केंद्र-किसानों में नहीं बनी बात:किसान बोले- कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं; तोमर बोले- ताली तो दोनों हाथों से बजती है
इधर, मीटिंग के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'चर्चा जिस हिसाब से चल रही है, उस हिसाब से किसान चाहते हैं कि सरकार रास्ता निकाले और उन्हें आंदोलन खत्म करने का रास्ता मिले।
नई दिल्ली। केंद्र और किसानों के बीच 8वें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। विज्ञान भवन में करीब 4 घंटे चली बैठक के बाद किसानों ने कहा कि हमने केंद्र के सामने कृषि कानूनों की वापसी की ही बात रखी। बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं।
सोमवार की मीटिंग में MSP को कानूनी रूप देने के मुद्दे पर भी किसानों और केंद्र में सहमति नहीं बन पाई। हालांकि, सरकार और किसान 8 जनवरी को दोबारा बातचीत करने पर राजी हो गए है। मीटिंग के बाद राकेश टिकैत ने कहा, ‘8 जनवरी की बातचीत में भी हमारा मुद्दा MSP और कानूनों की वापसी ही रहेगा।’
इधर, मीटिंग के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘चर्चा जिस हिसाब से चल रही है, उस हिसाब से किसान चाहते हैं कि सरकार रास्ता निकाले और उन्हें आंदोलन खत्म करने का रास्ता मिले। ऐसे मुद्दों पर चर्चा के कई दौर चलते हैं, पूरे देश के करोड़ों किसानों के लाभ के बारे में भी सोचना पड़ता है। सरकार पूरे देश को ध्यान में रखकर ही फैसला करेगी। कानून और MSP ही मुख्य मुद्दे हैं।’
सरकार बोली- दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं
किसानों से कई दौर की बातचीत के बाद भी नतीजा न निकलने पर तोमर ने कहा, ‘ऐसे मामलों में चर्चा आगे बढ़ती है और फिर पीछे जाती है। चर्चा ठीक वातावरण में हुई है और दोनों पक्ष ही जल्द समाधान चाहते हैं। 8 तारीख को 2 बजे बैठक होगी और उसमें चर्चा आगे बढ़ेगी। जब हम तारीख तय करते हैं तो किसान संगठनों की मंजूरी से ही तय करते हैं। स्वाभाविक है कि रास्ता निकालने के लिए दोनों हाथों से ही तालियां बजती हैं।’
किसानों ने फिर ठुकराया सरकारी खाना
सोमवार की मीटिंग के दौरान लंच में सरकार ने किसानों के लिए खाने की व्यवस्था की थी। लेकिन, किसानों ने सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने लंगर का खाना ही खाया। किसानों की बैठक के दौरान करीब 200 लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन पहुंचाया गया था। पिछली मीटिंग में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस समय केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था।
अपडेट्स
- मीटिंग में आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।
- मीटिंग में सरकार ने किसानों से अलग-अलग इश्यू पर बातचीत करने को कहा, लेकिन किसानों ने MSP को कानूनी दर्जा देने पर ही चर्चा की मांग की।
- किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब और हरियाणा में रिलायंस जियो के टावर और ऑफिसों में तोड़फोड़ हुई थी। रिलायंस ने सोमवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। कंपनी ने कहा कि सरकार को तुरंत दखल देकर गुंडागर्दी रोकनी चाहिए।
- मीटिंग के बाद सभी किसान नेताओं ने साफ कर दिया कि कृषि कानूनों की वापसी और MSP पर कानून की मांग पूरी न होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर सहमति बनी थी
1. पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे: अभी 1.करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रोविजन है। सरकार इसे हटाने को राजी हुई।
2. बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं: किसानों को आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद होगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।
सरकार के साथ दो मुद्दों पर सहमति बनने के बाद किसानों के रुख में नरमी दिखी थी और उन्होंने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया था।