कांग्रेस में कलह LIVE:नाराज राहुल बोले- कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की मिलीभगत से सोनिया को चिट्ठी भेजी; गुलाम नबी ने कहा- मिलीभगत साबित हुई तो इस्तीफा दूंगा; सिब्बल भी खफा
दरअसल, करीब 15 दिन पहले पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है। पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस में लीडरशिप फुल टाइम होनी चाहिए और उसका असर भी दिखना चाहिए।
नई दिल्ली। कांग्रेस में जमकर कलह हो रही है… और इस बार खबर सूत्रों के हवाले से नहीं आई है, बल्कि खुद उसके आला नेता अपने बयानों से ही यह बात साबित कर दे रहे हैं। पार्टी की सबसे बड़ी संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की सोमवार को जब बैठक शुरू हुई, तो सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ने की पेशकश की।
वहीं, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया को भेजी गई नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाए। राहुल का आरोप था कि पार्टी नेताओं ने यह सब भाजपा की मिलीभगत से किया। राहुल के इस बयान को बमुश्किल 20-25 मिनट नहीं बीते होंगे कि उनका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल।
दरअसल, करीब 15 दिन पहले पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है। पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस में लीडरशिप फुल टाइम होनी चाहिए और उसका असर भी दिखना चाहिए।
सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में आज क्या हुआ?
- सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश करते हुए कहा कि मुझे रिप्लेस करने की प्रक्रिया शुरू करें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने उनसे पद पर बने रहने को कहा।
- बीते दिनों पार्टी नेतृत्व में बदलाव को लेकर कांग्रेस नेताओं की चिट्ठी पर राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब सोनिया गांधी हॉस्पिटल में भर्ती थीं, उस वक्त पार्टी लीडरशिप को लेकर लेटर क्यों भेजा गया। पार्टी लीडरशिप में बदलाव की मांग का लेटर भाजपा की मिलीभगत से लिखा गया।
- ‘भाजपा से मिलीभगत’ के राहुल के आरोपों पर विवाद हो गया। बमुश्किल 20-25 मिनट के अंदर पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया कि बीते 30 साल में कभी भी, किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा के साथ मिलीभगत में हैं?
- थोड़ी ही देर में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर भाजपा से मिलीभगत होने के राहुल गांधी के आरोप साबित हुए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
राहुल के बयान पर कपिल सिब्बल का ट्वीट
विवाद के कुछ समय बाद कपिल सिब्बल की तरफ से उपरोक्त टिवट को ड्लीट कर दिया गया व कहा-
Was informed by Rahul Gandhi personally that he never said what was attributed to him .
I therefore withdraw my tweet .
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 24, 2020
वहीं सिब्बल के इस ट्वीट पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रतीक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी ने इस तरह की (बीजेपी से साठगांठ) कोई बात नहीं कही है. इस तरह की गलत खबरों से भ्रमित न हों. हमें आपस में या कांग्रेस पार्टी से लड़ने की जगह निरंकुश मोदी सरकार से मिलकर लड़ना चाहिए.
Sh. Rahul Gandhi hasn’t said a word of this nature nor alluded to it.
Pl don’t be mislead by false media discourse or misinformation being spread.
But yes, we all need to work together in fighting the draconian Modi rule rather then fighting & hurting each other & the Congress. https://t.co/x6FvPpe7I1
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 24, 2020
पिछले साल अगस्त में अंतरिम अध्यक्ष बनी थीं सोनिया
राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सोनिया ने अगस्त में एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
कांग्रेस की कलह पर भाजपा का तंज
मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए कई योग्य उम्मीदवार हैं। इनमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा शामिल हैं। कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है, जहां सिर्फ हेडमास्टर के बच्चे ही क्लास में टॉप आते हैं।
आखिर बदलाव की मांग क्यों उठ रही?
1. पार्टी का जनाधार कम हो रहा: 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिल सकीं। 2019 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी अध्यक्ष थे। पार्टी सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकी।
2. कैडर कमजोर हुआ: देश में कांग्रेस का कैडर कमजोर हुआ है। 2010 तक पार्टी के सदस्यों की संख्या जहां चार करोड़ थी, वहीं, अब यह लगभग एक करोड़ से कम रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस में नेताओं की खींचतान का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पड़ा है।
3. कांग्रेस की 6 राज्यों में सरकार: कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र में बची। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई।
अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय
राहुल के पक्ष में: सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा, ‘आंतरिक चुनावों की बजाय सबकी सहमति देखी जानी चाहिए। राहुल को कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है।’ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा कि फिलहाल गांधी परिवार को ही पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी में भरोसा जताया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल को आगे आना चाहिए और पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।
पार्टी में बदलाव के पक्ष में: गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव पर जोर दिया। इन्होंने कहा- लीडरशिप फुल टाइम (पूर्णकालिक) और प्रभावी हो, जो कि फील्ड में एक्टिव रहे। उसका असर भी दिखे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव करवाए जाएं। इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म तुरंत बने, ताकि पार्टी में फिर से जोश भरने के लिए गाइडेंस मिल सके। हालांकि, इन्होंने यह नहीं लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष गैर-गांधी परिवार से हो।
पार्टी नेताओं ने चिट्ठी लिखकर की बदलाव की मांग
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की है। चिट्ठी लिखने वालों में 5 पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य, सांसद और कई पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।
चिट्ठी में क्या है?
इस बात का जिक्र है कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है, पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस का बेस कम होने और युवाओं का आत्मविश्वास टूटने को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। बताया जा रहा है कि करीब 15 दिन पहले भेजी गई इस चिट्ठी में बदलाव का ऐसा एजेंडा दिया गया है, जिसकी बातें मौजूदा लीडरशिप को चुभ सकती हैं।
इन 3 मांगों का जिक्र
1. लीडरशिप फुल टाइम (पूर्णकालिक) और प्रभावी हो, जो कि फील्ड में एक्टिव रहे। उसका असर भी दिखे।
2. कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव करवाए जाएं।
3. इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म तुरंत बने, ताकि पार्टी में फिर से जोश भरने के लिए गाइडेंस मिल सके।
अमरिंदर सिंह बोले- गांधी परिवार की लीडरशिप को चुनौती देना गलत
इस बीच पार्टी नेता सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा कि आंतरिक चुनावों की बजाय सबकी सहमति देखी जानी चाहिए। राहुल गांधी को कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे पार्टी अध्यक्ष हैं या नहीं। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी गांधी परिवार की लीडरशिप को चुनौती देने वाले नेताओं का विरोध किया है।
राहुल को अध्यक्ष बनाने के लिए उठी आवाज
बताया जा रहा है कि पार्टी का एक गुट राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाना चाहता है। पार्टी ने भी 2 दिन पहले मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि देशभर के कार्यकर्ता राहुल को अध्यक्ष के तौर पर देखना चाहते हैं। इस बीच छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में राहुल से पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने की अपील की है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थ्रोट ने भी राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राहुल जी को वापस कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए। हम उनके विचारों का सम्मान करते हैं। हम यही कहना चाहते हैं कि राहुल जी वापस आ जाइए। जब तक राहुल गांधी फुल टाइम कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार नहीं संभालते हैं तब तक सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बने रहना चाहिए।
असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपून बोरा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि राहुल के नेतृत्व में ही कांग्रेस भाजपा और संघ के विचारों के खिलाफ अच्छी लड़ाई लड़ सकती है।