दिल्ली-हरियाणा सीमा यानी सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन जारी है। रविवार को हुई किसान संगठनों की मीटिंग में एक बार फिर किसानों ने सरकार को चुनौती दी है। फैसले में कहा कि किसान बुराड़ी नहीं जाएंगे और वहां मौजूद अपने साथियों को वापस बुलाएंगे। अब दिल्ली जाने वाले सभी रास्ते ब्लॉक किए जाएंगे। बुराड़ी में किसानों का एक ग्रुप पहले से ही डेरा डाले हुए है।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि किसान बुराड़ी मैदान पर इकट्ठे हों। इसके बाद उनसे बात की जाएगी। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि वे दिल्ली घेरने आए हैं, न तो दिल्ली में घिर जाने के लिए।
दिल्ली सरकार बोली- किसानों से बिना शर्त बात करें
किसानों के प्रदर्शन पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ बिना शर्त बात करे। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगर किसान बुराड़ी स्थित मैदान में प्रदर्शन करते हैं तो उनके साथ सरकार तुरंत बात करने को तैयार है।
जैन ने यह भी कहा कि इसमें कोई कंडीशन नहीं लगनी चाहिए। सरकार को बात तुरंत बात करनी चाहिए। देश के किसान, हमारे अन्नदाता हैं। वे जहां चाहें, उन्हें बैठने देना चाहिए। वे अपने घरों से कई सौ किमी दूर आए हैं, उनकी परेशानी देखनी चाहिए। वे खुशी से यहां नहीं आए। उन्हें लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है।
उधर, उत्तर प्रदेश के किसान भी रविवार सुबह दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर इकट्ठा हुआ। ये सभी भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले पहुंचे हैं। वे कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए संसद भवन जाने पर अड़े हैं।
इस बीच पूर्वी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी मंजीत श्योराण ने गाजियाबाद में जुटे लगभग 200 किसानों से बात की। डीसीपी ने बताया कि किसानों के साथ बातचीत चल रही है। किसानों से कहा गया है कि हम उन्हें बुराड़ी भेजने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अब तक इस पर फैसला नहीं लिया है। अगर वे तैयार हैं तो हम उन्हें बुराड़ी मैदान तक ले जाएंगे।
बॉर्डर पर कड़ी सिक्योरिटी
किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स तैनात है। शनिवार शाम आंदोलनकारियों ने हाईवे पर तंबू गाड़ना शुरू कर दिया। साथ ही पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों का आना भी जारी रहा।
दिल्ली के नॉर्दर्न रेंज के जॉइंट सीपी सुरेंद्र यादव ने बताया कि किसान शांति से बैठे हैं और अब तक सहयोग कर रहे हैं। हमारा मकसद लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना है। साथ ही यह भी तय करना है कि आंदोलन करने वालों को कोई परेशानी न हो।
‘किसानों के साथ आतंकियों जैसा बर्ताव हुआ’
किसानों को रोकने के लिए ताकत के इस्तेमाल पर शिवसेना ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि जिस तरह से किसानों को दिल्ली में घुसने से रोका गया है, ऐसा लग रहा है कि जैसे वे इस देश के हैं ही नहीं। उनके साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया है। वे सिख हैं और पंजाब-हरियाणा से आए हैं, इसलिए उन्हें खालिस्तानी कहा जा रहा है। यह किसानों का अपमान है।
दिल्ली से जाने वाले मुसाफिर परेशान
किसानों के आंदोलन के कारण दिल्ली से दूसरे राज्यों में जाने वाले लोग परेशान हैं। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर नाकेबंदी और भारी सिक्योरिटी के कारण उन्हें कोई साधन नहीं मिल रहा है। इस वजह से उन्हें पैदल ही जाना पड़ रहा है।
यूपी के डिप्टी सीएम बोले- किसानों का प्रदर्शन कांग्रेस की साजिश
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को किसानों से अपना विरोध वापस लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कांग्रेस की रची साजिश के अलावा कुछ नहीं है। एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं देश और उत्तर प्रदेश के किसानों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस आपकी भावनाओं के साथ खेल रही है।
अमित शाह ने दिया था प्रस्ताव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने अपील की थी कि किसान दिल्ली के बाहरी इलाके बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन करें। इस पर किसानों ने कहा कि सरकार को खुले दिल के साथ आगे आना चाहिए, न कि शर्तों के साथ।
इस पर भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रेसिडेंट जगजीत सिंह ने कहा कि अमित शाह ने शर्त रखकर जल्द बैठक करने की अपील की है। यह अच्छा नहीं है। उन्हें बिना किसी शर्त के खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध रामलीला मैदान में होता है। फिर हमें निजी जगह निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहीं रहेंगे।
हाईवे पर बसा मिनी पंजाब
किसान आंदोलन के कारण हाईवे का नजारा मिनी पंजाब जैसा हो गया है। ट्रॉलियों को ही किसानों ने घर बना लिया है। यहीं खाना बन रहा है तो यहीं नहाने और कपड़े धोने का इंतजाम है। जगह-जगह लंगर लगे हैं। धरने वाले धरने पर बैठे हैं। खाना बनाने वाले खाना बना रहे हैं। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।