महाराष्ट्र में किसान आंदोलन का सपोर्ट:नासिक से मुंबई तक 180 किमी लंबी रैली निकाल रहे किसान, कल शरद पवार भी शामिल हो सकते हैं
कड़कड़ाती सर्दी में दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में बात करते हुए पवार ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर वे किसानों की समस्या सुलझाने में कामयाब नहीं हुए, तो गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
मुंबई। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन में अब महाराष्ट्र के किसान भी शामिल हो गए हैं। राज्य के 21 जिलों के किसान नासिक से मुंबई यानी 180 किलोमीटर तक रैली निकाल रहे हैं। सोमवार को मुंबई पहुंचकर ये एक सभा करेंगे, जिसमें NCP अध्यक्ष शरद पवार भी शामिल हो सकते हैं। पवार की पार्टी राज्य में सरकार चला रहे गठबंधन का हिस्सा है।
#WATCH | Maharashtra: Under the banner of All India Kisan Sabha, farmers march towards Mumbai from Nashik in support of farmers agitating against three agriculture laws at Delhi borders; Visuals from Kasara Ghat between Nashik to Mumbai. pic.twitter.com/kWtBEpIQ1Y
— ANI (@ANI) January 24, 2021
शनिवार को नासिक में इकट्ठा हुए थे किसान
दिल्ली बॉर्डर पर 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली से पहले नासिक में शनिवार को हजारों किसान इकट्ठा हुए। इसके बाद उन्होंने रैली की शुरुआत की। न्यूज एजेंसी पर जारी वीडियो में किसानों का हुजूम नजर आ रहा है। किसानों के हाथ में झंडे और बैनर भी दिखाई दे रहे हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के बैनर तले निकाला जा रहा यह मार्च कुछ घंटों में मुंबई पहुंच जाएगा।
पवार ने केंद्र को दी थी चेतावनी
कड़कड़ाती सर्दी में दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में बात करते हुए पवार ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर वे किसानों की समस्या सुलझाने में कामयाब नहीं हुए, तो गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हैं किसान
नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली बॉर्डर पर 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों को वापस ले। लेकिन, सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।
सरकार और किसानों के बीच इस मुद्दे पर 12 बार मीटिंग भी हो चुकी है। फिर भी कोई हल नहीं निकल सका। हालांकि सरकार ने कानून को डेढ़ साल के लिए रद्द करने का प्रस्ताव किसानों को दिया था। लेकिन, किसान संगठनों का कहना है कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह से वापस लिए जाएं।