फिर निशाने पर राफेल डील:कांग्रेस ने 21 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया; राहुल गांधी बोले- 3 सवालों का बिना डरे जवाब दें PM

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नई दिल्ली। कांग्रेस ने राफेल डील को लेकर शुक्रवार को नया आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि भारत सरकार और दसॉ एविएशन (राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी) के बीच हुए राफेल सौदे में 21,075 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। उनके आरोप लगाने के कुछ देर बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘प्रिय छात्रों, प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें बिना डरे या घबराए हर सवाल का जवाब देना चाहिए। आप उनसे कहिए कि मेरे 3 सवालों का जवाब भी बिना डर और घबराहट के दें।’ इसके बाद उन्होंने प्रधानंत्री से तीन सवाल पूछे।

नेगोशिएशन होने के बाद कीमत क्यों बढ़ाई गई?
सुरजेवाला ने दस्तावेज जारी करते हुए मोदी सरकार से कई सवाल किए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि 2015 में 36 राफेल की डील 5.06 बिलियन यूरो में तय की गई। इसमें एयरक्राफ्ट के साथ मिलने वाले सभी हथियार भी शामिल थे। इंडियन नेगोशिएशन टीम (INT) ने ये कीमत तय की थी।

तस्वीर उस समय की है, जब फ्रांस से भारत आने के लिए राफेल की पहली खेप तैयार हो रही थी।
तस्वीर उस समय की है, जब फ्रांस से भारत आने के लिए राफेल की पहली खेप तैयार हो रही थी।

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भारत सरकार के रेट तय करने के बाद दसॉ एविएशन ने 20 जनवरी 2016 को कंपनी की इंटरनल बैठक रखी। इसमें कंपनी ने 36 राफेल की कीमत 7.87 बिलियन तय कर दी। मोदी सरकार ने 23 सितंबर 2016 को दसॉ की तय की गई कीमत पर डील स्वीकार कर ली। सुरजेवाला ने सवाल किया कि आखिर ऐसी क्या वजह थी, जो रक्षा मंत्रालय के मना करने पर भी 21,075 करोड़ रुपए ज्यादा देकर राफेल डील की गई।

भाजपा ने डील से कई शर्तें हटवा दीं
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 26 मार्च 2019 को इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने बिचौलिए के पास से एक सीक्रेट दस्तावेज जब्त किया था। उस पर भी कोई जांच नहीं कराई गई कि आखिर बिचौलिए तक दस्तावेज कैसे पहुंचे। उन्होंने पूछा कि डील में नो रिश्वत, नो गिफ्ट, नो इंफ्लूएंस, नो कमीशन और नो मिडिलमैन जैसी शर्तें क्यों नहीं रखी गईं।

उन्होंने कहा कि जब UPA की सरकार थी, तब डील में एंटी करप्शन के नियम लागू थे, लेकिन बाद में मोदी सरकार के समय दसॉ एविएशन ने ये नियम हटवा दिए। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि एक बिजनेसमैन को फायदा पहुंचाने के लिए एयरक्राफ्ट की डील से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बाहर कर दिया गया।

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