दिल्ली बॉर्डर पर किसानों की भूख हड़ताल जारी; RSS से जुड़े संगठन ने भी MSP की गारंटी मांगी वही BKU एकता उग्रहान के नेता आज नहीं करेंगे अनशन

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने किसानों की भूख हड़ताल को समर्थन देते हुए कहा है कि वह खुद भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी भूख हड़ताल करने की अपील की है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल के उपवास को नौटंकी बताया।

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नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 19वां दिन है। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आज भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उधर, RSS से जुड़ा संगठन स्वदेशी जागरण मंच भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का सपोर्ट कर रहा है। संगठन का कहना है कि किसानों को MSP की गारंटी मिलनी चाहिए। इससे कम कीमत पर खरीद को गैर-कानूनी घोषित करना चाहिए।​​​​​​​
अपडेट्स

  • किसान आज सभी जिला मुख्यालयों पर आज धरना भी देंगे। उधर, राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर शाहजहांपुर में लगातार दूसरे दिन किसानों का धरना जारी है।
  • किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 16 दिसंबर को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच में इसकी सुनवाई होगी। अर्जी लगाने वाले लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से लोग परेशान हो रहे हैं। साथ ही कोरोना संक्रमण बढ़ने का भी खतरा है।
  • भारतीय किसान यूनियन (भानू) के 3 नेताओं के इस्तीफे पर BKU के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों में कोई फूट नहीं है। जिन 3 नेताओं ने इस्तीफा दिया है, वे अपने संगठन के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह से नाराज थे।

केजरीवाल उपवास रखेंगे, अमरिंदर ने कहा- नौटंकी कर रहे
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने किसानों की भूख हड़ताल को समर्थन देते हुए कहा है कि वह खुद भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी भूख हड़ताल करने की अपील की है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल के उपवास को नौटंकी बताया।

किसानों को मनाने के लिए अमित शाह सक्रिय
किसान आंदोलन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह सक्रिय हो गए हैं। अभी तक शाह की किसानों के साथ एक ही बैठक हुई है, लेकिन अब हर मुद्दा वे खुद देख रहे हैं। इसे लेकर पिछले 2 दिन में शाह 5 से ज्यादा बैठक कर चुके हैं। सरकार हर राज्य के किसानों के लिए अलग स्ट्रैटजी बना रही है।

पंजाब के किसान नेताओं को शाह खुद समझाएंगे
किसानों को मनाने और आंदोलन खत्म कराने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। ये दोनों सभी से अलग-अलग बात करेंगे। लेकिन, पंजाब के किसान नेताओं की जिम्मेदारी अमित शाह ने अपने पास रखी है।

फिर शुरू हो सकती है बातचीत
दोनों पक्ष बातचीत की स्ट्रैटजी बनाने में जुटे हैं। किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार से चर्चा के लिए जाने वाले किसानों की संख्या कम की जाएगी। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमें नजर रखने की जरूरत है, ताकि कोई गलत तत्व हमारे बीच न हो। वहीं शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पूरे मुद्दे पर चर्चा की है और जल्द ही किसानों को बातचीत के लिए बुलाया जाएगा।

किसान आंदोलन: BKU एकता उग्रहान के नेता आज नहीं करेंगे अनशन

नई दिल्ली. भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह ने पंजाब के 32 किसान यूनियन के एक दिन के अनशन (Farmer hunger Strike) के फैसले से खुद को अलग करते हुए कहा कि वह भूख हड़ताल नहीं करेंगे. सुखदेव ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम आयोजित कर गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की थी. सुखदेव ने कहा, ‘हम एक दिन का अनशन नहीं करेंगे.’

प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं ने कहा है कि वे सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे और नए कृषि कानूनों (Farm laws) की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिये सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया जाएगा. टिकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारी हाथ में पोस्टर लिए गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग करते दिखे थे. इन तस्वीरों के वायरल होने के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ये ‘‘असामाजिक तत्व’’ किसानों की आड़ में आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं.

सुखदेव ने कहा, ‘हमने कुछ गलत नहीं किया. हमने केवल बृहस्पतिवार को ‘मानवाधिकार दिवस’ पर एक कार्यक्रम आयोजित कर गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की थी.’ सरकार ने शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनके मंच के दुरुपयोग के खिलाफ सतर्क करते हुए कहा था कि कुछ “असामाजिक तत्वों” के साथ-साथ “वामपंथी और माओवादी” तत्वों ने आंदोलन के माहौल को खराब करने की साजिश रची, क्योंकि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे.

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार जहां तीनों कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.

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