। हालांकि, कृषि कानूनों को खत्म करने की किसानों की सबसे पहली मांग सरकार ने ठुकरा दी।
सरकार ने किसानों की 10 अहम मांगों में से एक को सिरे से ठुकरा दिया। 5 मुद्दों पर सफाई देने की बात कही और 4 मुद्दों पर मौजूदा व्यवस्था में बदलाव का भरोसा दिया।
1. नए कानून
- किसानों का मुद्दा: कृषि सुधार कानूनों को रद्द करें।
- सरकार का प्रस्ताव: कानून के वे प्रावधान, जिन पर किसानों को ऐतराज है, उन पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है।
2. फसलों का कारोबार
- किसानों का मुद्दा: सरकारी एजेंसी को उपज बेचने का विकल्प खत्म हो जाएगा। फसलों का कारोबार निजी हाथों में चला जाएगा।
- सरकार का जवाब: नए कानूनों में सरकारी खरीद की व्यवस्था में कोई दखल नहीं दिया गया है। MSP सेंटर्स राज्य सरकारें बना सकती हैं। वे वहां मंडियां बनाने के लिए भी आजाद हैं।
- सरकार का प्रस्ताव: MSP की व्यवस्था भी लगातार मजबूत हुई है। फिर भी केंद्र सरकार MSP पर लिखित आश्वासन देगी।
3. किसानों की जमीन
- किसानों का मुद्दा: किसानों की जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। किसान अपनी जमीन खो देगा।
- सरकार का जवाब: कृषि करार अधिनियम के मुताबिक, खेती की जमीन की बिक्री, लीज और मॉर्टगेज पर किसी भी तरह का करार नहीं हो सकता। किसान की जमीन पर कोई ढांचा भी नहीं बनाया जा सकता। अगर ढांचा बनता है, तो फसल खरीदने वाले को करार खत्म होने के बाद उसे हटाना होगा। यदि ढांचा नहीं हटा, तो उसकी मिल्कियत किसान की होगी।
- सरकार का प्रस्ताव: यह साफ किया जाएगा कि किसान की जमीन पर ढांचा बनाए जाने की स्थिति में फसल खरीददार उस पर कोई कर्ज नहीं ले सकेगा और न ही ढांचे को अपने कब्जे में रख सकेगा।
4. APMC मंडियां
- किसानों का मुद्दा: आशंका है कि मंडी समितियों यानी APMC के तहत बनी मंडियां कमजोर होंगी और किसान प्राइवेट मंडियों के चंगुल में फंस जाएगा।
- सरकार का जवाब: किसान मंडियों के अलावा कोल्ड स्टोरेज से, सीधे अपने खेतों से या फैक्ट्रियों में जाकर भी अपनी फसल बेच सकें, इसके लिए नए विकल्प लाए गए हैं। किसानों को ज्यादा पैसा मिल सके और ज्यादा कॉम्पीटिशन रहे, इसलिए नए विकल्प लाए गए। मंडी समितियों में और MSP पर फसल बेचने के पुराने विकल्प भी बरकरार हैं।
- सरकार का प्रस्ताव: कानून में बदलाव किया जा सकता है, ताकि राज्य सरकारें प्राइवेट मंडियों का रजिस्ट्रेशन कर सकें। ऐसी मंडियों से राज्य सरकारें सेस भी वसूल सकेंगी।
5. जमीन की कुर्की
- किसानों का मुद्दा: नए कानून में किसानों की जमीन की कुर्की हो सकती है।
- सरकार का जवाब: नए कानून की धारा-15 में यह साफ लिखा है कि वसूली के लिए किसान की जमीन कुर्क नहीं हो सकती। खरीददार के खिलाफ तो बकाया रकम पर 150% जुर्माना लग सकता है, लेकिन किसानों पर पेनल्टी लगाने का प्रावधान नहीं है।
- सरकार का प्रस्ताव: फिर भी कोई सफाई चाहिए, तो उसे जारी किया जाएगा।
6. विवादों का कोर्ट में निपटारा
- किसानों का मुद्दा: कोई विवाद हो जाए, तो नया कानून कहता है कि किसान सिविल कोर्ट में नहीं जा सकते।
- सरकार का जवाब: 30 दिन में समस्या का हल हो सके, ऐसा प्रावधान किया गया है। सुलह बोर्ड के जरिए आपसी समझौते की भी व्यवस्था है।
- सरकार का प्रस्ताव: सिविल कोर्ट में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
7. पैन कार्ड से फसल खरीद
- किसानों का मुद्दा: रजिस्ट्रेशन की बजाय पैन कार्ड दिखाकर फसल खरीद होगी, तो धोखा भी होगा।
- सरकार का जवाब: मार्केटिंग के ज्यादा विकल्प देने के लिए पैन कार्ड की व्यवस्था लाई गई।
- सरकार का प्रस्ताव: राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि वे फसल खरीदने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन का नियम बना सकें।
8. पराली जलाने पर सजा
- किसानों का मुद्दा: एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑफ एनसीआर ऑर्डिनेंस 2020 को खत्म किया जाए, क्योंकि इसके तहत पराली जलाने पर जुर्माना और सजा हो सकती है।
- सरकार का प्रस्ताव: किसानों की आपत्तियों को दूर किया जाएगा।
9. रजिस्ट्रेशन
- किसानों का मुद्दा: एग्रीकल्चर एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं है।
- सरकार का जवाब: नए कानून के तहत राज्य सरकारें रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू कर सकती हैं। वे रजिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल भी बना सकती हैं।
- सरकार का प्रस्ताव: जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रेशन का सिस्टम नहीं बनातीं, तब तक यह व्यवस्था की जाएगी कि एग्रीकल्चर एग्रीमेंट होने के बाद 30 दिन के अंदर उसकी एक कॉपी एसडीएम ऑफिस में जमा कराई जाए।
10. बिजली बिल
- किसानों का मुद्दा: बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्म किया जाए।
- सरकार का जवाब: यह विधेयक अभी चर्चा के लिए है। प्रस्ताव है कि राज्य सरकार एडवांस में सब्सिडी को लोगों के खाते में जमा कराए।
- सरकार का प्रस्ताव: किसानों के बिजली बिल के पेमेंट की मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।