नई दिल्ली. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए 3 कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसान अभी तक सड़कों पर डटे (Farmer Protest) हुए हैं. दिल्ली की सीमाओं (Delhi Border) पर किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का यह आंदोलन अब थमने के बजाय आगे बढ़ता दिख रहा है. ऐसे में किसान आज उपवास रख रहे हैं. साथ ही टोल मुक्ति अभियान भी चला रहे हैं. इसके अलावा उन्हें सरकार की ओर से वार्ता के लिए उन्हें आमंत्रित भी किया गया है.
किसान आंदोलन से जुड़े सभी 10 अपडेट हम आपको यहां बताते हैं…
- नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे.
- किसानों की ओर से कहा गया है कि वे 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला ने कहा, ’25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी टोल बूथ पर हम टोल वसूली नहीं होने देंगे, हम उन्हें ऐसा करने से रोकेंगे. 27 दिसंबर को हमारे प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ करेंगे और हम लोगों से अपील करना चाहते हैं कि उनके भाषण के दौरान ‘थालियां’ बजाएं.’
- वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक या दो दिन में प्रदर्शनकारी समूहों से उनकी मांगों पर बातचीत कर सकते हैं.
- पंजाब और हरियाणा के किसानों ने रविवार को श्रद्धांजलि दिवस भी मनाया और उन किसानों को श्रद्धांजलि दी जिनकी मौत जारी आंदोलन के दौरान हुई है. किसान संगठनों ने दावा किया है कि आंदोलन में शामिल 30 से अधिक किसानों की दिल का दौरा पड़ने और सड़क दुर्घटना जैसे विभिन्न कारणों से मौत हुई है. किसानों ने कुछ स्थानों पर ‘अरदास’ भी की.
- दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे है. इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं. सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बार-आर नए कृषि कानूनों के लाभों के बारे में समझाने की कोशिश की है.
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भाकियू नेता राकेश टिकैत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाएंगे. उन्होंने कहा, ‘हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि इस दिन वे दोपहर का भोजन न पकाएं.’
- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि किसान आंदोलन को ‘बिना अवरोध के’ चलने देना चाहिए और यह अदालत इसमें दखल नहीं देगी क्योंकि प्रदर्शन का अधिकार मौलिक अधिकार है.
- किसानों और केंद्र के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद नौ दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया.
- केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को रविवार को आमंत्रित किया और कहा कि वे इसकी तिथि तय करें. सरकार ने कहा है कि कृषि कानूनों में पहले जिन संशोधनों का प्रस्ताव दिया गया था, उन्हें लेकर जो चिंताएं हैं, संगठन वे भी बताएं.
- केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के 40 संगठनों को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि केंद्र किसानों की सभी चिंताओं का उचित समाधान निकालने की खातिर ‘खुले मन से’ हरसंभव प्रयास कर रहा है. अग्रवाल ने कहा कि सरकार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अगली बैठक बुलाना चाहती है ताकि प्रदर्शन जल्द से जल्द समाप्त हों.
कृषि मंत्री की किसानों से आज मीटिंग हो सकती है
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बंगाल में कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसानों के बीच एक-दो दिन में बैठक हो सकती है। दूसरी ओर किसान नेताओं ने रविवार को कुंडली बॉर्डर पर बैठक के बाद ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को जितनी देर मन की बात करेंगे, किसान ताली-थाली बजाएंगे।
NDA में शामिल सभी दलों से मुलाकात करेंगे किसान नेता
23 दिसंबर को किसान दिवस है। किसान संगठनों ने अपील की है कि इस दिन देशभर के लोग एक दिन का उपवास रखें। 26 और 27 दिसंबर को किसान NDA में शामिल दलों के नेताओं से मिलकर उनसे अपील करेंगे कि वो सरकार पर दबाव डालें और तीनों कानून वापस करवाएं। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ भी प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। अदाणी-अंबानी का बायकॉट जारी रहेगा। आढ़तियों पर छापेमारी के विरोध में किसान इनकम टैक्स ऑफिसों के बाहर भी प्रदर्शन करेंगे।