दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के सामने सोमवार को केस लिस्ट था, लेकिन सुनवाई हो नहीं सकी।
ताहिर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने मंगलवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा-
अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।
इस पर ताहिर के वकील ने कहा कि ताहिर का नामांकन स्वीकार किया जा चुका है। इस पर कोर्ट ने मामले को मंगलवार के लिए लिस्ट कर लिया।
आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया है।
हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है।
इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का भी मामला चल रहा है।
ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वे अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार हैं। उन्हें अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है।
हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आए और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चले गए थे। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
दंगों में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल का आरोप दिल्ली दंगा मामले में क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में दो चार्जशीट दाखिल की थीं। पहला केस चांद बाग हिंसा और दूसरा मामला जाफराबाद दंगे से जुड़ा था। पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया था।
ताहिर के अलावा उनके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भड़की थी।
ताहिर ने दंगे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पिस्टल जब्त कर ली थी।