सुलह के लिए भाजपा की चौपाल:भाजपा नेता किसानों को नए कृषि कानूनों के फायदे बताने के लिए चौपालें लगाएंगे, 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएंगी

कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसान दिल्ली की सीमा पर 16 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दे चुके हैं। मांगें मनवाने के लिए उन्होंने हाईवे बंद करने का ऐलान किया है। हालात बिगड़ने से रोकने के लिए ही भाजपा ने तय किया है कि किसानों को कानूनों के बारे में बताया जाए।

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नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के गुस्से को देखते हुए भाजपा सुलह की जमीन तैयार करने में लग गई है। अब पार्टी किसानों को इन कानूनों के फायदे बताने के लिए लंबा अभियान चलाएगी। इसके तहत चौपालें लगाई जाएंगी, प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएंगी और किसानों से सीधे मिला जाएगा। यह अभियान देश के हर जिले में शुक्रवार से शुरू हो गया।

कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसान दिल्ली की सीमा पर 16 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दे चुके हैं। मांगें मनवाने के लिए उन्होंने हाईवे बंद करने का ऐलान किया है। हालात बिगड़ने से रोकने के लिए ही भाजपा ने तय किया है कि किसानों को कानूनों के बारे में बताया जाए।

किसानों को कानूनों के फायदे बताएंगे

भाजपा नेता लगातार कह रहे हैं कि कानूनों को लेकर किसानों में गलतफहमी फैलाई जा रही है। इससे निपटने के लिए पार्टी आने वाले दिनों में करीब 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा सैकड़ों चौपालें लगाई जाएंगी। बीजेपी कार्यकर्ता और नेता किसानों से मिलकर सरकार के फैसलों का मकसद बताएंगे। बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी बीएल संतोष ने गुरुवार को राज्यों के प्रभारी और अध्यक्षों से इस मसले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की।

केंद्र सरकार का दावा है कि वह ये कानून किसानों को फायदा पहुंचाने के मकसद से लाए गए हैं। वहीं, भाजपा का मानना है कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर किसानों को गुमराह कर दिया है। इसलिए, पार्टी किसानों को कानूनों के फायदे बताने के लिए यह प्रोग्राम शुरू कर रही है। सोशल मीडिया पर भी भाजपा ने कानून के फायदे बताना शुरू कर दिया है।

राहुल गांधी भी हमलावर

कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलावर हैं। शुक्रवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि किसान चाहता है कि उसकी आमदनी पंजाब के किसानों जितनी हो जाए। वहीं, मोदी सरकार चाहती है कि देश के किसानों की आमदनी बिहार के किसानों जितनी हो जाए।

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