DDC चुनाव के रुझानों के मायने:कश्मीर में कमल जरूर खिला, पर अपने गढ़ जम्मू में ही कई जगहों पर हारी भाजपा; 3 कारण

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जम्मू और कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनावों के लिए काउंटिंग जारी है। रुझानों में साफ हो गया है कि जनता ने पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) को स्वीकार भी किया है और समर्थन भी दिया है। 280 सीटों में से 258 सीटों पर बढ़त का आंकड़ा दिखाता है कि PAGD 107 सीटों पर जीत रही है या बढ़त पर है। भाजपा के साथ यही स्थिति 65 सीटों पर है और कांग्रेस के साथ 22 सीटों पर। आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद लॉन्च की गई अपनी पार्टी 10 और अन्य 54 सीटों पर जीत रहे हैं या आगे हैं।

भाजपा की इस हार की वजहें
1. भाजपा की स्थानीय इकाई जम्मू-कश्मीर में अपनी पैठ जमाने में सफल नहीं रही।
2. कई सीटों के लिए भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन में गलती कर दी।
3. भाजपा के खिलाफ उतरे निर्दलीय उम्मीदवारों को NC, PDP और कांग्रेस ने समर्थन कर दिया।

भाजपा का कश्मीर में प्रदर्शन बेहतर, पर ओवरऑल ऐसा नहीं
केंद्र की भाजपा सरकार को जम्मू-कश्मीर में DDC के चुनाव बिना किसी घटना के कराने का श्रेय गया हो, मगर जीत वह नहीं हासिल कर पाई। नेशनल कंफ्रेंस और PDP समेत कई पार्टियों से मिलकर बने PAGD और कांग्रेस को पटखनी देने में कामयाब नहीं हो पाई। 20 जिलों की 280 सीटों में से आधी भी भाजपा के खाते में जाती नहीं दिख रही हैं।

कश्मीर में पहली बार कमल खिला और भाजपा को 3 सीटें मिलीं। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर और जम्मू-कश्मीर भाजपा के महासचिव अशोक कौल ने इस जीत को बड़ा बताया। कश्मीर की खानमोह-2 से जीतने वाले इंजीनियर एजाज हुसैन ने कहा कि जनता ने मोदी पर भरोसा जताया और PAGD को अपनी नीतियों पर दोबारा विचार करना चाहिए। पर, यह पूरी तस्वीर नहीं है। अपने गढ़ जम्मू के कई संभाग में भाजपा के हाथ से सीटें फिसली हैं। कई जगह नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस या फिर निर्दलीय कैंडिडेट जीतने में सफल हुए हैं।

भाजपा के लिए चुनावों के मायने?
भाजपा ने इन चुनावों की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को सौंपी थी। चुनाव में पूरी ताकत झोंकी गई थी। लेकिन, नतीजों/रुझानों से संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा की पॉलिसी और काम करने के तरीकों से जनता संतुष्ट नहीं है।

भाजपा के जम्मू से सांसद जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौती थे और हम नतीजों से संतुष्ट हैं। हालांकि, शर्मा भी मानते हैं कि पुंछ, राजौरी, डोडा, किश्तवाड़ जैसे जिलों में पार्टी को और ज्यादा मेहनत करनी होगी।

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