LIVE: किसानों ने समिति बनाने का प्रस्ताव ठुकराया, कृषि कानून वापस लेने पर अड़े, सरकार ने किसानों को MSP पर प्रेजेंटेशन दिया, नई कमेटी बनाने की पेशकश की
लंबे घमासान के बाद आज किसान और सरकार बातचीत की टेबल पर हैं. दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच दोपहर तीन बजे से बैठक चल रही है. इस बैठक में कृषि नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी हैं. साथ ही अलग-अलग किसान संगठनों के नेता भी हैं. मीटिंग से जुड़े तमाम अपडेट्स जानने के लिए पेज रिफ्रेश करते रहें...
नई दिल्ली। सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से मंगलवार दोपहर 3 बजे बातचीत शुरू की। करीब दो घंटे चली बातचीत के दौरान केंद्र ने किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर प्रेजेंटेशन दिया। केंद्र ने किसानों के सामने इन कानूनों पर चर्चा के लिए नई कमेटी बनाने का प्रस्ताव भी रखा है। इसमें सरकार और किसानों प्रतिनिधियों के अलावा एक्सपर्ट भी रहेंगे। किसानों से भी 4-5 नाम मांगे गए हैं।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं की केंद्र से पहले दौर की बातचीत खत्म हो गई है। किसानों ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने की केंद्र की पेशकश ठुकरा दी है। सरकार ने किसानों से मंगलवार दोपहर 3 बजे बातचीत शुरू की थी। करीब दो घंटे चली बैठक में केंद्र ने ही किसानों के सामने नई कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा था। इसमें सरकार और किसानों प्रतिनिधियों के अलावा एक्सपर्ट्स को रखने की बात कही गई थी। केंद्र ने किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर प्रेजेंटेशन भी दिया।
केंद्र शाम 7 बजे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के डेलीगेशन से चर्चा करेगी। किसानों के साथ बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि हम किसानों की मांगें सुनने के बाद आगे की राह तय करेंगे। बैठक में तोमर के साथ वाणिज्य मंत्री सोम प्रकाश और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे।
कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन कर रहे पंजाब के किसान नेता 5 दिन बाद सरकार से चर्चा करने पहुंचे। दिल्ली के विज्ञान बैठक में किसानों की सरकार के साथ बैठक शुरू हो चुकी है। बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- हम मुद्दे सुलझाने पर चर्चा करेंगे। उनकी मांगें सुनने के बाद आगे की राह तय होगी। मीटिंग में तोमर के साथ वाणिज्य मंत्री सोम प्रकाश और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद हैं।
Delhi: Union Ministers Narendra Singh Tomar and Piyush Goyal hold meeting with farmers' leaders at Vigyan Bhawan.#FarmLaws pic.twitter.com/zL4PNsQHtZ
— ANI (@ANI) December 1, 2020
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में एक किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर हैं. और उन्होंने मांग किया कि सरकार को इसे वापस लेने पर विचार करना चाहिए. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों से बैठक में कहा कि 4 से 5 नाम अपने संगठन से दीजिए, एक समिति बना देते हैं जिसमे सरकार के लोग भी होंगे, कृषि एक्सपर्ट भी होंगे, नए कृषि कानून पर चर्चा करेंगे. लेकिन किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
सूत्रों के मुताबिक, विज्ञान भवन में किसानों के साथ बैठक में APMC Act and MSP पर सरकार की तरफ से प्रेजेंटेशन दिया जा रहा है. सरकार किसानों को MSP पर समझाने की कोशिश कर रही है.
किसानों के आंदोलन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि बिल असंवैधानिक है. सरकार किसानों को क्यों सता रही है. बीजेपी देश को नहीं देख रही है. ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी के अलावा किसी भी राजनीतिक दल ने बिल का समर्थन नहीं किया.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि किसान यूनियनों को बातचीत के लिए केंद्र का निमंत्रण सही दिशा में एक कदम है, लेकिन बहुत देर हो चुकी है. किसानों के आंदोसन को लेकर न केवल देश में बल्कि अन्य देशों में भी चिंता बढ़ रही है, जहां भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. किसानों की वास्तविक मांगों को पूरा किया जाना चाहिए.
इधर, गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर मौजूद भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने पंजाब के डेलीगेशन को दोपहर 3 बजे चर्चा के लिए बुलाया था। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के डेलीगेशन से शाम 7 बजे चर्चा होगी। हम सब इस मामले में पूरा समाधान चाहते हैं।
सरकार के बुलावे पर किसानों ने कहा था कि वे मीटिंग के लिए इसलिए तैयार हुए हैं, क्योंकि इस बार सरकार ने कोई शर्त नहीं रखी है। इस बीच, हरियाणा के निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। चरखी दाददी में सांगवान ने कहा- किसानों पर हुए अत्याचारों को देखकर मैं सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं।
आंदोलन से जुड़े अपडेट्स
- CAA के खिलाफ शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल हुईं 82 साल की बिल्किस बानो को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वे किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने सिंघु बॉर्डर पर पहुंची थीं।
- भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन देने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पहुंचे।
पहले भी पंजाब के किसानों को ही न्योता मिला था
सरकार ने सोमवार देर रात किसानों को बातचीत का न्योता भेजा था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि जो किसान नेता 13 नवंबर की मीटिंग में शामिल थे, उन्हें न्योता दिया गया है। हालांकि, इस पर विवाद हो गया।
दरअसल, कृषि विभाग के सचिव की तरफ से जारी हुई न्योते की चिट्ठी में 32 किसानों के नाम थे। ये सभी पंजाब के किसान नेता थे। ये हरियाणा के अपने साथियों का नाम भी शामिल करने का दबाव बनाने लगे। इसके बाद न्योते में हरियाणा से गुरनाम चढ़ूंनी और मध्यप्रदेश से किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी का नाम शामिल किया गया।
32 साल बाद ऐसा आंदोलन, 36 घंटे में सरकार की तीसरी बैठक
सिंघु बॉर्डर 32 साल बाद सबसे बड़े किसान आंदोलन का गवाह बना है। 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के 5 लाख किसान यहां जुटे थे। किसानों के मुद्दे पर सरकार 36 घंटे में तीन बैठकें कर चुकी है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर मंगलवार को हुई मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे। बैठक में शामिल होने के लिए शाह BSF के राइजिंग डे इवेंट में नहीं गए।
सरकार ने दो बार शर्त रखी थी
- सरकार पहले इस बात पर अड़ी थी कि किसान 3 दिसंबर को बातचीत के लिए आएं। सोमवार को सरकार ने यह जिद छोड़ दी और 1 दिसंबर दोपहर 3 बजे 32 किसान नेताओं को बातचीत का न्योता भेजा।
- इससे पहले सरकार ने किसानों से कहा था कि वे प्रदर्शन खत्म कर बुराड़ी आ जाएं तो बातचीत पहले भी हो सकती है। किसान इस पर नहीं माने।
ट्रैक्टर फिर एक्शन में
सरकार से बातचीत से पहले दिल्ली-UP बॉर्डर पर किसानों का गुस्सा देखा गया। गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों ने बैरिकेड हटाने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया।
कनाडा के पीएम ने आंदोलन का समर्थन किया
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले पहले विदेशी नेता और राष्ट्राध्यक्ष बन गए हैं। उन्होंने हालात को चिंताजनक बताया। गुरुनानक देव के 551वें प्रकाश पर्व पर एक ऑनलाइन इवेंट के दौरान ट्रूडो ने कहा कि वे हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं। हमने इस बारे में भारत सरकार को अपनी चिंताओं के बारे में बता दिया है।
सरकार ने कनाडा के बयान को गैर-जरूरी बताया
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि किसानों के मुद्दे पर कनाडा के नेताओं के बयान गैर-जरूरी हैं। इनमें जानकारी की कमी लगती है। साथ ही कहा कि डिप्लोमैटिक चर्चाओं का इस्तेमाल राजनीतिक मकसद से नहीं होना चाहिए।
130 खाप पंचायतों ने आंदोलन से जुड़ने का ऐलान किया
- हरियाणा की 130 खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन में शामिल होने का ऐलान किया है। उधर, पंजाब में भी पंचायतों ने हर घर से एक मेंबर को धरने में शामिल होने के लिए कहा है।
- दिल्ली की टैक्सी और ट्रांसपोर्ट यूनियन भी सोमवार को किसानों के समर्थन में आ गई। उन्होंने कहा कि अगर दो दिन में कोई हल नहीं निकला तो हड़ताल करेंगे।
- 27 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर हुए हंगामे को लेकर अलीपुर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
राहुल ने कहा- किसान को उसका अधिकार दीजिए
किसान आंदोलन और सरकार के रुख पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा- अन्नदाता सड़कों-मैदानों में धरना दे रहे हैं और ‘झूठ’ टीवी पर भाषण। किसान की मेहनत का हम सब पर कर्ज है। जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए।