बाबुल सुप्रियो TMC में शामिल:48 दिन पहले BJP से इस्तीफा दिया, राजनीति छोड़ने का ऐलान भी किया, अब बोले- फैसला बदलने पर गर्व

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कोलकाता. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए। बाबुल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और पार्टी सांसद डेरेक ओब्रायन ने TMC की सदस्यता दिलाई। 48 दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के बाद सुप्रियो ने BJP छोड़ दी थी।

BJP से इस्तीफे के ऐलान के बाद बाबुल ने कहा था, “मैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहा हूं। हमेशा से भाजपा का सदस्य रहा हूं और रहूंगा, लेकिन कुछ देर बाद ही उन्होंने अपनी पोस्ट एडिट कर दी और उससे हमेशा BJP में रहने वाली लाइन हटा दी थी।”

बाबुल बोले- ममता पर जनता को भरोसा
TMC में शामिल होने के बाद बाबुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, “आज का दिन मेरे लिए बहुत बड़ा है। मुझे जनता की सेवा करने का मौका मिला है। ये सब पिछले 4 दिन में हुआ है। बाबुल ने कहा कि ममता पर बंगाल की जनता को भरोसा है। मैं काम करने के लिए TMC से जुड़ा हूं। उन्होंने कहा कि मुझे अपने इस फैसला बदलने पर गर्व है।”

TMC लीडर का दावा- BJP के कई नेता पार्टी के संपर्क में
TMC के कुणाल घोष ने बाबुल सुप्रियो के पार्टी में शामिल होने पर खुशी जाहिर की। घोष ने कहा कि भाजपा के कई नेता TMC नेतृत्व के संपर्क में हैं। वे BJP से संतुष्ट नहीं हैं। एक (बाबुल सुप्रियो) आज शामिल हुए, दूसरा कल शामिल होना चाहता है। यह प्रक्रिया चलती रहेगी। आप बस रुकिए और देखते जाइए।

BJP से इस्तीफे की घोषणा के बाद बाबुल सुप्रियो ने अपने फेसबुक अकाउंट पर बांग्ला में एक बड़ी सी पोस्ट लिखी थी। इसमें उन्होंने राजनीति से संन्यास का ऐलान भी किया था। बाबुल ने क्या लिखा था, पढ़ें उन्हीं के शब्दों में….

चोललाम: यानी अब चलता हूं…अलविदा!
मैंने सब कुछ सुना- पिता, मां, पत्नी, बेटी, एक-दो प्यारे दोस्त.. सबकी राय के बाद ऐसा महसूस हुआ कि मुझे अब राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। हां, लेकिन ये भी साफ कर दूं कि मैं किसी और पार्टी में नहीं जा रहा हूं- #TMC, #कांग्रेस, #CPIM, कहीं नहीं। मुझे किसी दूसरी पार्टी के नेताओं ने फोन भी नहीं किया है। मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। मैं एक टीम प्लेयर हूं! हमेशा एक टीम का साथ दिया है #MohunBagan (बंगाल की फुटबॉल टीम मोहन बगान) और राजनीति में सिर्फ भाजपा (पश्चिम बंगाल) का.. बस !!

पिछले कुछ दिनों में मैं अमित शाह और जेपी नड्डा जी के पास गया और उन्हें बताया कि मैं क्या महसूस कर रहा हूं। मैं उनका प्यार कभी नहीं भूल सकता। मेरी हिम्मत नहीं उनके पास जाकर ये कहूं। मैंने काफी पहले ही फैसला कर लिया था तो अब उनके पास जाऊंगा तो लगेगा कि मैं मोलभाव कर रहा हूं और जब ये ठीक नहीं है तो मैं नहीं चाहता उन्हें गलत संकेत मिले। मैं प्रार्थना करूंगा कि वो मुझे गलत न समझें, लेकिन मुझे एक सवाल का जवाब देना है क्योंकि यह प्रासंगिक है! सवाल यह है कि मैंने राजनीति क्यों छोड़ी? क्या इसका मंत्रालय छोड़ने से कोई लेना-देना है? हां है- वहां कुछ होना चाहिए! मैं घबराना नहीं चाहता, इसलिए जैसे ही इस प्रश्न का उत्तर दूंगा, यह ठीक होगा। इससे मुझे भी शांति मिलेगी।

मैंने वही किया, जो 1992 में भी किया था
बाबुल सुप्रियो ने लिखा कि फ्लाइट में स्वामी रामदेवजी से एक छोटी सी बातचीत हुई थी। मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं आया जब मुझे पता चला कि भाजपा बंगाल में ताकत से तो लड़ेगी, लेकिन एक भी सीट जीतने की उम्मीद नहीं है। ऐसा क्यों सोचा गया। बंगाली तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी को भी प्रधानमंत्री चुना गया। इन दोनों को भी बंगाल ने प्यार दिया था। आज देश ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार माननीय नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री चुना। अगले भी वहीं होंगे। क्या बंगाल इसके उलट सोचेगा? बिल्कुल नहीं।

मैंने वही किया जब मैंने 1992 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में अपनी नौकरी छोड़ दी और मुंबई भाग गया, मैंने आज भी वही किया है !!! तो फिर चलता हूं… हां कुछ बातें बाकी हैं.. शायद किसी दिन बात होगी..

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