कोविड-19 संकट / कोरोना संक्रमण ने संत समाज के अध्यक्ष और ऊषा माता मंदिर प्रमुख स्‍वामी महादेव की जान ली

बस्सी पठानां स्थित ऊषा माता मंदिर के प्रमुख होने के साथ-साथ संत समाज के पंजाब और जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष भी थे 1 जून को हरिद्वार से लौटे थे और बाद में जम्मू भी गए थे, दो सप्ताह बस्सी पठानां में भी रहे स्वामी महादेव

फतेहगढ़ साहिब. पंजाब में कोरोना संक्रमण ने फतेहगढ़ साहिब जिले के बस्सी पठानां स्थित ऊषा माता मंदिर के प्रमुख स्वामी महादेव की भी जान ले ली। वह यहां मंदिर के प्रमुख होने के अलावा संत समाज में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष भी थे। देहावसान के बाद 72 वर्षीय स्वामी महादेव का शुक्रवार को प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा में सुबह ही उनका अंतिम संस्कार लुधियाना में ही कर दिया। महामारी के चलते उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए भी नहीं रखा जा सका। इससे श्रदालुओं में निराशा भी रही।

जानकारी के अनुसार स्वामी महादेव 1 जून को हरिद्वार से लौटे थे और बाद में जम्मू भी गए थे। दो सप्ताह बस्सी पठानां में भी रहे। इस दौरान अनेक श्रद्धालु उनके संपर्क में आए। इन्हीं में एक पुलिस अधिकारी के भी स्वामी के संपर्क में आने की सूचना है। इसके चलते प्रशासन ने मंदिर में पुलिस सुरक्षा लगाते हुए स्वामी के संपर्क में आने वालों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी थी। मंदिर में आने पर भी फिलहाल रोक लगा दी गई है।

बस्सी पठानां में स्थित ऊषा माता मंदिर के प्रवेशद्वार पर तैनात आरक्षी दल के कर्मचारी।

करीब 30 साल पुराने ऊषा माता मंदिर में माता ऊषा जी गद्दी पर बिराजमान रही थीं। उनके चिरनिंद्रा में लीन होने के उपरांत स्वामी महादेव को गद्दी संभालने पर सहमति हुई थी, लेकिन उन्होंने गद्दी संभालने से इन्‍कार करते हुए शिष्य बनकर सेवा जारी रखी थी। बीते दिनों कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से वह लुधियाना के सतगुरु प्रताप सिंह अस्पताल में उपचाराधीन थे।

गुरुवार देर शाम वहीं पर उन्‍होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा में शुक्रवार की सुबह ही उनका अंतिम संस्कार लुधियाना में ही कर दिया।
स्वामी महादेव की कोरोना से मौत जिले में पहली मौत है, लेकिन सिविल सर्जन डॉ. एनके अग्रवाल का कहना है कि मौत लुधियाना में हुई है और वहीं पर टेस्ट हुआ था। इसलिए इसे जिले में कोरोना से मौत नहीं माना जा सकता।

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