नई दिल्ली. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि गांधीजी एक कट्टर सनातनी हिंदू थे और उनमें गलतियों का प्रायश्चित करने का गुण था। देश के कई हिस्सों में नागरिकता कानून (सीएए) और नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन पर भी भागवत ने तंज कसा। सोमवार को दिल्ली में महात्मा गांधी पर लिखी गई एक किताब का विमोचन करते हुए भागवत ने कहा- किसी आंदोलन के रास्ता भटकने पर इसे पर्दे के पीछे से समर्थन देने वाले लोग क्या गांधी की तरह प्रायश्चित करेंगे।
संघ प्रमुख ने कहा- अगर गांधी के प्रयोग या उनके आंदोलन रास्ता भटकते थे, तो गांधीजी प्रायश्चित करते थे। अगर आज आंदोलन के दौरान कोई गड़बड़ी होती है या इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ती है, तो क्या कोई प्रायश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग आंदोलनों में आगे रहते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे लोग या तो मारे जाते हैं, या उन्हें जेल जाना पड़ता है। जो लोग इन आंदोलनों के पीछे हैं, उनके लिए ये केवल हार-जीत का मुद्दा है।
गांधी कट्टर सनातनी हिंदू थे: भागवत
आरएसएस प्रमुख ने कहा- गांधीजी ने कई बार कहा कि वे एक कट्टर सनातनी हिंदू थे। इसी वजह से उन्होंने कभी ईश्वर की पूजा करने के अलग-अलग तरीकों में भेद नहीं किया। उनकी अपने धर्म में पूरी आस्था थी और दूसरे धर्मों के प्रति भी सम्मान था। गांधीजी के आदर्श पूरी तरह भारतीय थे। इसीलिए, उन्हें कभी खुद को हिंदू दिखाने में शर्मिंदगी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि गांधी जी के सपनों का भारत अब साकार हो रहा है।
गांधी और हेडगेवार का नजरिया समान: संघ प्रमुख
गांधी को संत बताते हुए भागवत ने कहा कि वे अपने समय में भारत की आवाज थे। उन्होंने हमेशा ऐसे विकास पर जोर दिया, जिसके केंद्र में इंसान हो। गांधीजी ने हमेशा भारत को भारतीय दृष्टिकोण से देखा। आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार को भी उन्होंने गांधी के समान नजरिया रखने वाला बताया। भागवत ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नई पीढ़ी गांधी के सपनों के भारत को आकार देगी। शायद आज से 20 साल बाद हम यह करने की स्थिति में होंगे के हमने गांधी के सपनों का देश बना लिया है।