महाराष्ट्र के अगले CM का ऐलान आज रात या कल सुबह तक हो सकता है। देवेंद्र फडणवीस दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं। वे रात करीब 10:30 बजे अमित शाह से मिलेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का दावा है मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम तय हो गया है।
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भास्कर के सूत्रों के मुताबिक, 1 मुख्यमंत्री और 2 डिप्टी CM का फॉर्मूला तय हुआ है। महायुति की पार्टियों में हर 6-7 विधायक पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला भी फाइनल हुआ है। इस हिसाब से भाजपा के 22-24, शिंदे गुट के10-12 और अजित गुट के 8-10 विधायक मंत्री बन सकते हैं।
राज्य में 26 नवंबर तक सरकार का गठन होना है। इसकी वजह ये है कि विधानसभा का कार्यकाल इस दिन खत्म हो रहा है, सरकार गठित न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा।
दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री में हुई बैठक में आदित्य ठाकरे को विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों में पार्टी का संयुक्त नेता चुना गया है। भास्कर जाधव को शिवसेना (UBT) के विधायक दल का नेता और सुनील प्रभु को चीफ व्हिप चुना गया है।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि पार्टी ने उन्हें पद पर बने रहने के लिए कहा है। विधानसभा चुनाव में नाना पटोले ने ही कांग्रेस की टिकट बांटी थीं। उनकी लीडरशिप में कांग्रेस ने 16 सीटें जीतीं। पिछले चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 16.1% था, जो अब घटकर 12.42% रह गया है।महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी। 2019 के मुकाबले इस बार 4% ज्यादा वोटिंग हुई। 2019 में 61.4% वोट पड़े थे। इस बार 65.11% वोटिंग हुई।
विधानसभा चुनाव नतीजों पर NCP (SP) नेता रोहित पवार ने कहा- MVA नेताओं की उम्मीदों के मुताबिक कुछ नहीं हुआ। जनता के बीच चर्चा है कि EVM में कुछ गड़बड़ियां थीं। जनता के बीच यह भी चर्चा है कि EVM गुजरात से आई थीं।
विधानसभा चुनाव में किसी भी विपक्षी पार्टी को सदन में नेता प्रतिपक्ष (LoP) के लिए जरूरी सीटें नहीं मिली हैं। नियमानुसार विधानसभा सीटों की कम से कम 10% सीटें जीतने वाली विपक्षी पार्टी को यह पद दिया जाता है।
अगर कई पार्टियों ने इससे ज्यादा सीटें हासिल की हों, तो सबसे ज्यादा सीट वाली विपक्षी पार्टी को यह पद दिया जाता है। इस बार ऐसा नहीं है इसलिए MVA के संयुक्त LoP पद का दावा कर सकती है। इस संबंध में राज्यपाल को पत्र लिखकर प्री-पोल अलायंस का तर्क दिया जाएगा।
जल्ट आने के बाद अजित पवार ने भतीजे युगेंद्र पवार के अपने खिलाफ चुनाव लड़ने पर सोमवार को पहली प्रतिक्रिया दी। मीडिया से बातचीत में अजित ने कहा- युगेंद्र बिजनेसमैन हैं, उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है। मेरे अपने भतीजे को मेरे खिलाफ चुनाव में उतारने का कोई कारण नहीं था।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव में बहन के खिलाफ पत्नी को उतारने पर दोहराया कि मैंने गलती की, लेकिन अगर आपको संदेश देना है तो क्या आप अपने ही परिवार के किसी व्यक्ति को मेरे खिलाफ खड़ा करेंगे?
शरद पवार खेमे ने अजित पवार के बड़े भाई श्रीनिवास पवार के बेटे युगेंद्र को बारामती सीट से टिकट दिया था। अजित ने युगेंद्र को करीब 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है।