नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों की छह अर्जियों पर आखिरी 15 घंटे में चार अदालतों में सुनवाई हुई। उनके वकील की ओर से आखिरी कोशिश देर रात दो बजे की गई। वे राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के खिलाफ फिर देर रात 2:00 बजे एक बार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। शीर्ष अदालत ने 2:30 बजे सुनवाई शुरू की। सभी दलीलें सुनने के बाद 3:15 बजे यह याचिका खारिज कर दी गई। दोषियों ने अदालत से इतर राष्ट्रपति के पास दो दया याचिकाएं भी दायर कीं, लेकिन ये भी खारिज हो गईं।
दोपहर 12:45 बजे
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सरकारी वकील ने कहा कि दो दोषियों पवन और अक्षय की दूसरी दया याचिका भी राष्ट्रपति ने नामंजूर कर दी। चारों दोषियों के पास किसी भी अदालत में फांसी से बचने का अब कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा।
दोपहर 1:00 बजे
बिहार की औरंगाबाद कोर्ट ने निर्भया के दोषी अक्षय सिंह की तलाक की अर्जी पर सुनवाई टाली।
दोपहर 1:15 बजे
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 20 मार्च को होने वाली फांसी पर रोक लगाने की मांग करती दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
दोपहर 1:45 बजे
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर दोषी अक्षय सिंह की पत्नी बेहोश हुई।
दोपहर 2:00 बजे
सुप्रीम कोर्ट दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हुआ। सुनवाई का वक्त दोपहर 2:30 बजे तय किया गया।
दोपहर 2:45 बजे
सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
दोपहर 4:00 बजे
राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका खारिज करने को चुनौती देती दोषी अक्षय की याचिका ठुकराई।
रात 8:00 बजे
तीन दोषियों ने फांसी पर रोक लगाने से इनकार करने के निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी।
रात 10:30 बजे
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- दोषी अक्षय की पत्नी की तलाक अर्जी सजा पर रोक लगाने का आधार नहीं है। सजा के फैसले की पुष्टि करता सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट अंतिम था। उस पर हम रिव्यू नहीं कर सकते। कोई न कोई सिस्टम से खेल रहा है। दया याचिका दायर करने में ढाई साल का वक्त लिया गया। आप चाहें तो सुबह 5:30 बजे तक दलीलें देते रह सकते हैं।
देर रात 12:00 बजे
दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी।
देर रात 2:00 बजे
निर्भया के दुष्कर्मी पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
देर रात 2:30 बजे
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू की। पवन गुप्ता ने फिर दलील दी कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके इस दावे को निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट और हमारी अदालत खारिज कर चुकी है।
तड़के 3:00 बजे
सुप्रीम कोर्ट ने सारी दलीलें खारिज की। दोषी पवन गुप्ता ने फांसी एक-दो दिन के लिए टालने का अनुरोध किया। उसने अब दलील दी कि जेल में पुलिस ने उससे मारपीट की थी। बेअंत सिंह के हत्यारों के केस का भी हवाला देकर फांसी रोकने की मांग की गई।
तड़के 3:15 बजे
45 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की याचिका खारिज कर दी। पवन और अक्षय को फांसी से पहले परिवार के लोगों से 5-10 मिनट मुलाकात करने की इजाजत मिली।
तड़के 5:30 बजे
चारों दोषियों को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।
आखिरी 2 कोशिशें- एक हाईकोर्ट में, दूसरी सुप्रीम कोर्ट में
हाईकोर्ट ने कहा- अब आपके मुवक्किल भगवान से मिलेंगे
फांसी पर रोक की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- 4-5 घंटे हैं, कोई तथ्य है तो सीधे उस पर आइए। हमारे पास वक्त बहुत कम बचा है। अब समय आ गया है, जब आपके मुवक्किल भगवान से मिलेंगे। कोर्ट ने कहा- इस अर्जी में कोई नया तथ्य नहीं है। दोषियों की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब अंजाम तक पहुंच रहा है। हम फांसी पर रोक नहीं लगा सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप बेतुकी दलीलें दे रहे हैं
दोषियों ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने को रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि जो दस्तावेज आप पहले पेश कर चुके हैं उन्हें फिर क्यों बता रहे हैं। आपके पास एक भी ऐसी दलील नहीं है जो सुनी जा सके, मुझे लगता है आप वक्त बर्बाद कर रहे हैं। फांसी में सिर्फ दो घंटे बचे है और आप बेतुकी दलील दे रहे हैं।
दोषियों के वकील ने कहा था- इन्हें बॉर्डर पर भेज दो, लेकिन फांसी मत दो: बुधवार दोपहर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि इन्हें (चारों दोषियों को) भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर भेज दो या फिर डोकलाम (भारत-चीन बॉर्डर) भेज दो, लेकिन फांसी मत दो। वे भारत-पाकिस्तान या फिर चीन-भारत बॉर्डर पर देश की सेवा ही करेंगे।