अस्थाई मंदिर में विराजेंगे रामलला, गर्भगृह से 150 मीटर दूर जगह तय

रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए गर्भगृह को खाली करना होगा. बहुत जल्द रामलला को अपने स्थान से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर मानस मंदिर के पास ले जाया जाएगा.

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  • मानस भवन के पास शिफ्ट होंगे रामलला, मंदिर बनाने के लिए इंजीनियर्स ने किया दौरा
  • मंदिर का एक मॉडल विहिप के पास पहले से है, किसी दूसरे मॉडल पर भी चर्चा संभव
  • आम लोगों से चंदा एकत्रित करने के विकल्प और पारदर्शी उपायों पर भी विचार होगा

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. मंदिर निर्माण से पहले रामलला को दूसरे मंदिर में शिफ्ट किया जाएगा. मूल गर्भ गृह से करीब डेढ़ सौ मीटर दूरी पर स्थित मानस भवन के नजदीक मेकशिफ्ट मंदिर बनाया जाएगा, जहां रामलला को रखा जाएगा. इस बीच दिल्ली में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की आज बैठक होगी. इस बैठक में मंदिर निर्माण की तारीख और तौर-तरीकों के साथ-साथ, नए सदस्यों का चुनाव होगा.

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रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने आज तक से खास बातचीत में बताया कि इस वक्त जहां रामलला विराजमान हैं, वह गर्भगृह है, लेकिन मंदिर निर्माण के लिए उस जगह को खाली करना होगा. बहुत जल्द रामलला को अपने स्थान से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर मानस मंदिर के पास ले जाया जाएगा, जहां अस्थाई तौर पर मंदिर बनाकर तब तक उनकी पूजा-अर्चना होगी जब तक राम लला का मंदिर बनकर तैयार नहीं होता. कुछ दिन पहले ही आर्किटेक्ट और इंजीनियरों ने गर्भ गृह के इलाके का दौरा किया था.

रामलला का आधार कार्ड नहीं

राम मंदिर पर सुनवाई के दौरान रामलला को खुद एक व्यक्ति के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी थी. यहां तक कि रामलला की तरफ से वकीलों ने बहस भी की थी, लेकिन रामलला के पास आधार कार्ड नहीं है. इस वजह से रामलला को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. दरअसल फिक्स डिपॉजिट करने के नए नियम के मुताबिक आधार कार्ड होना अनिवार्य है. आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक पहचान जरूरी है, लेकिन रामलला का आधार कार्ड नहीं बन पाया क्योंकि उनकी कोई बायोमेट्रिक पहचान नहीं है.

फिक्स डिपॉजिट में फंसा है पेंच

रामलला के रिसीवर के तौर पर कमिश्नर को रखा गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद डीएम को नया रिसीवर बना दिया गया. डीएम ही रामलला के चढ़ावे के कस्टोडियन माने जाते हैं, लेकिन रामलला के नाम से फिक्स डिपॉजिट करने के लिए रिसीवर के आधार कार्ड को नहीं माना गया. ऐसे में रामलला के नाम आने वाले चढ़ावे का पूरा पैसा बैंक में तो जमा होता रहा, लेकिन वह पैसा फिक्स डिपाजिट नहीं हो पाया. पिछले कुछ सालों से करोड़ों रुपए सिर्फ बैंक के चालू खाते यानि सेविंग बैंक में अकाउंट में पड़े हैं.

दो गुना हो गया होता पैसा

रामलला के अकाउंट में इस वक्त 10 करोड़ से ज्यादा रुपए जमा है, लेकिन अब तक यह पैसा लगभग दो गुना हो चुका होता, अगर यह पैसे फिक्स डिपॉजिट हो गए होते. सरकार के नियम के बाद से रामलला के अकाउंट में पड़े पैसे पर अब सिर्फ सेविंग अकाउंट का साधरण ब्याज मिल रहा है.

हर साल लाखों का नुकसान

रामलला के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास कहते हैं कि बैंको ने रिसीवर का आधार कार्ड इस्तेमाल करने की सहमति तो दी थी लेकिन फिर रिसीवर के खाते में टैक्स की देनदारी बन जाती, ऐसे में चढ़ावे की रकम को बिना फिक्स डिपाजिट किए बैंकों के सेविंग्स बैंक एकाउंट में ही रखा गया है और हर साल लाखों का नुकसान रामलला को हो रहा है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक आज, मंदिर के मॉडल समेत कई मुद्दों पर फैसला संभव

लखनऊ. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक आज दिल्ली में होगी। इसमें मंदिर के मॉडल समेत कई अहम मुद्दों पर फैसला हो सकता है। मंदिर निर्माण के लिए टाइमलाइन भी तय की जा सकती है। एक अन्य मुद्दा आम जनता से चंदा लेने का भी है। इसके लिए उपाय खोजे जा सकते हैं। हालांकि, बैठक का औपचारिक एजेंडा तय नही है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 नवंबर को मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था। उसने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण और इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए ट्रस्ट बनाने को कहा था। इसके पहले ट्रस्टी के. पाराशरण हैं।

इसके पहले, मंगलवार को यूपी सरकार ने चौथा बजट पेश किया। अयोध्या में एयरपोर्ट बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अयोध्या को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किए जाने के लिए भी राशि तय की गई। मंदिर का एक मॉडल विहिप के पास पहले से है। बैठक में किसी अन्य मॉडल पर भी विचार किया जा सकता है।

निर्माण कार्य के दौरान प्रतिमाएं कहां रखी जाएंगी
ट्रस्ट की बैठक में शिलान्यास के मुहूर्त से लेकर निर्माण पूर्ण होने के लिए समयसीमा निर्धारित की जा सकती है। निर्माण कार्य के दौरान रामलला की मूर्ति कहां रखी जाए, यह भी विचार का मुख्य बिंदू रहेगा।श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जैसे पार्किंग, सुरक्षा, परिक्रमा, अन्नक्षेत्र, रसोई, शौचालय, प्रदर्शनी, संग्रहालय और यात्री निवास जैसी अहम बातें बैठक के एजेंडे में रह सकती हैं। चंदा या दान लेने के उचित और पारदर्शी तरीकों पर भी विचार होगा। ट्रस्ट का अकाउंट किस बैंक में खोला जाए, इस पर भी फैसला लिया जा सकता है। दानदाताओं को आयकर से छूट के प्रावधान पर भी चर्चा होगी।

पाराशरण के घर में ही ट्रस्ट का ऑफिस
सरकार ने अस्थायी तौर पर ट्रस्ट का ऑफिस दिल्ली के ग्रेटर कैलाश क्षेत्र में बनाया है। यह हिंदू पक्ष के वकील पाराशरण का निवास स्थान है। ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य हैं। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के फैसले के 88 दिन बाद सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट की घोषणा की थी। 5 फरवरी को घोषित श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के उद्देश्य और लक्ष्य में लिखा है कि ट्रस्ट का मकसद श्रीराम के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण और उसकी व्यवस्था संभालना-मंदिर निर्माण के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करना है। बैठक में दो रिक्त स्थानों को भरने और कोषाध्यक्ष का चयन भी संभव है। चेयरमैन न्यास के 15वें सदस्य को नामित कर सकते है।

स्ट्रक्चर की डिजाइन और एनालिसिस जरूरी 
आर्किटेक्ट सुधीर श्रीवास्तव के मुताबिक- राम मंदिर निर्माण शुरू करने के पहले यह तय होना चाहिए कि विहिप के मंदिर मॉडल का स्ट्रक्चर एनालिसिस हुआ या नहीं। सरयू नदी के किनारे मंदिर निर्माण होना है। इसलिए जमीन की भार क्षमता का अध्ययन जरूरी है। इसके बाद ही स्ट्रक्चर की तैयारी की जानी चाहिए। यह क्षेत्र भूकंप जोन-3 में आता है। लिहाजा, मंदिर की नींव यानी फाउंडेशन बेहद मजबूत होना चाहिए।

रामलला के अकाउंट में 11 करोड़ रुपए से ज्यादा
अयोध्या में विराजमान रामलला के अकाउंट में 2.81 करोड़ कैश, 8.75 करोड़ रुपए अतिरिक्त कैश के साथ 230 ग्राम सोना, 5019 ग्राम चांदी व 1531 ग्राम अन्य धातुएं हैं। फिलहाल, रामलला के दर्शन सुबह 7 से 11 बजे और दोपहर 1 से 5 बजे तक ही हो सकते हैं। प्रतिदिन करीब 25 हजार श्रद्धालू दर्शन के लिए आते हैं।

गृह विभाग होगा नोडल एजेंसी
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवम्बर के आदेश में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के साथ स्कीम भी बनाने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने ट्रस्ट के साथ स्कीम बनाकर ट्रस्ट को सौंप दी है। इस पर करीब 50 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसे लागू करने के लिए उप्र सरकार ‘अयोध्या तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद’ बनाएगी। योगी सरकार की अगली कैबिनेट में इसे मंजूरी मिलना तय माना जा रहा है। विकास योजनाओं की निगरानी के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर उप्र के गृह विभाग को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।

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