किसानों से बात करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी की मंत्रियों से मीटिंग, किसान बोले- आज आर-पार की लड़ाई होगी

उधर, किसानों ने कहा है कि सरकार बार-बार तारीख दे रही है। ऐसे में सभी संगठनों ने फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है। किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने कहा कि आज आर-पार की लड़ाई करके आएंगे, रोज-रोज बैठक नहीं होगी। आज बैठक में कोई और बात नहीं होगी, सिर्फ कानूनों को रद्द करने के लिए ही बात होगी।

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  • आज की बैठक में समाधान निकलने की संभावना है लेकिन जैसे सरकार ने कमियों के साथ बिलों को पारित किया उससे उनकी नीतियों पर आज भी हमें शक है। वो शायद कोई फाॅर्मूला निकालें, लेकिन फाॅर्मूले से बात नहीं बनेगी। इन कानूनों को रद्द किया जाएः किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के संयुक्त सचिव

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन का आज 10वां और अहम दिन है। दोपहर 2 बजे किसानों की सरकार से बातचीत होनी है, लेकिन इससे पहले दो बड़े डेवलपमेंट हुए हैं। अचानक खबर आई कि किसानों को मनाने के लिए पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों से चर्चा कर रहे हैं। मोदी के घर हो रही मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद हैं। इस बैठक में शामिल होने से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा, ‘हमें पूरी उम्मीद है कि किसान सकारात्मक सोच रखते हुए आंदोलन खत्म करेंगे।’

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं. वहीं इस मसले पर गृहमंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे. शनिवार को किसान संगठनों के साथ पांचवें की दौर की बैठक से पहले ये बड़ी मीटिंग हुई. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद हैं. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी इस बैठक में पहुंचे.

पीएम मोदी के साथ किसान आंदोलन को लेकर गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल  की बैठक करीब 11.40 बजे खत्म हो गई. यह बैठक करीब दो घंटे चली.

बैठक से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज दोपहर 2 बजे किसानों के साथ एक बैठक निर्धारित है. मुझे बहुत उम्मीद है कि किसान सकारात्मक सोचेंगे और अपना आंदोलन समाप्त करेंगे.

वहीं इस बीच, किसान महापंचायत के नेता रामपाल जाट ने कहा कि सरकार को तीन काले कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए और उसे लिखित में देना होगा कि एमएसपी जारी रहेगी. अगर आज की वार्ता से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकलता है, तो राजस्थान के किसान एनएच-8 के साथ दिल्ली की ओर मार्च करेंगे और जंतर मंतर पर डेरा डालेंगे.

बता दें कि किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर ठोस भरोसा चाहते हैं. केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात तो नहीं मान रही है लेकिन किसानों की कुछ ऐसी मांग हैं जिनपर वह राजी होती दिखाई दे रही है.

हालांकि किसानों का चिल्ला बॉर्डर (दिल्ली-नोएडा लिंक रोड) पर भी प्रदर्शन जारी है. एक किसान ने कहा कि अगर सरकार के साथ बातचीत में आज कोई नतीजा नहीं निकला तो फिर संसद का घेराव करेंगे. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर पिछले नौ दिन से डटे हुए हैं और उनके प्रदर्शन का 10वां दिन है. तमाम मसलों को लेकर दो बार केंद्र सरकार के साथ चर्चा हुई है. मगर अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आाया है.

किसान बोले- आज सिर्फ कानून रद्द करने की बात होगी
उधर, किसानों ने कहा है कि सरकार बार-बार तारीख दे रही है। ऐसे में सभी संगठनों ने फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है। किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने कहा कि आज आर-पार की लड़ाई करके आएंगे, रोज-रोज बैठक नहीं होगी। आज बैठक में कोई और बात नहीं होगी, सिर्फ कानूनों को रद्द करने के लिए ही बात होगी।

8 दिसंबर को भारत बंद का अल्टीमेटम
इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने कहा कि अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है।शुक्रवार को किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा- आने वाले दिनों में दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसान संगठन आज मोदी के पुतले भी जलाएंगे।

170 से ज्यादा किसान बीमार, कोरोना टेस्ट के लिए तैयार नहीं
टिकरी-कुंडली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे 170 से ज्यादा किसान बुखार और खांसी से पीड़ित हैं। यहां लगे कैंपों में हजारों किसान दवा ले रहे हैं। अपील के बावजूद किसान कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। किसानों को समर्थन देने पहुंचे महम विधायक बलराज कुंडू कोरोना पॉजिटिव मिले। हरियाणा भाकियू के प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया- किसानों से अपील कर रहे हैं कि तबीयत खराब होते ही चेकअप करवा कर दवाई लें। जिन्हें बुखार है, वे कोरोना टेस्ट भी कराएं। करीब एक हजार किसान दवा ले चुके हैं।

केंद्र सुधारों पर राजी, किसान कानून वापसी पर अड़े
किसानों और केंद्र के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बातचीत 7 घंटे चली। इसके बाद साफ हो गया था कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के लीडर दर्शनपाल ने कहा- केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, पर हम नहीं। हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानून में ही खामी है। लिहाजा, इन्हें वापस लिया जाए।

बेशक दिल्ली के बॉर्डर (Delhi Border) पर किसान आंदोलन का आज 10वां दिन है. लेकिन दिल्ली के अंदर और बॉर्डर पर होने वाले आंदोलन की स्क्रिप्ट 40 दिन पहले ही लिखी जा चुकी है. खास बात यह है कि ये स्क्रिप्ट बहुत ज़्यादा लंबी-चौड़ी न होकर सिर्फ तीन लाइनों की है. इसी तीन लाइन पर किसान आंदोलन (Kisan Andolan) चल रहा है और आगे भी चलना है. ऐसा उस मीटिंग में तय हो चुका है जहां यह स्क्रिप्ट लिखी गई थी. यही वजह है कि स्क्रिप्ट के मुताबिक ही किसान (Farmer) अपने साथ 6 महीने का राशन साथ लेकर चले हैं.

26 अक्टूबर को दिल्ली में लिखी गई थी स्क्रिप्ट

एक किसान आंदोलन से जुड़े पदाधिकारी के मुताबिक 26 अक्टूबर को दिल्ली में किसानों की एक मीटिंग बुलाई गई थी. मीटिंग में सभी अलग-अलग किसान संगठनों के 240 लोग जमा हुए थे. इसी मीटिंग में 26 नवंबर से शुरु होने वाले आंदोलन को लेकर कुछ अहम बातें चर्चा में आईं थी. मीटिंग के दौरान ही तय हुआ था कि आंदोलन के दौरान सरकार के साथ होने वाली किसी भी स्तर की बातचीत में 3-4 नहीं कम से कम 30-40 लोग जाएंगे.

हम सिर्फ सरकार की वहीं बात मानेंगे जिसमे वो कहेगी कि हम किसानों की मांग ज्यों की त्यों मान रहे हैं. और तीसरी सबसे अहम यह बात रखी गई थी कि मांग न माने जाने पर हमे किसी भी हाल में पीछे नहीं हटना है. इसके लिए हम कम से कम 6 महीने का राशन साथ लेकर चलेंगे.

एमएसपी पर सरकार लिखित आश्‍वासन देने को तैयार

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह किसान यूनियनों द्वारा की गई मांगों पर विचार कर रहा है और शनिवार को होने वाली पांचवें दौर की वार्ता में सफलता का विश्वास व्यक्त किया है. बैठक की पूर्व संध्या पर अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए, आंदोलनकारी किसानों ने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की और विरोध प्रदर्शन तेज करने की धमकी दी.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘मैं किसानों को विश्वास दिलाता हूं कि एमएसपी में कोई बदलाव नहीं होगा. अगर संघ चाहे तो हम इसे लिखित रूप में देने के लिए तैयार हैं. कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) को मजबूत करना भी हमारी प्राथमिकता है.’

 

सरकार ने 7 घंटे में किसानों की 7 चिंताएं सुनीं, सिर्फ एक पर वादा किया

किसानों की चिंताएं सरकार का जवाब
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद तो नहीं हो जाएगी? MSP चल रही थी, चल रही है और आने वाले वक्त में भी चलती रहेगी।
APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी? प्राइवेट मंडियां आएंगी, लेकिन हम APMC को भी मजबूत बनाएंगे।
मंडी के बाहर ट्रेड के लिए PAN कार्ड तो कोई भी जुटा लेगा और उस पर टैक्स भी नहीं लगेगा। सरकार का वादा– ट्रेडर के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करेंगे।
मंडी के बाहर ट्रेड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा? APMC मंडियों और प्राइवेट मंडियों में टैक्स एक जैसा बनाने पर विचार करेंगे।
विवाद SDM की कोर्ट में न जाए, वह छोटी अदालत है। ऊपरी अदालत में जाने का हक देने पर विचार करेंगे।
नए कानूनों से छोटे किसानों की जमीन बड़े लोग हथिया लेंगे। किसानों की सुरक्षा पूरी है। फिर भी शंकाएं हैं तो समाधान के लिए तैयार हैं।
बिजली संशोधित बिल और पराली जलाने पर सजा पर भी हमारा विरोध है। सरकार विचार करने पर पूरी तरह राजी है।

किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी
शुक्रवार को पिटीशनर ने अर्जी लगाकर कहा कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से तुरंत हटाने के निर्देश दिए जाएं, क्योंकि प्रदर्शनकारियों की वजह से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। पिटीशनर के वकील ओम प्रकाश परिहार ने यह जानकारी दी। हालांकि, इस अर्जी पर सुनवाई का दिन तय नहीं हुआ है।

किसानों के समर्थन में अवॉर्ड वापसी जारी
किसानों के सपोर्ट में अवॉर्ड वापसी का सिलसिला दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। लेखक डॉ. मोहनजीत, चिंतक डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए। गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्मविभूषण अवॉर्ड लौटा दिया था। उनके अलावा राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने पद्मभूषण वापस करने का ऐलान किया था। किसानों का कहना है कि 7 दिसंबर को खिलाड़ी भी अपने अवॉर्ड लौटाएंगे।

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